जमीनी स्तर पर संस्था की विभिन्न गतिविधियों पर कार्य रिपोर्ट लिखना, फील्ड कार्यकर्ताओं के काम का प्रमुख हिस्सा है। किसी भी प्रोजेक्ट की पूरी सफलता में योगदान देने के लिए प्रभावी रिपोर्टिंग आवश्यक होती है। लेकिन बहुत सी संस्थाओं में जिस तरह से रिपोर्ट लिखने की प्रक्रियाएं चल रही हैं, वे इन कार्यकर्ताओं के लिए बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण, बोझिल और असमंजस भरी बन चुकी हैं। इसलिए जरूरी है कि संस्थाओं द्वारा उनके दैनिक काम में रिपोर्ट लिखने की इस चुनौती का आकलन करके उसका समाधान किया जाए।
यह लेख, फील्ड कार्यकर्ताओं को रिपोर्टिंग के महत्व को समझने और अपनी रिपोर्ट लिखने की क्षमता को बढ़ाने पर आधारित है।
रिपोर्टिंग एक बोझ क्यों बन गई है?
फील्ड कार्यकर्ताओं के लिए यह रिपोर्टिंग प्रक्रिया जटिल और बोझिल बन गई है। मैंने अपने अभी तक के अनुभव में कई अलग-अलग कार्यकर्ताओं से बात करके जाना है कि उन्हें रिपोर्टिंग में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है:
- रिपोर्ट में क्या शामिल किया जाए, इसे लेकर अनिश्चितता: कई फील्ड कार्यकर्ताओं को यह स्पष्ट जानकारी नहीं होती कि उनकी दैनिक या साप्ताहिक गतिविधियों में से कौन सी गतिविधि रिपोर्टिंग के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इसलिए या तो वे रिपोर्ट में बहुत कम गतिविधियों को शामिल करते हैं या फिर उसमें अनावश्यक विवरण डाल देते हैं। उदाहरण के लिए, एक फील्ड कार्यकर्ता को इस बात को लेकर संदेह था कि समुदाय के किसी सदस्य के साथ प्रोजेक्ट के प्रभाव के बारे में हुई महत्वपूर्ण अनौपचारिक बातचीत को रिपोर्ट में शामिल करना चाहिए या नहीं।
- रिपोर्टिंग प्रारूपों को लेकर भिन्नता: कई फील्ड कार्यकर्ताओं के पास या तो कई सारे अलग-अलग रिपोर्टिंग प्रारूप होते हैं जिनमें उनका बहुत सारा समय जाता है। वहीं, कुछ अन्य कार्यकर्ताओं को संस्था से पहले से निर्धारित कोई रिपोर्टिंग टेम्पलेट नहीं मिलता है।
- भाषा संबंधी बाधाएं: कई ऐसे फील्ड कार्यकर्ता हैं जिन्हें अपने सीनियर को अंग्रेजी में रिपोर्ट लिखकर भेजनी पड़ती है। अंग्रेजी के साथ सहज न होने के चलते उन्हें सही भाषा में, सही जानकारी लिखने में बहुत मुश्किल होती है। हिंदी या अन्य स्थानीय भाषा में मिली जानकारियों अंग्रेजी भाषा में पेश करने की यह प्रक्रिया न केवल उनके लिए बहुत जटिल बल्कि अधिक समय लेने वाली भी बन रही है।
रिपोर्ट क्यों?
