हल्का-फुल्का
March 15, 2024

क्या आपका जामनगर से आई इन तस्वीरों से कोई वास्ता है… देखिए, शायद हो?

न तो जामनगर का मेहमान होना आसान बात है और ना ही सोशल सेक्टर में काम करना।
4 मिनट लंबा लेख

1. डायरेक्टर, जो कम्युनिटी और फंडर के बीच पिस गया है।

फोटो साभार: पीटीआई

2. रिसर्चर, जो सिर्फ रिसर्च में विश्वास करते हैं, मार्केटिंग में नहीं।

फोटो साभार: रिलायंस ग्रुप

3. कम्युनिकेशन ऑफिसर, जो अपनी टीम से कंटेंट मांग-मांग के थक गया है (पर टीम है कि जो अपने में ही मस्त है!)

फोटो साभार: रिलायंस ग्रुप

4. फंडरेज़र, जो अपने काम में माहिर है… अपनी तमाम तिकड़म बाजियों के साथ।

फोटो साभार: बॉलीवूड हंगामा

5. कार्यकर्ता, जिसे लगता है सब सही चल रहा है!

फोटो साभार: रिलायंस ग्रुप

6. मैनेजर, जो अपने उन ओवर-एक्साइटेड वॉलंटीयर्स को संभालता फिरता हैं जिन्होंने सोशल सेक्टर में कदम रखा ही है।

फोटो साभार: इंस्टाग्राम/ऑररी
लेखक के बारे में
रजिका सेठ
रजिका सेठ आईडीआर हिंदी की प्रमुख हैं, जहां वह रणनीति, संपादकीय निर्देशन और विकास का नेतृत्व सम्भालती हैं। राजिका के पास शासन, युवा विकास, शिक्षा, नागरिक-राज्य जुड़ाव और लिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने का 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने रणनीति प्रशिक्षण और सुविधा, कार्यक्रम डिजाइन और अनुसंधान के क्षेत्रों में टीमों का प्रबंधन और नेतृत्व किया। इससे पहले, रजिका, अकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में क्षमता निर्माण कार्य का निर्माण और नेतृत्व कर चुकी हैं। रजिका ने टीच फॉर इंडिया, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी और सीआरईए के साथ भी काम किया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में बीए और आईडीएस, ससेक्स यूनिवर्सिटी से डेवलपमेंट स्टडीज़ में एमए किया है।
रवीना कुंवर
रवीना कुंवर, आईडीआर हिंदी में डिजिटल मार्केटिंग एनालिस्ट हैं। इससे पहले वे एक रिपोर्टर के तौर पर काम कर चुकी हैं जिसमें उनका काम मुख्यरूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था। रवीना, मीडिया और कम्युनिकेशन स्टडीज़ में स्नातकोत्तर हैं।