April 10, 2025

सरकार के साथ जुड़ने के कुछ कारगर उपाय – भाग 1

सरकार से जुड़ने से पहले संस्थाओं को न केवल यह मालूम होना चाहिए कि उन्हें कहां और किस स्तर पर जुड़ना है, बल्कि यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि इससे सरकार को क्या लाभ होगा।
2 मिनट लंबा लेख

अगर आपकी संस्था इस असमंजस में है कि सरकार के साथ काम करें या नहीं, तो इसके लिए आप हमारा पिछला लेख पढ़ सकते हैं। जब आप तय कर लेंगे कि आपको सरकार के साथ काम करना है, तो आपका सामना कुछ सवालों से होगा। जैसे सरकार के साथ काम कैसे करें, इसके लिए पहल कैसे की जाए या फिर सरकार में कहां और किसके पास जायें?

अमूमन संस्थायें, सरकार के साथ किसी न किसी रूप में मिलकर काम करना चाहती हैं ताकि वे अपने काम का व्यापक प्रभाव दिखा सकें। सरकार अपने आप में एक जटिल संस्था है, जिसका एक विशिष्ट कल्चर और काम करने का तरीका है। बिना इसे समझे सरकार के साथ जुड़ना एक मुश्किल अनुभव हो सकता है। इस विडियो में हम कार्यपालिका को चलाने वाले अधिकारियों के साथ जुड़ने के तरीकों पर फोकस करेंगे। 

विडियो के पहले भाग में, आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि सरकार के साथ जुड़ने से पहले आपके पास ठोस कारण होने चाहिए। यानि पहले यह तय करें कि आप सरकार के साथ कोई समाधान, इम्प्लिमेन्टेशन प्रोग्राम और अपने सेक्टर से जुड़ी चुनौतियां या सुझाव साझा करना चाहते हैं या फिर उनकी किसी कमिटी में एक एक्सपर्ट के तौर पर शामिल होना चाहते हैं। इतना ही नहीं, आपको इस बात की जानकारी भी होनी चाहिए कि आपका काम किस विभाग के किस स्तर के अधिकारी के पास हो सकता है। 

संस्थाओं को सरकार को समझाना होगा कि आप अपने कार्यक्रम के जरिए न केवल बड़े स्तर पर जमीनी हकीकत को समझना चाहते हैं, बल्कि इससे सरकार को भी फील्ड में न जाने के बावजूद वास्तविकता को समझने और उसके अनुसार निर्णय लेने में मदद मिलेगी। सरकार में आमतौर पर इस प्रकार के सुझावों का स्वागत किया जाता है, क्योंकि उनके पास फीडबैक और मूल्यांकन की क्षमता बहुत कम होती है।

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हम आशा करते हैं कि इस भाग में दी गयी यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। वीडियो के अगले भाग में हम सरकार के साथ जुड़ने के कुछ और कारगर उपायों पर बात करेंगे।

मयंक लोधा एक सोशल सेक्टर पेशेवर हैं जिन्हें व्यवसायिक, सरकारी और गैर-लाभकारी क्षेत्रों में काम करने का अनुभव है।

अधिक जानें 

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लेखक के बारे में
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मयंक लोधा

मयंक लोधा एक अनुभवी सोशल इम्पैक्ट पेशेवर हैं जिन्हें व्यवसायिक, सरकारी और गैर-लाभकारी क्षेत्रों में काम करने का अनुभव है। वर्तमान में, वे फिलैंथ्रॉपी, सामाजिक उद्यमिता और शासन के साझे मुद्दों पर काम करते हैं। इसका उद्देश्य सरकार, बाजार और समाज को एक साथ लाना है ताकि सरकारी तंत्र की मदद से नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके। इससे पहले, उन्होंने एक राज्य सरकार के हिस्से के तौर पर, सरकार के अंदर और बाहर, विभिन्न हितधारकों के बीच संस्थागत सहयोग से संबंधित भी काम किया है।

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