रिपोर्टिंग की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने से जुड़े सुझाव देने पहले ये समझ लेते हैं कि आखिर संस्थाओं के लिए यह इतनी महत्वपूर्ण क्यों होती है। इससे फील्ड कार्यकर्ताओं को न केवल रिपोर्टिंग के पीछे के उद्देश्य पता चल पाएंगे बल्कि उन्हें यह भी स्पष्ट होगा कि उनका काम कितना महत्वपूर्ण है:
- सीखना और सुधार: फील्ड गतिविधियों से जुड़ी रिपोर्ट्स केवल सफलताओं के बारे में नहीं होती हैं बल्कि वे वास्तविक चुनौतियों और क्या सीखने को मिला, इसके बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं। फील्ड में आने वाली मुश्किलों और सीख का दस्तावेजीकरण तथा उनके कारणों का विश्लेषण करके, समाजसेवी संस्थाएं सुधार के क्षेत्रों की पहचान कर सकती हैं। इससे न केवल वे अपनी रणनीतियों को बेहतर कर सकती हैं बल्कि समय के साथ अपनी प्रभावशीलता भी बढ़ा सकती हैं। अपने काम के प्रभाव को बढ़ाने और आने वाले समय के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सीखने की यह निरंतर प्रक्रिया आवश्यक है।
- रिपोर्टिंग, काम के प्रभाव और प्रगति को प्रदर्शित करती है: रिपोर्टिंग, समाजसेवी संस्थाओं के दिन-प्रतिदिन होने वाले वास्तविक कार्यों के परिणामों को दिखाने का काम करती है। मात्रात्मक डेटा (उपस्थिति, परीक्षा के अंक, सर्वेक्षण के पहले और बाद के परिणाम, आदि), गुणात्मक प्रतिक्रिया (साक्षात्कार, फोकस ग्रुप डिस्कशन, कोट्स, आदि) और फील्ड की रोचक कहानियों को प्रस्तुत करके रिपोर्ट, संस्था के प्रयासों द्वारा लाए गए सकारात्मक परिवर्तनों को दिखाने का काम करती है। काम के प्रभाव का यह सबूत अपनी बात को मजबूती देने तथा नए फंडिंग अवसरों को लाने के लिहाज से महत्वपूर्ण होता है।
- एडवोकेसी और जागरूकता को बढ़ावा देना: अच्छी तरह से तैयार की गईं फील्ड गतिविधियां, कुछ खास मुद्दों पर अपनी बात कहने और उनके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मजबूत प्रमाण देती हैं। फील्ड की रोचक कहानियों और डेटा को साझा करके, संस्थाएं न केवल जनता की राय को प्रभावित कर सकती हैं बल्कि उनका समर्थन भी जुटा सकती हैं।
- जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद: दानदाता, काम का सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए समाजसेवी संस्थाओं को फंड देते हैं। फील्ड गतिविधियों की रिपोर्ट से उन्हें पता चलता है कि उनके द्वारा दिए गए पैसे का किस तरह से उपयोग किया जा रहा है और संस्थाएं अपने वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह जवाबदेही दानदाताओं के साथ विश्वास बढ़ाने का काम करती हैं और यह आगे के लिए भी फंडिंग सुनिश्चित करने का आधार बनाता है।
- रिश्तों और सहयोग को मजबूत करता है: रिपोर्ट से समाजसेवी संस्थाओं और उनके हितधारकों, यानी दानदाता, स्वयंसेवकों और संबंधित समुदाय के बीच संवाद भी मजबूत होता है। कार्य प्रगति, उसकी चुनौतियां और भविष्य की योजनाओं को साझा करके, समाजसेवी संस्थाएं साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती हैं और इसके लिए आगे भी सहयोग जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
संस्थाओं के काम को जारी रखने के लिहाज से रिपोर्टिंग बहुत मायने रखती है।
इससे इनके बीच रिश्ते मजबूत होते हैं और सहयोग का एक बेहतर नेटवर्क बनता है जो संस्था के काम को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर, संस्थाओं के बेहतरीन काम को लंबे समय तक जारी रखने के लिहाज से जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग बहुत मायने रखती है।
इन चुनौतियों का समाधान:
