January 20, 2022

अपने स्वयंसेवी संस्था को मुश्किलों से दूर रखें

सीएसआर और एफ़सीआरए के नियमों का पालन करते समय स्वयंसेवी संस्थाओं को नौ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
8 मिनट लंबा लेख

जैसे जैसे स्वयंसेवी संस्थाएँ विकसित होने लगती हैं वैसे वैसे उनकी कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता जांच के अधीन आने लगती हैं। यहाँ हम ऐसे नौ नियामक बेस्ट प्रैक्टिस के बारे में बता रहे हैं जिनका पालन स्वयंसेवी संस्थाओं को करना चाहिए, विशेष रूप से तब जब उन्हें सीएसआर वित्तपोषण और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2010 (एफ़सीआरए) के नियमों का पालन करना होता है:

1. विक्रेता अनुबंध के बजाय अनुदान अनुबंधों का चुनाव करना चाहिए

सीएसआर साझेदारी के लिए नियम एवं शर्तों को तय करते समय कंपनियाँ अक्सर विक्रेता अनुबंध वाले विकल्प का चुनाव करती हैं जहां स्वयंसेवी संस्था को सेवा प्रदाता की भूमिका में देखा जाता है। अनुदान कर्ता और स्वयंसेवी संस्था दोनों को ही इस विकल्प को नजरअंदाज करना चाहिए क्योंकि विक्रेता अनुबंध में जीएसटी और टीडीएस जैसे अतिरिक्त खर्च शामिल होते हैं और साथ ही स्वयंसेवी संस्था को जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण करवाने के लिए अतिरिक्त नियमों का पालन करना पड़ता है। अनुदान अनुबंध न केवल सरल है बल्कि यह इस बात को भी सुनिश्चित करता है कि दूसरे प्रकार के अनुबंध के तहत जीएसटी और टीडीएस के खाते में जाने वाला पैसा भी इस कार्यक्रम पर ही खर्च हो रहा है।

2. उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त करना

परियोजना या वित्तीय वर्ष के अंत में आपको अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से उपयोगिता प्रमाणपत्र की मांग करनी चाहिए। इस उपयोगिता प्रमाणपत्र में मिलने वाले कुल अनुदान की राशि, उपयोग की गई राशि, बची हुई राशि (बहुवर्षीय परियोजनाओं के मामले में), बैंक से प्राप्त ब्याज की राशि और परियोजना पर खर्च होने वाली कुल राशि के साथ ही अन्य चीजें शामिल हो सकती हैं। आप किसी भी प्रकार की पूंजी निवेश व्यय (लैपटॉप, कंप्यूटर आदि) का विवरण भी मांग सकते हैं। हालांकि इसकी जरूरत नहीं होती है फिर भी यह एक ऐसी चीज है जो आपके पास होनी चाहिए क्योंकि ऑडिटर (लेखा परीक्षक) इस बात की जांच करेंगे कि सीएसआर के तहत मिलने वाली राशि का उपयोग आपने सही तरीके से किया है। जांच के समय भी इन दस्तावेजों को दिखाया जा सकता है।

3. अनिवार्य विनियमन से परे जाकर बेस्ट प्रैक्टिस को बनाए रखना

स्वयंसेवी संस्थाओं को कानूनी रूप से आयकर अधिनियम 1961 या कंपनी अधिनियम 2013 जैसे नियमों का पालन करना पड़ता है। हालांकि, इनसे परे जाना और आंतरिक स्व-शासन प्रथाओं के निर्माण पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, जैसे एक मजबूत मानव संसाधन नीति, वित्तपोषण की नीति, यौन उत्पीड़न रोकथाम की नीति (यदि संगठन 10 लोगों से बड़ा है) और एक बोर्ड नीति। इन नीतियों के माध्यम से स्वयंसेवी संस्थाएं अधिक कुशलतापूर्वक काम करने के योग्य हो जाती हैं।

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4. अपने बोर्ड की सदस्यता में आए बदलाव की रिपोर्ट 15 दिनों के अंदर करें

अगर आप एक ऐसी स्वयंसेवी संस्था है जो एफसीआरए के तहत अनुदान पाने के योग्य है तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप अपने बोर्ड की सदस्यता में आने वाले किसी भी तरह के परिवर्तन की सूचना 15 दिनों के भीतर गृह मंत्रालय को देते हैं। हालांकि आधिकारिक नियम यह कहता है कि बोर्ड में आए बदलाव को 50 प्रतिशत तक पहुँचने पर ही सूचित किया जाना चाहिए लेकिन व्यवहार में इस नियम में संशोधन किया जा चुका है।

इसके अतिरिक्त, इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आपके बोर्ड सदस्यों में विदेशी नागरिक, राजनीतिज्ञ, पत्रकार और सरकारी अधिकारी आदि न हों और आपकी संस्था के मुख्य कार्यकर्ता एफसीआरए के किसी अन्य स्वयंसेवी संस्था के मुख्य कार्यकर्ता न हों। 

