November 27, 2023

डिजिटल तकनीक से सीमित संसाधनों में पढ़ाई कैसे संभव है

संसाधनों की कमी एडटेक से दूरस्थ शिक्षा में आने वाली एक बड़ी बाधा है लेकिन शिक्षकों की सहभागिता से इसे आसान बनाया जा सकता है।
10 मिनट लंबा लेख

कहा जाता है कि एक बच्चे को पालने में पूरा गांव लगता है। यह कथन बच्चे के सामाजिक और भावनात्मक विकास में समुदाय और रोल मॉडल के महत्व को दिखाता है। हमने कोविड-19 महामारी के दौरान, तब इस बात को सच होते देखा, जब घर बच्चों की अस्थायी कक्षा में बदल गये, और बच्चे के डिजिटल शिक्षा हासिल करने के दौरान माता-पिता और शिक्षकों को कहीं स्पष्ट भूमिकाएं निभानी पड़ीं। लेकिन यह बदलाव आसान नहीं था। सीखने के स्तर और जगहों से परे, शिक्षकों ने ऑनलाइन कक्षा के दौरान छात्रों के दुर्व्यवहार और ढिलाई की शिकायत की है।

कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी, बाधित बिजली आपूर्ति, पुराने उपकरण और तकनीकी साक्षरता की कमी और ऐसे ही तमाम मुद्दों का सामना शिक्षकों ने अपने सीमित वित्तीय संसाधनों और भौगोलिक स्थिति के कारण किया। ऐसी स्थितियां ज़्यादातर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्थित स्कूलों या शहरों के सरकारी स्कूलों में देखने को मिलीं। 2020 में छह भारतीय राज्यों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 36 फीसद शिक्षकों ने स्कूलों में तकनीकी बुनियादी ढांचे की कमी को दूरस्थ शिक्षा में बाधा बताया है।

दूरस्थ शिक्षा को मजबूत करने की चर्चा काफी हद तक छात्रों के अनुभवों पर केंद्रित रही है, लेकिन शिक्षकों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए। एडटेक (शैक्षिक तकनीक) समाधानों में बड़े पैमाने पर गुणवत्ता प्रदान करने और एक लचीली शिक्षा प्रणाली में योगदान करने की अपार क्षमता और संभावना है। हालांकि, इस क्षमता को केवल शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी से ही पूरी तरह से साकार किया जा सकता है। एडटेक उत्पादों को यूज़र फ़्रेंडली, किफ़ायती और आकर्षक बनाने की प्रक्रिया में निवेश ज़रूरत है ताकि शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

पहुंच को व्यापक बनाने का समाधान मिल गया है, अब इसके बाद क्या?

महामारी के शुरुआती महीनों में, शिक्षकों और स्कूलों के सामने मुख्य चुनौती प्रशिक्षण और संसाधनों को लेकर थी। भारत के शहरी एवं ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्रों के सरकारी स्कूल फंड, उपकरणों और तैयारी की कमी के कारण दूरस्थ शिक्षा के इस अचानक आये बदलाव के लिए तैयार नहीं थे। महामारी के दौरान, लगभग 50 फीसद शिक्षक स्कूल के बंद होने की तुलना में शिक्षण सामग्रियों पर अधिक पैसा खर्च कर रहे थे। जहां उपकरण उपलब्ध थे, वहां भी कनेक्टिविटी की समस्या थी।

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सरकार और निजी क्षेत्र तेज़ी से कार्रवाई कर रहे थे। 2020 से 2022 तक एडटेक उत्पादों का बाज़ार 0.75 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया। 2025 तक यह आंकड़ा चार अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। दीक्षा और राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी तक मुफ्त पहुंच जैसी सार्वजनिक पहलों से अत्यावश्यक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। लॉकडाउन के दौरान शिक्षा से संबंधित फ़ोन ऐप्स पर बिताए गए स्क्रीन समय में 30 फीसद की वृद्धि हुई। इसके अलावा, एडटेक के लिए यूज़र बेस में वृद्धि हुई, विशेष रूप से के-12 खंड (प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा) के लिए, जो इस दौरान 4.5 करोड़ से बढ़कर नौ करोड़ हो गया।

