January 19, 2022

सरकार के साथ काम करना: सामाजिक क्षेत्र के लिए रणनीतियाँ

सामाजिक क्षेत्रों के लिए सरकारी संस्थानों के साथ काम करने का एक दिशानिर्देश।
7 मिनट लंबा लेख

डॉ रेड्डीज फ़ाउंडेशन (डीआरएफ़) में सरकार के साथ बड़े पैमाने पर काम करने का हमारा पहला अनुभव 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) के साथ था। हमने एमओआरडी के साथ इसकी पहली फ्लैगशिप कौशल योजना लाईवलीहूड एडवांसमेंट बिजनेस स्कूल (एलएबीएस) के तहत साझेदारी की थी। यह एक क्षेत्र-विशिष्ट कौशल के लिए 90 दिनों की अवधि वाला प्रशिक्षण था। जिसके तहत बेरोजगार युवाओं को मजदूरी आधारित रोजगार के लिए तैयार किया जाता था।

एमओआरडी के साथ डीआरएफ के सात सालों की साझेदारी और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और तीन राज्य सरकारों के साथ लंबे समय तक चलने वाली साझेदारी 2011–12 में समाप्त हुई। सरकार के साथ इन साझेदारियों के परिणामस्वरूप 18 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यक्रम का अखिल भारतीय स्तर पर विस्तार हुआ और इससे 1.92 लाख युवा प्रभावित हुए। कार्यक्रम की सफलता के बावजूद भी तीन ऐसे तथ्य थे जिनके कारण डीआरएफ़ ने नए सरकारी अनुदान के लिए आवेदन नहीं दिया, विशेष रूप से कौशल आधारित कार्यक्रमों के लिए:

  • मॉडल को आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाने के विचार का परीक्षण करने की उत्सुकता, जिसके लिए ऑपरेटिंग मॉडल में लचीलेपन की आवश्यकता होती है। हम निजी संगठनों और फ़ाउंडेशन के साथ साझेदारी करना चाहते थे, जिनके पास लचीले कार्यान्वयन दिशानिर्देश थे।
  • सरकार से मिलने वाले किस्तों में देरी जिसके कारण अन्य कार्यक्रम के लिए नकदी प्रवाह प्रभवित होता था। इसलिए एक और बड़े सरकारी कार्यक्रम को शुरू करने से पहले हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे की सरकार से मिलने वाले अनुदान का सारा पैसा डीआरएफ को मिल जाये। वरना हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नकद के प्रवाह को टालना होगा की पहले से चल रहे अन्य कार्यक्रम प्रभावित न हों।
  • कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 हाल ही में लागू की गई थी जिसके तहत कंपनियों को कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (सीएसआर) का पालन अनिवार्य रूप से करना था। नतीजतन, वित्तपोषण का नया रास्ता खुल गया। डीआरएफ ने पायलटों को अपने अधीन लिया और कंपनियों के साथ नए मॉडलों का परीक्षण शुरू कर दिया। कई मामलों में इन नए पायलटों (डिज़ाइन, संचालन मॉडल, और पाथवे से स्केल) ने समय पर सरकार द्वारा जारी निर्देशों का हमेशा पालन नहीं किया था। इसलिए, हमने यह तय किया कि इसके बजाय हम लोग सीएसआर परिस्थितिकी पर ध्यान देने का काम करेंगे।   

डीआरएफ ने 2018 के अंतिम दिनों तक कौशल कार्यक्रमों के लिए किसी भी तरह का अनुदान प्रस्ताव सरकार के सामने नहीं रखा था। हालांकि, इसने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और विकलांगों के लिए कौशल परिषद जैसे सरकारी विभागों के साथ अपने कौशल कार्यक्रमों द्वारा प्राप्त अनुभव को लगातार साझा करते हुए अपने संबंध को बरकरार रखा था। इसके पीछे की सोच यह थी कि अगर इसमें एक भी नए मॉडल का परिणाम बेहतर दिखाई दिया तो डीआरएफ सरकार से अनुरोध करके इसे ऊपर ले जाने के लिए कहेगा।