5. सीएसआर फंडों को स्वीकार करने से पहले विदेशी स्त्रोतों की सावधानीपूर्वक जांच करें

भारत में सीएसआर करने वाली बहुत सी कंपनियाँ इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि वे विदेशी स्रोत हैं या भारतीय स्रोत। विशेष रूप से इस बात पर बहुत अधिक बहस हो चुकी है कि एफसीआरए के तहत कंपनियों की सहायक कंपनियाँ विदेशी स्त्रोत हैं या नहीं। एफसीआरए नियम यह स्पष्ट करते हैं कि एक विदेशी स्रोत एक ऐसा व्यवसाय है जो या तो विदेश में बना है या एक विदेशी कंपनी की सहायक कंपनी है या एक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी है। यह फ्लोचार्ट इस काम के निर्धारण में सहायक हो सकता है कि आपकी कंपनी को किस स्रोत के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है और इसके आधार पर एफसीआरए मानदंडों के अनुरूप धन को बांटा जा सकता है।

कंपनी और स्वयंसेवी संस्था दोनों को ही यह बात याद रखनी चाहिए कि सिर्फ इसलिए कि पैसा रुपए में दिया जा रहा है इसका मतलब यह नहीं है कि स्रोत भारतीय है।

विदेशी स्रोत और स्थानीय स्रोत के बीच अंतर दिखाने वाला फ़्लोचार्ट_AccountAble-स्वयंसेवी संस्था
स्त्रोत: AccountAble, 2018

6. एफसीआरए धन से प्राप्त होने वाली सभी रसीदों को विदेशी योगदान के रूप में मानें

एफसीआरए फंड के उपयोग से निकलने वाली किसी भी प्रकार की धनराशि को विदेशी योगदान माना जाएगा और इनका रसीदों के रूप में अलग से हिसाब और रिपोर्ट किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि उदाहरण के लिए अगर आपने एफसीआरए के पैसे से एक गाय खरीदी है, उस गाय से दूध निकाला, गाय के दूध से बर्फी बनाई और उस बर्फी को बेचा तो उस बिक्री से होने वाली आय को विदेशी योगदान माना जाएगा।

एफसीआरए के फंडों के लेखांकन की बात आती है तो परियोजनाओं के अनुसार खातों का सिर्फ एक समेकित सेट रखना बेहतर होता है और लगभग सभी संस्थाएं इसका पालन करती हैं।

7. अपने एफसीआरए लाइसेन्स के नवीनीकरण को लेकर सक्रिय रहें

अपने एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए जल्द से जल्द आवेदन करना चाहिए, और अगर संभव हो तो इसके रद्द होने के छ: से बारह महीने के अंदर नवीनीकरण करवा लेना चाहिए। ऐसा करने से प्रक्रिया पूरी करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। इस बात को सुनिश्चित करें कि नवीनीकरण शुल्क जमा हो चुका है, सही ईमेल और मोबाइल नंबर (चूंकि इन्हें नादला नहीं जा सकता है) दिया गया है, और हर एक-दो दिन में अपने आवेदन की स्थिति की जांच करते रहें। जांच के दौरान अगर आवेदन से जुड़ा किसी भी तरह का प्रश्न पूछा गया है तो उसका जवाब 15 दिनों के भीतर देना चाहिए। अगर आवेदन का नवीनीकरण समय से नहीं हुआ है तो उस स्थिति में एफसीआरए फंड लेना बंद कर देना चाहिए।

इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि नवीनीकरण के लिए आवेदन की प्रक्रिया के रूप में न्यासियों (ट्रस्टीज़) को एक शपथ पत्र जमा करवाना होता है जिसमें यह लिखा होता है कि वे अपनी जानकारी में आए अपनी संस्था या इसके किसी सदस्य, पदाधिकारी या प्रमुख अधिकारी या अधिकारियों द्वारा एफ़सीआरए की धारा 12(4) के प्रावधानों के उल्लंघन की सूचना देंगे। इस संशोधन का एक हद तक प्रतिरोध हुआ, और शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मौजूदा ट्रस्टियों के साथ लंबी बातचीत की आवश्यकता हो सकती है, और/या उन्हें नए ट्रस्टियों के साथ बदल दिया जा सकता है।

बास्केटबॉल रणनीति ड्राइंग बोर्ड_रॉपिक्सेल-स्वयंसेवी संस्था
अनिवार्य विनियमन से परे जाना और आंतरिक स्व-शासन प्रथाओं के निर्माण पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है | चित्र साभार: रॉपिक्सेल