रिपोर्टिंग से जुड़ी समस्याएं संस्था के संस्थागत ढांचे, उसकी प्रक्रियाओं और कल्चर से पैदा होती हैं। ऐसे में संस्थाओं के लिए भी यह सब व्यवस्थित करना कई बार इतना आसान नहीं रहता। इस लेख में रिपोर्टिंग से जुड़े कुछ ऐसे समाधानों का जिक्र है जिनसे फील्ड कार्यकर्ता भी अपने स्तर पर सुधार के कुछ कदम उठा सकते हैं।
प्रभावी रिपोर्टिंग के लिए कुछ सामान्य सुझाव
यहां रिपोर्टिंग से जुड़े कुछ बुनियादी नियम और सुझाव दिए गए हैं जिन्हें फील्ड कार्यकर्ता अपनी रिपोर्ट में शामिल कर सकते हैं:
- स्पष्ट और संक्षिप्त: अगर आप फील्ड कार्यकर्ता हैं तो आपको रिपोर्ट सीधे तरीके से लिखनी चाहिए तथा उसमें कहीं पर भी बढ़ा-चढ़ाकर लिखने से बचना चाहिए। उदाहरण के लिए, ‘हमने सर्वेक्षण पूरा किया’ लिखना, ‘हमने लगन से सर्वेक्षण पूरा किया’ की तुलना में अधिक प्रभावशाली है। ‘लगन से’ जोड़ने से सर्वेक्षण के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती है। रिपोर्ट में साझा की गई जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए। ‘हमने एक व्यापक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया’ की बजाय ‘हमने 25 किसानों को सतत कृषि तकनीकों पर प्रशिक्षित किया’ लिखना अधिक प्रभावशाली होगा। इसी तरह, ‘प्रोजेक्ट अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है’ के बजाय इस बात का उल्लेख करें कि ‘प्रोजेक्ट ने अपने लक्षित लाभार्थियों में से 60% तक को कवर कर लिया है।’
- डेटा-संचालित: रिपोर्ट में किसी भी दावे का सपोर्ट करने और प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए मात्रात्मक और गुणात्मक डेटा का उपयोग किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि किसी समुदाय में माताओं के साथ एक कार्यशाला आयोजित की गई थी तो उसमें यह जानकारी जोड़ें – कार्यशाला कब आयोजित की गई थी, कार्यशाला में कितनी माताएं शामिल हुईं, क्या उपस्थिति प्रतिशत अधिक या कम था या पिछली बार से अधिक या कम था, ऐसा क्यों था, कार्यशाला में क्या चर्चा की गई? यदि यह एक प्रशिक्षण था – तो पाठ्यक्रम का कौन सा भाग शामिल किया गया था, क्या प्रतिभागी इससे अच्छे से सीख पाये? प्रशिक्षण के बाद माताओं ने जो सीखा उसके उपयोग को कैसे ट्रैक किया जाएगा, वगैरह। यह सब अपनी रिपोर्ट में शामिल किया जा सकता है। रिपोर्ट में अन्य कथनों के उदाहरण जो प्रभावी हो सकते हैं, वे हैं:‘
- नए आउटरीच कार्यक्रम को लागू करने के बाद स्वास्थ्य क्लीनिक में उपस्थिति में 20% की वृद्धि हुई।’, और
- ‘पिछले सीजन की तुलना में पायलट क्षेत्र में फसल की पैदावार में 15% सुधार हुआ।’
- दृश्यात्मक रूप से आकर्षक रिपोर्ट: रिपोर्ट को आसानी से समझ में आने लायक और रुचिकर बनाने के लिए आपको फोटो, चार्ट और इन्फोग्राफिक्स जैसी चीजें शामिल करनी चाहिए। ये सादे शब्दों (टेक्स्ट) की तुलना में अधिक आकर्षक होते हैं। फील्ड के फोटो एक मानवीय तत्व भी प्रदान करते हैं और पाठक को संस्था के काम की वास्तविक दुनिया के प्रभाव से जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, खाद्य सुरक्षा प्रोजेक्ट की रिपोर्ट में स्थापित किए गए सामुदायिक उद्यान की एक तस्वीर शामिल की जा सकती है।
- प्रभावी जमीनी कहानियां: रिपोर्ट में भावनात्मक स्तर पर जुड़ने और काम के मानवीय प्रभाव को दिखाने के लिए समुदाय की व्यक्तिगत कहानियों और अनुभवों को शामिल करना हमेशा अच्छा रहता है। वास्तव में, कुछ दाताओं को रिपोर्ट में कहानियों और केस स्टडीज की आवश्यकता होती है। इसलिए आपको अपने समुदाय के भीतर होने वाले महत्वपूर्ण बदलावों और प्रभावशाली कहानियों को इकट्ठा करने के प्रति सचेत रहना चाहिए।