बांस की झोपड़ी में बच्चों को पढ़ा रहा एक आदमी_एडटेक से शिक्षा
संस्थाएं एक राज्य या जिले में काम कर गए हस्तक्षेप टेम्प्लेट को दूसरे राज्य या जिले में कॉपी-पेस्ट नहीं कर सकते हैं। | चित्र साभार : यूरोपीय सिविल सुरक्षा और मानवीय सहायता / सीसी बाय

व्यापक स्तर पर पहुंच हासिल करने के बाद एडटेक प्रदाताओं को अब अपने समाधानों की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इसमें स्थानीय संदर्भों को समझना, राज्य पाठ्यक्रम के साथ तालमेल बिठाना और बच्चों के मुताबिक पाठ योजनाएं बनाना शामिल है। उत्पादों को उपयोगकर्ता-केंद्रित नज़रिए को अपनाना चाहिए ताकि इसके उपयोग की संभावना में वृद्धि हो सके। हमारा अनुभव कहता है कि चार प्रक्रियाओं को व्यवस्थित ढंग से अपनाने से शिक्षकों के बीच एडटेक समाधानों की पहुंच को अधिकतम किया जा सकता है।

1. बदलाव एजेंट की पहचान करना

स्थानीय समुदाय के साथ अपने मौजूदा संबंध के कारण समुदाय में शामिल हितधारक जैसे स्वयं सहायता समूह या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (एडब्ल्यूडब्ल्यू) अधिकतम प्रभाव डाल सकते हैं। यह विशेष रूप से ग्रामीण या कम-साक्षरता वाले वातावरण में सच है, जहां बाहरी संगठनों या गैर-लाभकारी संस्थाओं पर संदेह किया जा सकता है। भारत में 13.9 लाख आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जो आबादी के एक बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा करते हैं और बच्चों के शुरुआती दिनों की देखभाल और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिहाज़ से जरूरी हैं। हमारा अपना अनुभव बताता है कि एडब्ल्यूडब्ल्यू कार्यकर्ता जिज्ञासु और साधन संपन्न होती हैं और समुदाय के लोगों के साथ उनके संबंध बहुत हद तक आत्मीय होते हैं, जिनके कारण वे परिवर्तन के लिए एक आदर्श एजेंट हो सकती हैं।

हालांकि, हस्तक्षेप कार्यक्रम तैयार करने और उनका क्रियान्वयन करने में उन्हें शामिल करना ही पर्याप्त नहीं है; संगठनों को बड़े स्तर पर समुदाय का मत हासिल करने के लिए उन कार्यकर्ताओं का विश्वास भी जीतना होगा। उदाहरण के लिए, कई शिक्षक सहकर्मी समूह का संचालन करने वाले रॉकेट लर्निंग फ़ेसिलिटेटर सीखने की दैनिक गतिविधियों को साझा करते हैं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उन कार्यों को करने वाले छात्रों के वीडियो रूप में जवाब देते हैं। खेल-आधारित शिक्षा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सक्रियता और सहभागिता को प्रोत्साहित करती है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं और प्रेरणाओं का लाभ उठाना भी उनकी पूर्ण भागीदारी का रास्ता है। इनमें से कई लोग उन संसाधनों से सशक्त होना चाहते हैं जो उन्हें बुनियादी शिक्षा प्रदान करने और शिक्षकों के रूप में गंभीरता से लेने की अनुमति देते हैं। कार्यक्रम के डिज़ाइन में ज़मीन पर काम कर रहे श्रमिकों और ज़मीनी कार्यान्वयन करने वालों के लिए कौशल बढ़ाने के अवसरों को शामिल करना और इस प्रक्रिया में श्रमिकों के व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

2. शिक्षकों को सही आचरण की ओर प्रेरित करना

व्यावहारिक ज्ञान के आधार पर शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया कक्षाओं के भीतर होने वाली गतिविधियों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसमें व्यक्तिगत मूल्यांकन रिपोर्ट से लेकर प्रदर्शन को ट्रैक करने वाले डिजिटल बैज या प्रमाणपत्र तक शामिल हो सकते हैं जो भागीदारी को पुरस्कृत करते हैं। ये तंत्र एडटेक उत्पादों में एक ‘मानवीय’ तत्व जोड़ते हैं और इच्छित व्यवहार को सुदृढ़ करते हैं।

