केरल में एक गैर-लाभकारी संस्था की स्थानीय शासन तंत्र के साथ साझेदारी दिखाती है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को जनस्वास्थ्य प्रणाली में कैसे शामिल किया जा सकता है।
एक्टिविस्ट और स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र गुप्ता बताते हैं कि भारत में स्वास्थ्य के प्रति नज़रिया बदलना क्यों ज़रूरी है और राइट टू हेल्थ अधिनियम और जनस्वास्थ्य अभियान को बढ़ावा देना कितना अहम है।
केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो अपने सीमित आर्थिक बजट के भीतर ही गंभीर और खर्चीली बीमारियों के लिए यह नई तरह की स्वास्थ्य बीमा योजना ला सकती है और हर सामाजिक-आर्थिक वर्ग के लोग इसका फायदा उठा सकते हैं।
बिहार सरकार द्वारा स्थापित बिमहास, उत्तर भारत में सार्वजनिक मानसिक स्वास्थ्य का केंद्र बन सकता है। इसके लिए मनोसामाजिक विकलांगता को लेकर जागरुकता अभियान और सहयोग की भी जरूरत होगी।