पिछले कई वर्षों से जलवायु में लगातार असामान्य और चरम बदलाव देखे जा रहे हैं— जैसे तीव्र गर्मी, अचानक बाढ़ और गंभीर सूखा। ये स्पष्ट संकेत हैं कि धरती पर संकट गहरा रहा है। भारत जैसे देश में, जहां अर्थव्यवस्था बहुत हद तक खेती पर निर्भर करती है, उसके लिए जलवायु परिवर्तन अब एक दूर का खतरा नहीं रह गया है। इस संकट को समझने और उससे निपटने के लिए केवल वैज्ञानिक समाधानों को जानना भर काफी नहीं है। जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों, खासकर विकास सेक्टर में सक्रिय कार्यकर्ताओं और संगठनों के लिए जरूरी है कि वे जलवायु से जुड़ी मूलभूत शब्दावली को समझें और उसे अपनी भाषा और काम में शामिल करें।
इसीलिए इस वीडियो में जलवायु संकट से संबंधित पांच प्रचलित शब्दों पर बात की गई है। ये कुछ इस तरह हैं – जलवायु अनुकूलन, जलवायु शमन, जलवायु न्याय, हानि और क्षति, और जलवायु संकट के प्रति सहनशीलता। जलवायु चर्चाओं में अक्सर इन तकनीकी शब्दों का प्रयोग होता है। इनके मायने, मूल और महत्व समझकर, जलवायु संकट से अधिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ निपटा जा सकता है।
इस वीडियो को अंग्रेजी में देखें।
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