रिपोर्टिंग से जुड़ी फील्ड कार्यकर्ताओं की कुछ विशिष्ट समस्याएं:
(i) चुनौती #1: क्या दस्तावेजीकरण किया जाए, इस बारे में अस्पष्टता
प्रभावी रिपोर्टिंग की शुरुआत प्रोजेक्ट के लक्ष्यों की स्पष्ट समझ से होती है क्योंकि इसका प्रभाव काम पर देखने को मिलता है। आदर्श रूप से, संस्थाओं को अपने सभी टीम के सदस्यों, खासतौर पर फील्ड में काम करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ इस जानकारी को साझा करने के लिए एक मजबूत सिस्टम बनाना चाहिए।
फील्ड कार्यकर्ता के तौर पर आपको भी सक्रिय रूप से इसमें रुचि दिखाकर अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहिए। इससे आप केवल अपना काम करने तक ही सीमित न रहकर, व्यापक दृष्टिकोण में भी योगदान दे सकते हैं।
- प्रोजेक्ट की शुरुआत में मीटिंग के लिए अनुरोध करना: यदि संस्था के प्रबंधन द्वारा किसी प्रोजेक्ट के बारे में ठीक तरह से जानकारी नहीं दी गई हो तो आपको अपने मैनेजर से एक मीटिंग का अनुरोध करना चाहिए। इस मीटिंग में प्रोजेक्ट के उद्देश्यों, उसके अपेक्षित परिणामों और संबंधित प्रोजेक्ट के बड़े परिदृश्य में अपनी भूमिका को स्पष्टता से समझना चाहिए। इस मीटिंग में निगरानी और मूल्यांकन योजना जैसे विषयों को भी शामिल किया जाना चाहिए जिससे पता चले कि कौन सा डेटा इकट्ठा किया जाना चाहिए और क्यों। आप, अपनी रिपोर्टिंग को सही दिशा देने के लिए और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक चेकलिस्ट भी मांग सकते हैं।
- पहल करके प्रभावी ढंग से संवाद करना: आपको रिपोर्ट में वे सभी चीजें जोड़नी चाहिए जो प्रोजेक्ट को और बेहतर बना सकती हैं। यह जरूरी है कि आप प्रोजेक्ट से जुड़ी अपनी जरूरतों एवं चुनौतियों को अपने मैनेजर को स्पष्ट और पेशेवर तरीके से बताएं।
यहां बातचीत करने के कुछ तरीके साझा किये जा रहे हैं जो आप अपने मैनेजर से से कह सकते हैं,
- “मुझे पता है कि आप बहुत व्यस्त हैं लेकिन मेरा मानना है कि अगर मैं रिपोर्टिंग से जुड़ी कुछ ज़रूरी चीजों पर आपसे चर्चा करूंगी तो इससे मेरी रिपोर्ट की गुणवत्ता में काफी सुधार होगा। क्या हम इस गुरुवार को एक घंटे के लिए बात कर सकते हैं?”
- “मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कौन सी गतिविधियां रिपोर्ट में डालने से रिपोर्ट बेहतर हो सकती है। क्या हम इस गुरुवार एक घंटे के लिए इस पर चर्चा कर सकते हैं ताकि मैं सुनिश्चित कर सकूं कि जो मैं रिपोर्ट में शामिल कर रहा हूं वह सही रहेगी या नहीं?
- “मैं आपसे अभी तक जो काम हुआ है और अगली तिमाही की योजना पर दानदाता की प्रतिक्रिया जानना चाहता हूं। क्या हम इस पर चर्चा करने के लिए कोई समय निर्धारित कर सकते हैं? क्या हम इस गुरुवार को सुबह 11 बजे बात कर सकते हैं?”
जब इस तरह से आप अपने काम में सुधार और प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने को लेकर चर्चा के लिए पहल करते हैं तो अनुरोध करने से मैनेजर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की अधिक संभावना रहती है। संस्था के लिए यह प्रभावी रिपोर्टिंग, दाताओं को प्रोजेक्ट के इम्पैक्ट को दिखाने में मदद करता है। इससे आगे भी लगातार फंड और समर्थन मिलने की संभावना बढ़ती है।
(ii) चुनौती #2: रिपोर्टिंग प्रारूपों से जुड़ी समस्या
मैनेजर को फील्ड कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए एक प्रमाणिक और संक्षिप्त रिपोर्टिंग प्रारूप तैयार करना चाहिए। फॉर्मेट, प्रोजेक्ट की शुरुआत में ही कार्यकर्ताओं के साथ साझा करके उनके साथ स्पष्टता से चर्चा की जानी चाहिए।
कार्यकर्ताओं को खुद ही एक रिपोर्टिंग फॉर्मेट प्रस्तावित करके मैनेजर के साथ इसे तैयार कर देना चाहिए।