संख्यात्मक आंकड़ों से केवल जानकारी को डिज़ाइन करने में बल्कि उन्हें सही तरह से इस्तेमाल करने के लिए पैटर्न तैयार करने में भी मदद मिल सकती है।

एक प्रभावी प्रेरणा प्रक्रिया तैयार करने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों तरह के ठोस आंकड़ों की आवश्यकता होती है। मानव-केंद्रित सर्वेक्षण और गुणात्मक अनुसंधान स्थानीय संदर्भों में मूल हस्तक्षेप में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, शिक्षकों की दैनिक, साप्ताहिक और मासिक गतिविधियों, प्राथमिकताओं और जरूरतों पर नज़र रखने से संगठनों को दोगुना करने के लिए बिंदुओं (टचप्वाइंट) की पहचान करने में मदद मिल सकती है।

इस बीच, मात्रात्मक आंकड़ों से न केवल जानकारी को डिज़ाइन करने में बल्कि उन्हें सही तरह से इस्तेमाल करने के लिए पैटर्न तैयार करने में भी मदद मिल सकती है। आंकड़े एडटेक प्रदाताओं को सबसे पसंदीदा संचार चैनलों (यूट्यूब, व्हाट्सएप, आदि), फॉरमैट (आवाज, शब्द, या मल्टीमीडिया), या दिन के विभिन्न समय पर ध्यान केंद्रित करने और अधिकतम प्रभाव के लिए इन प्राथमिकताओं का लाभ उठाने की अनुमति दे सकता है। निगरानी और मूल्यांकन बदलते पैटर्न समझने में मदद करते हैं और समय के साथ इन्हें अपडेट और दुरुस्त करते हैं। यह शिक्षकों और अभिभावकों को बच्चों के साथ विभिन्न गतिविधियां संचालित करने, पूरा होने का प्रमाण साझा करने और लक्ष्य प्राप्त करने पर ‘पुरस्कार’ या ‘प्रमाणपत्र’ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

3. समग्र डिजिटल समुदाय का निर्माण

सीखने की प्रक्रिया शिक्षक-छात्र के बीच मौन संबंध या सीमित बातचीत में संभव नहीं हो सकती है। शिक्षकों और अभिभावकों के लिए यह आवश्यक है कि वे छात्रों के सीखने की प्रक्रिया और उपलब्धियों के साथ तालमेल बिठाएं, विशेष रूप से सुदूर और दूरस्थ इलाक़ों वाली परिस्थितियों में जहां घर और कक्षा के बीच की सीमाएं लगभग मिट गई हैं।

आधे से अधिक छात्रों और 89 फ़ीसद शिक्षकों द्वारा उपयोग किया जाने वाला व्हाट्सएप संचार के सबसे लोकप्रिय चैनल के रूप में सामने आया है।

डिजिटल समुदायों की स्थापना करते समय, मौजूदा ढांचे का उपयोग करने के लिए कम क्षमता वाली सेटिंग्स ही आदर्श होती हैं। उदाहरण के लिए, आधे से अधिक छात्रों और 89 फ़ीसद शिक्षकों द्वारा उपयोग किया जाने वाला व्हाट्सएप संचार के सबसे लोकप्रिय चैनल के रूप में सामने आया है। इन पैटर्नों के आधार पर सरल समाधान डिज़ाइन करना कम लागत वाला होता है और भागीदारी की संभावना को बढ़ाता है। यह उन माता-पिता के लिए भी विशेष रूप से फायदेमंद है जो दैनिक मजदूरी पर निर्भर हैं और अपने काम की प्रकृति के कारण भौतिक रूप से होने वाली बैठकों में शामिल नहीं हो सकते हैं।