2018 में, डीआरएफ ने एक नया कार्यक्रम तैयार करना शुरू किया जो गुणवत्ता वाले ‘संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों’ को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां अधिक कमजोर आबादी थी। इसे बड़े पैमाने पर करने के लिए हमें एक बार फिर सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा। हम यह भी जानते थे कि कॉरपोरेट्स ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन देने को तैयार नहीं हो सकते हैं, क्योंकि दूरस्थ आबादी तक पहुंचना अधिक महंगा है, और कार्यक्रम की शुरुआत में परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रहे हैं।

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इसलिए, हमने आंध्र प्रदेश के आदिवासी कल्याण विभाग (टीडब्ल्यूडी) के साथ काम करने का चुनाव किया और अक्टूबर 2018 में उनके साथ साझेदारी में अपना नया हेल्थकेयर स्किलिंग प्रोग्राम शुरू किया।

आंध्र प्रदेश के महिला एवं बाल कल्याण विभाग, आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम और गुजरात के जिला खनिज फाउंडेशन के साथ रणनीतिक साझेदारी करके कार्यक्रम को तेजी से बढ़ाया गया।

सरकार के साथ काम करते हुए सीखी गई कुछ प्रमुख चीजें इस प्रकार हैं:

रणनीति बनाकर काम करें

आंध्र प्रदेश सरकार के साथ एक रणनीतिक साझेदारी शुरू करने के लिए हमारी दोनों शक्तियों के संयोजन पर आधारित

दृष्टिकोण बहुत ही मददगार साबित हुआ:

  • कार्यक्रम की पहुँच में सरकार के विशाल सेवा वितरण नेटवर्क का उपयोग करना।
  • कम उपयोग होने वाले सरकारी बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण सुविधाओं तक पहुँचना।
  • संबंधित सरकारी विभागों की वरीयता के अनुसार कार्यक्रम के नाम को अनुकूलित करना, ताकि उनका अधिक से अधिक स्वामित्व सुनिश्चित हो सके।
  • कौशल प्रयोगशालाओं की स्थापना, बुनियादी ढांचे का काम, सक्षम प्रशिक्षकों को काम पर रखना, प्रशिक्षण की गुणवत्ता प्रदान करना और प्लेसमेंट जैसे क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाना—एसी जगहों पर हमें अधिकार हासिल हैं।

निष्पादन क्षमता और तत्परता सुनिश्चित करें

कार्यक्रम शुरू करने से पहले सही निष्पादन क्षमता को सुनिश्चित करने से हमें कार्यक्रम को बेहतर ढंग से डिजाइन और कार्यान्वित करने में मदद मिली। इसका एक प्रमुख घटक कार्यक्रम का नेतृत्व करने के लिए सही प्रबंधक को काम पर रखना है।सरकारी पारिस्थितिकी तंत्र सीएसआर पारिस्थितिकी तंत्र से अलग तरह से काम करता है।और यदि आप दोनों प्रणालियों को एक ही तरीके से देखते हैं तो इसके असफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

सहकर्मी एक साथ मिलकर बिखरे हुए टुकड़ों को जोड़ रहे हैं_सरकार सामाजिक क्षेत्र
निष्पादन क्षमता सुनिश्चित करना किसी भी साझेदारी में महत्वपूर्ण मूल्य जोड़ता है, चाहे वह सरकारी हो या निजी | चित्र साभार: रॉपिक्सेल

इस कार्यक्रम के मामले में, किसी ऐसे व्यक्ति का होना महत्वपूर्ण था जो सरकारी पारिस्थितिकी तंत्र को समझता हो और सरकार के विभिन्न विभागों के बारे में अच्छी तरह से जानता हो और उनसे जुड़ा हुआ भी हो। उदाहरण के लिए, हालांकि हमारा काम टीडब्ल्यूडी के साथ था लेकिन हमने सुनिश्चित किया कि हम एनएसडीसी के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए क्योंकि यह एक कौशल कार्यक्रम था। हम सभी संबंधित विभागों के नौकरशाहों को आमंत्रित करते थे (भले ही वे परियोजना के लिए जिम्मेदार न भी हों) और कभी-कभी मंत्रियों को भी बुलाते थे। यह सबकुछ सिर्फ इतना सुनिश्चित करने के लिए किया जाता था कि प्रत्येक व्यक्ति इस कार्यक्रम के बारे में जानता है और खुद को इससे जुड़ा हुआ महसूस करता है।