यदि ऐसा नहीं किया गया हो तो फील्ड कार्यकर्ताओं को खुद ही एक फॉर्मेट प्रस्तावित करना चाहिए इसके लिए अपने मैनेजर के साथ बैठक शेड्यूल करके टेम्पलेट, रिपोर्टिंग अपेक्षाओं पर चर्चा करने एक नियमित फीडबैक सिस्टम बनाना चाहिए।इस तरह के सहयोगात्मक दृष्टिकोण से न केवल कुशल और प्रभावी रिपोर्टिंग सुनिश्चित होती है बल्कि इससे संस्था और फील्ड कार्यकर्ता दोनों को ही लाभ होता है।
आप अपने मैनेजर से कह सकते हैं,
- “मैंने इस कार्यक्रम में जो महत्वपूर्ण हो सकता है उसके आधार पर यह साप्ताहिक रिपोर्टिंग टेम्पलेट बनाया है। क्या हम गुरुवार को एक घंटे के लिए बात कर सकते हैं ताकि आप मुझे इस टेम्पलेट पर फीडबैक दे सकें ताकि हम इसे अंतिम रूप दे सकें? इससे मुझे यह सुनिश्चित करने में बहुत मदद मिलेगी कि मैं सप्ताह की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों पर रिपोर्ट तैयार करूं।“
यहां पर उदाहरण के तौर पर शिक्षा सेक्टर के लिए एक टेम्पलेट साझा किया जा रहा है जिसके आधार पर आप अपनी दैनिक अथवा साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं। रिपोर्ट को कैसे भरा जा सकता है, इसका उदाहरण दिखाया गया है।
इसके साथ ही इस लेख के अंत में, आपके साथ रिपोर्टिंग के लिए आजीविका, ग्रामीण विकास और जेन्डर (लिंग) सेक्टर के लिए भी टेम्पलेट संलग्न किए हैं। इन्हें आप अपने लिए शुरुआत के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
टेम्पलेट्स का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- इन टेम्पलेट्स को उपयोग आप अपनी संस्था के विशिष्ट कार्यक्रमों और गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए करें।
- आपको इन टेम्पलेट्स में अपनी संस्था के कार्यक्रमों और गतिविधियों के इम्पैक्ट को शामिल करना होगा।
- रिपोर्टिंग और बेस्ट प्रैक्टिस के आधार पर टेम्पलेट की नियमित रूप से समीक्षा और उन्हें अपडेट करने की आवश्यकता हो सकती है।
- रिपोर्ट के प्रत्येक अनुभाग के विवरण के स्तर पर प्रबंधन के साथ सहमति की आवश्यकता होगी।
- रिपोर्ट पर चर्चा करने और उसका उपयोग कैसे किया जा रहा है, इस बारे में जानकारी लेने के लिए मैनेजर के साथ हफ्ते में चेक-इन करना चाहिए।
- रिपोर्ट लिखने के लिए एक नियमित समय तय करना सबसे अच्छा होगा (उदाहरण के लिए, प्रत्येक शुक्रवार दोपहर 2 बजे या हर दिन 5-5.30 बजे) ताकि निरंतरता बनी रहे और लिखने की आदत बने।
(iii) भाषा संबंधी बाधाओं के लिए:
विकास सेक्टर में, वैसे तो अंग्रेजी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, लेकिन फ़ील्ड कार्यकर्ताओं को अंग्रेजी में रिपोर्ट लिखने की आवश्यकता एक बड़ी बाधा पैदा करती है। अधिकांश फील्ड कार्यकर्ता मुख्यरूप से अपनी स्थानीय भाषाओं में समुदायों के साथ बातचीत करते हैं। उनसे अपने अनुभवों और अवलोकन का अंग्रेजी में अनुवाद करने की अपेक्षा करने से उसमें अशुद्धियां और गलत व्याख्या होने की संभावना रहती है।
इस चुनौती पर काबू पाने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- तकनीक को अपनायें: यदि अंग्रेज़ी में रिपोर्टिंग लिखना बहुत ही ज़रूरी हो तो आप गूगल ट्रांसलेट या भाषिणी एआई जैसे अनुवाद टूल्स का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन, उनकी सीमाओं के बारे में भी सचेत रहना जरूरी है। ये टूल हमेशा किसी भी मूल टेक्स्ट का अर्थ हिन्दी से अंग्रेजी में पूरी तरह से नहीं बदल सकते, खासकर जब जमीनी सांस्कृतिक बारीकियों या जटिल स्थितियों से निपटने की बात हो रही हो। अनुवाद होने के बाद हमेशा सावधानीपूर्वक उसे पढ़ना चाहिए। अनुवाद की गुणवत्ता और भाषा कौशल में सुधार सुनिश्चित करने के लिए, फील्ड कार्यकर्ताओं को अपने ऐसे सहकर्मी या मैनेजर के साथ बात करनी चाहिए जो दोनों ही भाषाओं को अच्छे से समझते हों। ये अनुवाद और उसमें किसी भी अशुद्धि को आपके सामने लाने का काम कर सकते हैं। इस लगातार अभ्यास से आप में न केवल भाषा को रिपोर्टिंग के लिहाज से समझने में मदद मिलेगी बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