शिक्षकों और अभिभावकों के बीच एक निरंतर प्रतिक्रिया प्रणाली (फीडबैक लूप) बनाना सकारात्मक अभिभावक-शिक्षक, शिक्षक-पर्यवेक्षक और शिक्षक-छात्र संबंध स्थापित करने में प्रभावी रूप से मददगार साबित होता है। इससे एक सहायक समुदाय का निर्माण भी होता है जिसमें माता-पिता और शिक्षक बच्चे की सीखने की यात्रा के बारे में अपनी चिंताओं और दृष्टिकोण को साझा कर सकते हैं।

4. विभिन्न सरकारों के साथ प्रभावी ढंग से काम करना

बड़े पैमाने पर प्रभाव डालने के लिए सरकारों के साथ काम करना सबसे अच्छा तरीका है। बाज़ार-संचालित एमटेक समाधान उन उपयोगकर्ताओं को प्राथमिकता देते हैं जो उनके उत्पादों के लिए भुगतान कर सकते हैं। इस बीच, हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सेवाएं देने की इच्छा रखने वाली संस्थाओं को अक्सर सीमित संसाधन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकारी समर्थन, इरादे और प्रभाव के बीच के इस अंतर को पाट सकता है, जिससे छात्र उपयोग, सीखने की गतिविधियों और शिक्षक प्रशिक्षण के मामले में निष्पक्षता सुनिश्चित हो सकती है। इसके बावजूद ऐसे कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर शुरू करने के लिए राज्य की इच्छा और क्षमता सुनिश्चित करने में समय लग सकता है। इसके अलावा, सरकारी स्कूलों में समाधान लागू करने की चाहत रखने वाले एडटेक संस्थाओं को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्रकार के औपचारिक नियमों और अनौपचारिक प्रथाओं से जूझना पड़ता है। हार्डवेयर, उत्पाद और पाठ योजनाओं को मौजूदा पब्लिक स्कूल इकोसिस्टम में शामिल करने के लिए अक्सर कई स्तरों पर अनुमतियों और बातचीत की आवश्यकता होती है।

इन क्षेत्रों में काम करने वाले संगठनों और सरकारों को शिक्षकों को हस्तक्षेप के प्रतिनिधि के रूप में पेश करना चाहिए।

राज्य की प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाना और शासन के पदानुक्रम में – आंगनवाड़ी शिक्षक और उनके पर्यवेक्षक से लेकर परियोजना, जिला और राज्य स्तर के अधिकारियों तक को ध्यान में रखकर हस्तक्षेप डिजाइन करना – व्यवस्था को शामिल रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, संगठन एक राज्य या जिले में काम करने वाले हस्तक्षेप के तरीक़ों (टेम्पलेट्स) को दूसरे राज्य में  उसी रूप में लागू नहीं कर सकते हैं। किसी भी प्रकार का दृष्टिकोण तैयार करने से पहले प्रत्येक प्रशासन की इच्छाओं और प्राथमिकताओं का आकलन करना आवश्यक है। योजना को तैयार करने के लिए राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं और कामकाज के वातावरण को पहचानना एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे कि सार्थक सहभागिता सुनिश्चित की जा सकती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बिना अनुभव या तकनीकी ग्रहणशीलता वाले शिक्षकों के बीच एडटेक की पहुंच सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण लेकिन आवश्यक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बिना अनुभव या तकनीकी ग्रहणशीलता वाले शिक्षकों के बीच एडटेक की पहुंच सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण लेकिन आवश्यक है। विश्व बैंक का एडटेक रेडीनेस इंडेक्स इसे मान्यता देता है, और शिक्षकों को नीति और अनुप्रयोग में बेस्ट प्रैक्टिसेज के लिए मजबूत किए जाने वाले छह स्तंभों में से एक के रूप में सूचीबद्ध करता है। शिक्षकों की प्रेरणाओं और दृष्टिकोणों को प्राथमिकता देना और व्यापक मानसिकता में बदलाव पर जोर दिया जाना चाहिए। इस तरह की पहलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।