बड़े सरकारी कार्यक्रमों के प्रबंधन के लिए यह ‘ऑलवेज-ऑन’ मोड एक पूर्व-आवश्यक चीज है।

निष्पादन क्षमता का अर्थ बैठकों में उपस्थित होने और हर समय रिपोर्ट के लिए सरकार की मांग का जवाब देने की क्षमता भी होता है। बड़े सरकारी कार्यक्रमों के प्रबंधन के लिए यह ‘ऑलवेज-ऑन’ मोड एक पूर्व-आवश्यक चीज है। सीएसआर के साथ, बैठकों को पुनर्निर्धारित करने या रिपोर्ट जमा करने के लिए अधिक समय मांगने की सुविधा है। यदि परियोजना के नेतृत्वकर्ता को सीएसआर साझेदारी वाले वातावरण में काम करने की आदत है तो उस स्थिति में उनके लिए सरकारी परियोजना को समझना और उसके लिए प्रभावी होना मुश्किल होता है। 

हमनें सबसे महत्वपूर्ण बात जो सीखी वह यह थी कि निष्पादन क्षमता को सुनिश्चित करने से यह साझेदारी में महत्वपूर्ण मूल्य जोड़ता है, चाहे वह साझेदारी सरकारी हो या निजी। समय के साथ, हमनें ‘निष्पादन क्षमता और तत्परता मूल्य’ (ईसीआरए) उपकरण का निर्माण किया जो हमें किसी भी परियोजना के लिए अपनी तैयारी का आकलन करने और डिज़ाइन के स्तर पर ही इसके लिए योजना बनाने में मदद करता है।

अच्छी तरह से निष्पादित करें

हमने इस बात की खोज की कि किसी भी संस्थान को सरकार के साथ उसी स्थिति में साझेदारी करनी चाहिए जब वह इस बात को लेकर आश्वस्त हो कि वे अपने कार्यक्रमों के माध्यम से महत्वपूर्ण परिणाम हासिल कर सकते हैं। अच्छे परिणाम सरकार के साथ संबंधों को आगे बढ़ाएंगे, कार्यक्रम के उनके स्वामित्व को बढ़ाएंगे और विश्वास बनाने में मदद करेंगे।

हमने ‘संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों’ को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया। कॉर्पोरेट अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में इनकी बहुत अधिक मांग थी। गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम और कौशल प्रयोगशालाओं को डिजाइन करने के साथ-साथ, हमने यह सुनिश्चित किया कि उम्मीदवारों को मुख्य रोजगार योग्यता कौशल पर प्रशिक्षण मिले, प्रमाणित प्रशिक्षकों को काम पर रखा जाए और व्यापक नियोक्ता जुड़ाव का संचालन किया जाए। सहमति हासिल किए गए परिणामों को प्राप्त करने में हमारी मदद के लिए यह महत्वपूर्ण था।

आभार विश्वास को बढ़ाने का काम करेगा और इसके कारण सरकारी अधिकारी अतिरिक्त काम करेंगे।

जब सरकारी अधिकारियों ने पहले के कुछ चरणों के सफल समापन को देखा तब कार्यक्रम के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी बढ़ गई और वे अन्य जिला, राज्यों और विभागों के अपने सहकर्मियों के बीच इसे प्रचारित करने लगे। इससे हमें अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद मिली।

श्रेय दें

वास्तविकता यह है कि सरकार के साथ कई साझेदारियाँ विशिष्ट विभागों की योजनाओं को सफलता प्राप्त करने में सक्षम बनाती हैं। इसलिए, जब कार्यक्रम सफल होता है, तब यह आवश्यक है कि सरकारी तंत्र में काम कर रहे राज्य के अधिकारियों और अन्य लोगों को क्रेडिट दिया जाये जिन्होनें कार्यक्रम को शुरू करने और इसे आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आभार प्रकट करने से आपसी विश्वास बढ़ेगा और भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों में मदद करने के लिए सरकारी अधिकारी हर संभव सहायता देंगे। 