8. प्रशासनिक और कार्यक्रम व्यय के बीच के अंतर से सावधान रहें

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 और सीएसआर नियमों के तहत यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि एक प्रशासनिक व्यय के रूप में किन चीजों की गिनती हो सकती है और किन खर्चों को एक कार्यक्रम व्यय के रूप में देखा जा सकता है। अस्पष्टता से बचने के लिए साझेदारी की शर्तों से सहमत होते हुए इसे निर्धारित करना सबसे अच्छा है। एक आम सिद्धांत यह है कि परियोजना के कार्यान्वयन में शामिल किसी भी व्यक्ति (जैसे, एक शिक्षक या आउटरीच कार्यकर्ता) का वेतन कार्यक्रम लागत के अंतर्गत आएगा।

सीएसआर करने वाली कंपनियों के लिए, अपने आंतरिक प्रशासनिक ओवरहेड्स को 5 प्रतिशत तक सीमित करने की अतिरिक्त आवश्यकता होती है।

एफसीआरए का अनुपालन करते समय यह अंतर और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जिसके अनुसार विदेशी योगदान का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा प्रशासनिक व्यय पर खर्च नहीं किया जा सकता है। यह देखते हुए कि स्वयंसेवी संस्थाएं आमतौर पर प्रशासनिक लागतों पर 10–15 प्रतिशत खर्च करती हैं, यह अत्यधिक लग सकता है। हालांकि, एफसीआरए के तहत प्रशासनिक खर्चों को विशेष रूप से परिभाषित किया गया है, और इसमें सभी कर्मचारियों के वेतन के साथ किराया, ओवरहेड्स, शुल्क और यात्रा शामिल है।
यह सभी कर्मचारियों के वेतन का समावेश होता है जिसके परिणामस्वरूप 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक हो सकता है और यह एक ऐसी चीज है जिसका स्वयंसेवी संस्थाओं को ध्यान रखना चाहिए।

सीएसआर करने वाली कंपनियों के लिए, अपने आंतरिक प्रशासनिक ओवरहेड्स को 5 प्रतिशत तक सीमित करने की अतिरिक्त आवश्यकता होती है। यदि कंपनी जरूरतें और/या प्रभाव आकलन कर रही है तो सीमा को और 5 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है ध्यान देना आवश्यक है कि प्रशासनिक व्यय पर ये प्रतिबंध केवल फंड देने वाले पर लागू होते हैं न कि सीएसआर फंड प्राप्त करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं पर।

9. प्राप्त विदेशी धन को सार्वजनिक करें

एफसीआरए लाइसेंस के साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं को तिमाही के अंत के 15वें दिन तक अपने विदेशी योगदान की त्रैमासिक प्राप्तियों को सार्वजनिक रूप से अपनी वेबसाइट पर या एफसीआरए वेबसाइट पर साझा करना आवश्यक है। एक और कम ज्ञात जरूरत यह है कि स्वयंसेवी संस्थाओं को अपने एफसीआरए लेखा परीक्षित वित्तीय विवरण हर साल अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करना चाहिए (यदि उनके पास एक वेबसाइट है)।

चर्चा 2020 में नोशीर दादरावाला और संजय अग्रवाल ने गैर-लाभकारी संस्थाओं के लिए सीएसआर और एफसीआरए अनुपालन के विषय पर बातचीत की।

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  • इस बारे में जानें कि भारत में स्वयंसेवी क्षेत्र को व्यापक कानूनी सुधारों की आवश्यकता क्यों है।
  • परोपकार की उन्नति के लिए सेंटर फ़ॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ फ़िलैंथ्रपी (सीएपी) के ब्लॉग के बारे में जानें जिसमें भारत में नवीनतम कानूनी और अनुपालन-संबंधी विकास शामिल हैं।
  • सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा और एफसीआरए के आसपास के रुझानों का विश्लेषण पढ़ें
  • भारत में स्वयंसेवी संस्थाओं और सार्वजनिक ट्रस्टों के सामने आने वाली कुछ प्रमुख एफसीआरए और कर चुनौतियों पर आयोजित इस वेबिनार को देखें।
  • देखें अकाउंटएबल—एक पत्रिका जिसमें स्वयंसेवी विनियमन और लेखांकन के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।

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लेखक के बारे में
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तनाया जगतियानी

तनाया जगतियानी आईडीआर में एक संपादकीय सहयोगी हैं, जहां वह लेखन, संपादन, क्यूरेटिंग और प्रकाशन सामग्री के अलावा, फैल्यर फ़ाइल्स का प्रबंधन करती हैं। वह वेबसाइट प्रबंधन, इंटर्न की भर्ती और सलाह, और बाहरी संचार परामर्श कार्य पर भी टीम का समर्थन करती है। इससे पहले, उन्होंने कोरम बीनस्टॉक, संहिता सोशल वेंचर्स और एक्शनएड इंडिया में इंटर्नशिप किया है। तनाया ने एसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय, से वैश्वीकरण और विकास में एमएससी और सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई, से समाजशास्त्र में बीए किया है।

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