- खुला कम्युनिकेशन बनाए रखें: आपको अपने मैनेजर को बताना चाहिए कि आप रिपोर्ट का अनुवाद करने के लिए टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उन्हें भी संभावित अशुद्धियों को लेकर अंदाज़ा रहेगा और इससे साप्ताहिक चेक-इन कॉल या मीटिंग के दौरान इस पर चर्चा करने का भी मौका मिलता है।
- अपना पक्ष मजबूती से रखें: आपको अपने मैनेजर से अंग्रेजी में रिपोर्टिंग की चुनौतियों के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। अपने मैनेजर को बताना चाहिए कि जमीनी स्तर पर स्थानीय भाषा में इकट्ठा की गई जानकारियां व भाव, अनुवाद करने की प्रक्रिया में गुम हो जाते हैं। इससे मैनेजर भी वास्तविकता को समझते हुए उसका उचित हल निकाल सकते हैं।
प्रभावी रिपोर्टिंग से जुड़ी प्रमुख बातें
- रिपोर्टिंग प्रारूपों को प्रामाणिक करना: यदि संस्था में प्रामाणिक रिपोर्टिंग टेम्पलेट की कमी है तो आपको पहल करने की आवश्यकता होगी। आप एक ऐसा टेम्पलेट बना सकते हैं जो आवश्यक जानकारी को कैप्चर कर सकता हो और फिर इसे अपने मैनेजर के साथ बेहतर बनाने के लिए सहयोग मांग सकते हैं। यह आपसी सहयोग का नजरिया न केवल जवाबदेही (ओनरशिप) की भावना को बढ़ावा देता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि यह संस्था की आवश्यकताओं के अनुरूप भी हों।
- प्रोजेक्ट को बड़े स्वरूप में समझें: प्रभावी रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के लक्ष्यों, उसके आने वाले इम्पैक्ट और दाताओं की अपेक्षाओं की साफ समझ से शुरू होती है। यदि यह जानकारी नहीं है तो आपको अपने मैनेजर के साथ इसको लेकर बैठक करने का अनुरोध करना चाहिए। काम के पीछे के ‘क्यों’ को समझना सशक्त बनाता है और एक ऐसी रिपोर्ट में सहयोग करता है जो अधिक सार्थक होगी और दैनिक गतिविधियों को बड़े दृष्टिकोण से जोड़ेगी।
- खुला कम्युनिकेशन रखें: आप अपने मैनेजर के साथ नियमित चेक-इन कॉल में रिपोर्ट पर चर्चा करने, स्पष्टीकरण मांगने और प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए भी कर सकते हैं। इस प्रकार का लगातार कम्युनिकेशन चीजों को व्यवस्थित करने में मदद करता है, सीखने की प्रक्रिया को आसान बनाता है और कार्य संबंध को मजबूत बनाता है।
याद रखें, फील्ड कार्यकर्ता के तौर पर आपकी भूमिका सिर्फ़ फ़ॉर्म अथवा फॉर्मेट भरने से कहीं ज्यादा है। जैसे-जैसे आप अपना बेहतरीन काम करते जाते हैं, तो संस्था के लिए भी आपकी बात मायने रखती है। प्रभावी रिपोर्टिंग के जरिए संस्था से लगातार कम्युनिकेशन बनाने से संस्था को भी पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावशाली बनने में मदद मिलती है।
रिपोर्टिंग टेम्पलेट सैम्पल: शिक्षा, आजीविका, ग्रामीण विकास और जेन्डर (लिंग)
आस्था दुआ एक सोशल इम्पैक्ट कंसल्टेंट हैं।
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अधिक जानें
- जानें कि समाजसेवी संस्थाओं के जमीनी कार्यकर्ताओं की मुख्य चुनौतियां क्या हैं।
- जानें कि एक भारतीय एनजीओ के लिए प्रभावी संचार से जुड़ी जानकारियां क्यों ज़रूरी है।
- शोध टीम में संचार कर्मचारियों को शामिल करने के लाभ और चुनौतियों के बारे में जानने के लिए इस रिपोर्ट को पढ़ें।
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