लचीले व्यवहार के साथ संपर्क करें

यह देखते हुए कि पिछले दशक में हमारा अनुभव काफी हद तक सीएसआर भागीदारों और फाउंडेशनों के साथ था, हमारी आंतरिक व्यवस्था—संचालन, वित्त, मानव संसाधन, और अन्य सहायता विभाग—भागीदारों के उस समूह के साथ काम करने के लिए तैयार थी। हमारी आंतरिक टीमों के लिए यह समझना चुनौतीपूर्ण था कि सरकार के साथ काम करने के लिए मानसिकता, कौशल और प्रतिक्रिया देने के समय में परिवर्तन की आवश्यकता थी।

स्त्रोत: डॉ रेड्डीज फाउंडेशन

संगठन के नेतृत्व को सरकारी संस्थाओं के साथ काम करने के लिए टीमों को संरेखित करने में समय और ऊर्जा निवेश करना चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि टीम के सभी सदस्य हमेशा कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखें और काम करें। इससे टीम और शेयरधारकों के बीच प्रतिदिन निष्पादन स्तर पर आने वाली समस्या को कम करने की संभावना भी बनी रहती है।

विस्तृत मानसिकता के साथ एक लचीले दृष्टिकोण पर चलने से एक बड़ी तस्वीर पर से ध्यान हटाये बिना आने वाली चुनौतियों का सही ढंग से सामना करने और उनका जवाब देने में मदद मिलेगी।

सुनियोजित जोखिम उठाएँ

अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुदान में देरी, सरकारी अधिकारियों के स्थानांतरण या कभी-कभी सरकार बदलने से संबन्धित कुछ जोखिम उठाए बिना सरकार के साथ बड़े पैमाने पर भागीदारी संभव नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, छोटे बजट वाले संगठनों के लिए सरकार के साथ काम करना बहुत अधिक खतरनाक होता है। अनुदान वितरण में होने वाली देरी एक सामान्य घटना है और अगर संगठन के पास अपने संचालन के लिए इतना पर्याप्त मात्रा में नकद का प्रवाह उपलब्ध नहीं कि वह अनुदान मिलने में आई देरी का सामना कर सके तो संभव है कि उसे कार्यक्रम को आंशिक रूप से या पूरी तरह बंद करना पद जाये।

बिना जोखिम उठाए बड़े पैमाने पर सरकारी साझेदारी संभव नहीं हो सकती है।

बड़े संगठनों को इस तरह के कार्यक्रमों का प्रबंधन करते समय कुछ फंड को अलग रखना चाहिए जिससे कि कुछ महीनों की देरी होने पर​ भी घबराहट की स्थिति पैदा नहीं होती है। बड़े पैमाने पर सरकारी साझेदारी शुरू करने से पहले, संगठनों को नकदी प्रवाह, कार्मिक परिवर्तन, नीति परिवर्तन की संभावना आदि जैसे कारकों को ध्यान में रखकर अच्छी तरह से भविष्य में आने वाले जोखिम का मूल्यांकन करना चाहिए।

सरकार के साथ साझेदारी के दूसरे चरण ने हमनें कई नई चीजें सीखीं। बेहतर अभ्यासों का पालन करते हुए, समय के साथ हमनें सरकार के प्रति अपने पूर्वाग्रहों को ख़त्म किया है। अगर हम ऊपर बताए गए कुछ निर्देशों का पालन करें तो सरकार के साथ की जाने वाली साझेदारी बहुत ही लाभदायक साबित हो सकती है।

अस्वीकरण: डॉक्टर रेड्डीज फ़ाउंडेशन सामाजिक क्षेत्र में कम चर्चित विषयों पर शोध और प्रसार के लिए आईडीआर का समर्थन करता है।

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ें

लेखक के बारे में
प्रणव कुमार चौधरी-Image
प्रणव कुमार चौधरी

प्रणव कुमार चौधरी डॉ रेड्डीज फाउंडेशन में संचालन के निदेशक हैं। सामाजिक अनुसंधान, आपदा जोखिम में कमी, बाल अधिकार, और आजीविका और कौशल विकास पर काम करने के साथ ही उनके पास विकास क्षेत्र में 14 साल का अनुभव है। उन्होंने डॉ रेड्डीज फाउंडेशन में अभिनव और प्रभावी वितरण मॉडल तैयार किए हैं, और उनके प्रमुख कौशल कार्यक्रम का नेतृत्व करते हैं। प्रणव ने बच्चों के लिए इरा की कहानियां नाम से अपनी हिन्दी कविताओं की एक किताब भी प्रकाशित की है।

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