भारत

राजिम केतवास_संगठन
November 25, 2025
आईडीआर इंटरव्यूज | राजिम केतवास
पिछले चार दशकों से श्रमिक एवं महिला अधिकारों के मुद्दों पर सक्रिय रही राजिम केतवास मध्य प्रदेश के श्रमिक आंदोलन में भागीदारी से लेकर अपने संगठन दलित आदिवासी मंच की स्थापना तक की यात्रा और अनुभवों को साझा कर रही हैं।

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजिम केतवास, छत्तीसगढ़ के पिथौरा क्षेत्र से हैं। उन्होंने केवल 19 वर्ष की उम्र में संयुक्त मध्य प्रदेश में एकता परिषद के साथ जमीनी स्तर का काम शुरू किया था। इसके बाद वह शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में भिलाई में श्रमिक आंदोलन से जुड़ी। सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में काम के दौरान उन्होंने […]

अभिनेत्री रेखा_कैपेसिटी बिल्डिंग
November 21, 2025
सोशल सेक्टर में कैपेसिटी बिल्डिंग: किसके लिए क्या मायने?
विकास सेक्टर में सबके लिए कैपेसिटी के मायने अलग हैं - किसी के लिए यह सीख है, किसी के लिए चुनौती तो किसी के लिए महज एक और पीपीटी।

1. फील्ड वर्कर धैर्य बनाए रखना और किसी को बताये बिना समस्या सुलझाना। 2. कम्युनिटी मोबिलाइजर हर हफ्ते नई ट्रेनिंग…पहले ‘सशक्तिकरण’, फिर ‘री-सशक्तिकरण’, फिर ‘ट्रांस-फॉर्मेटिव सशक्तिकरण’। कभी-कभी लगता है, कम्युनिटी से ज्यादा हम ही सशक्त हो रहे हैं। 3. प्रोग्राम मैनेजर स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट, मल्टी-लेवल एप्रोच, ट्रांसफॉर्मेशनल अप्रोच…और इसके बाद एक और पीपीटी जिससे डोनर खुश […]

खान के सामने खड़ी एक महिला_पर्यावरण नियम
November 20, 2025
नए पर्यावरण नियमों में खनन परियोजनाओं को जनसुनवाई से छूट क्यों दी जा रही है?
बीते दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक जरूरतों का हवाला देते हुए सरकार ने यूरेनियम, लिथियम सहित कई महत्त्वपूर्ण खनिजों की खनन परियोजनाओं को जनसुनवाई से छूट दे दी है।

अब भारत में परमाणु खनिज (जैसे यूरेनियम, थोरियम), महत्त्वपूर्ण खनिज और रणनीतिक खनिज (जैसे दुर्लभ पृथ्वी तत्व) की नई खनन परियोजनाएं शुरू होंगी तो उनके लिए आम जनता से राय लेने या जनसुनवाई करने की जरूरत नहीं होगी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि यह परियोजनाएं “राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा जरूरतों […]

विवेक मिश्रा | 4 मिनट लंबा लेख
फोन चलता युवाओं का एक समूह_डिजिटल टूल​
November 18, 2025
छोटी संस्थाओं की बड़ी जरूरत: क्यों अहम हैं सरल डिजिटल टूल?
जब संस्थाएं अपनी जरूरतें समझने का प्रयास करती हैं, तो उनके लिए डिजिटल टूल अपनाने की प्रक्रिया अपने आप सहज हो जाती है।

​​विकास सेक्टर में सक्रिय लघु स्तर के बहुत से गैर-लाभकारी संगठन अक्सर सीमित संसाधनों के साथ काम करते हैं। हाल के वर्षों में ऐसी संस्थाओं के लिए कई तकनीक-आधारित समाधान उभरे हैं, जो उनके काम को अधिक कुशल, प्रभावी और डेटा-केंद्रित बनाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। फिर भी इनकी संरचना, बुनियादी उद्देश्य और उन्हें […]

सभागार में बैठी बहुत सारी महिलाएं_सुनना
November 17, 2025
सुनने की संरचना: समावेशन और हाशिये की आवाज
हाशिए पर धकेले गए समुदाय अक्सर आत्म-संदेह, सामाजिक रूढ़ियों और अकेलेपन से जूझते हैं। उन्हें ऐसे परिवेश की जरूरत है, जहां वे खुलकर अपनी बात रख पायें और उनकी आवाज लगातार सुनी जाए।

साल 2019 में जब हमने लेडबाय की शुरुआत की थी, तब हमारे पास कोई तय मार्गदर्शिका नहीं थी। हम में से कोई शिक्षण में प्रशिक्षित नहीं था और न ही हम शिक्षण विधियों के विशेषज्ञ थे। हमारे पास बस एक गहरी जिज्ञासा थी, आपनी समझ थी और यह दृढ़ विश्वास था कि भारतीय मुस्लिम महिलाओं […]

दीपांजलि लाहिड़ी | 5 मिनट लंबा लेख
एक दृश्य जिसमें एक वर्कशॉप ऑर्गेनाइजर संस्थाओं को निमंत्रण दे रहा है_वर्कशॉप
November 14, 2025
वर्कशॉप – “आप आईये तो सही!”
संस्थाओं की वर्कशॉप में “हम आएंगे” जितना आम है, उतना ही “नहीं आ पाएंगे” भी।

1. आप (उत्साह से): 2. पहला हफ्ता: 3. दूसरा हफ्ता: 4. तीसरा हफ्ता (वर्कशॉप से चंद दिन पहले): 5. वर्कशॉप से एक दिन पहले:

एक दूसरे पर संतुलित करके रखे गए पत्थरों का ढेर - शिक्षक प्रशिक्षण
November 13, 2025
सभी राज्यों में काम करने वाले शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम कैसे बनाएं?
सरकारी व्यवस्थाओं के साथ काम करने वाली गैर-लाभकारी संस्थाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के मानकीकरण और संदर्भीकरण के बीच संतुलन बनाना, हमेशा एक बड़ा सवाल बना रहता है।

हमने लगभग 5-6 साल पहले शिक्षा के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर काम करना शुरू किया। तभी हमारे काम में कक्षाओं और समुदायों में काम करते हुए, बच्चों को सुनते हुए, शिक्षकों के साथ मिलकर सीखते हुए, प्रशासनिक कर्मचारियों के साथ समस्याओं के हल ढूंढते हुए, और राज्य व्यवस्था के जरिए बड़े बदलाव (या रुकावटें) […]

महिलाओं के एक समूह को ब्लैकबोर्ड पर पढ़ाती एक शिक्षिका_नारीवादी शिक्षा
November 12, 2025
‘नारीवादी शिक्षा’ सुनकर आपके मन में क्या आता है?
द थर्ड आई के इस वीडियो के जरिए अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए देशभर के लोगों से जानिए कि वे नारीवादी शिक्षा शब्द को किस तरह देखते और समझते हैं।

देश के 25 लोग हमें बता रहे हैं कि वे कैसा महसूस करते हैं, क्या सोचते हैं, उन्हें क्या ध्यान आता है जब वे इन दो शब्दों को एक साथ सुनते हैं: नारीवादी शिक्षा।  द थर्ड आई में हम इन सवालों से इस विचार पर आपका ध्यान लाना चाहते हैं कि ज्ञान और सीखना सिर्फ […]

द थर्ड आई | 2 मिनट लंबा लेख
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