राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि अभी भी हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाएं और पांच साल तक की उम्र के अधिकतर बच्चे कुपोषण मुक्त नहीं हुए हैं।
बाल-विवाह का अपराधीकरण कर असम सरकार एक तरफ जहां महिलाओं के निजी चुनाव के अधिकार का हनन कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इसके रोकथाम के प्रयासों को भी कमजोर कर रही है।