सबसे महत्वपूर्ण बात, तकनीक से जुड़े डर और शंका को दूर करना आवश्यक है। एडटेक सेवाओं को शिक्षकों के प्रतिस्थापन के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि उन्हें एक ऐसे संसाधन के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए जो शिक्षकों के कार्यभार को कम और उनके काम को बेहतर करेगा। इस क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों और सरकारों को जितना संभव हो सके शिक्षकों को हस्तक्षेप के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए। हम केवल शिक्षकों की भागीदारी और सहभागिता के माध्यम से ही एडटेक की पूरी शक्ति का उपयोग छात्रों के जीवन को बदलने और एक लचीले एजुकेशन इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में काम करने के लिए कर सकते हैं।

शिक्षकों की सहभागिता को बनाने और बनाए रखने के लिए, तकनीक और एडटेक को ऐसे उपकरण के रूप में स्थापित करना अनिवार्य है जो शिक्षक क्षमता का निर्माण कर सके और उसे आगे बढ़ा सके। हमें शिक्षक व्यवहार के संदर्भ में सकारात्मक लूप बनाने और एडटेक समाधानों की डिजाइन-से-कार्यान्वयन यात्रा के लिए क्षेत्र-विशिष्ट बारीकियों से अवगत होने के लिए ऐसे समाधानों से आंकड़े का लाभ उठाने की आवश्यकता है।

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लेखक के बारे में
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डेयॉन्ग ली

डेयॉन्ग ली डालबर्ग एडवाइजर्स की पार्टनर होने के साथ ही इसके शिक्षा से रोज़गार अभ्यास (एडुकेशन टू एम्प्लॉयमेंट प्रैक्टिस) की सह-प्रमुख भी हैं। उनके हाल के कामों में बैक-टू-स्कूल आउटकम फंड का डिज़ाइन, क्वालिटी एजुकेशन इंडिया (क्यूईआई) डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड का प्रदर्शन प्रबंधन, भारत में शिक्षा हस्तक्षेपों की लागत-प्रभावशीलता का निर्धारण करना, देश के एडटेक पर भारत के अग्रणी शिक्षा फाउंडेशन को सलाह देना शामिल है। इसके अलावा नीति, और परिणाम-आधारित वित्तपोषण कार्यक्रमों के लिए कई व्यवहार्यता अध्ययन आयोजित करना भी उनके कामों में शामिल है।

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कबीर सेठी

कबीर सेठी डालबर्ग एडवाइजर्स के एसोसियेट पार्टनर हैं। उनका काम आईसीटी और बड़े डेटा, शिक्षा से लेकर रोजगार और वित्तीय समावेशन अभ्यास क्षेत्रों पर केंद्रित है। कबीर सरकारों, फाउंडेशनों और निजी निगमों को रणनीति, संगठनात्मक डिजाइन और प्रभावी प्रौद्योगिकी उपयोग से जुड़े सलाह भी देते हैं। उनके हाल के कामों में, इथियोपिया के नवाचार और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए एक डिजिटल परिवर्तन रणनीति विकसित करना, एक स्केलेबल एडटेक समाधान को डिजाइन करने और संचालित करने में राज्य सरकार को सलाह देना और डालबर्ग की सीजीएपी की रणनीतिक समीक्षा का प्रबंधन करना शामिल है।

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सिद्धांत सचदेवा

सिद्धांत सचदेवा रॉकेट लर्निंग के सह-संस्थापक हैं, जहां वे संचालन और व्यवहार परिवर्तन मीडिया का नेतृत्व सम्भालते हैं। इसके पहले सिद्धांत बॉस्टन कन्सल्टिंग ग्रुप के प्रोजेक्ट लीडर के रूप में काम कर चुके हैं और उनके पास व्यापक-स्तर वाले सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में बदलाव से जुड़ी परियोजनाओं पर काम करने का अनुभव है। उन्होंने आईआईएम कोलकाता से एमबीए, आईआईटी दिल्ली से बीटेक और स्विट्ज़रलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट गैलन से इंटरनेशनल मैनेजमेंट में एमए की पढ़ाई कि है। सिद्धांत को बिजनेस वर्ल्ड सोशल इम्पैक्ट लीडर्स और फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया सूची में भी शामिल किया गया था।

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