May 30, 2025

ग्रामीण स्वास्थ्य की हकीकत: ‘ग्राम चिकित्सालय’ के माध्यम से!

जब डॉक्टर बीमारी के लक्षण गूगल करे या बीपी मशीन में छेद हो—तो समझिए, यही है हमारी ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था!
5 मिनट लंबा लेख

1. जब ब्लॉक अधिकारी को रिपोर्ट भेजनी हो, इंटरनेट कमजोर हो और नेटवर्क आते ही बिजली गुल हो जाए। तब स्वास्थ्य कर्मी:

2. जब शहर से आए डॉक्टर को गांव की भाषा समझ न आए। मरीज बोले, “पेट में हल्ला है” और डॉक्टर को गूगल का सहारा लेना पड़े:

3. जब डॉक्टर दीदी गांव के आदमियों के सामने पीरियड से जुड़ी बातें करने लगे, तो गांव वाले सकपकाते हुए:

फेसबुक बैनर_आईडीआर हिन्दी

4. जब अधिकारी पूछे, “आखिर ऐसी क्या खास बात है गांव की मिट्टी में कि किसी का भी बीपी नहीं बढ़ता?” तब कंपाउंडर:

5. जब शहरी इलाके से तबादला होकर आए डॉक्टर साहब ग्रामीण पीएचसी का जायजा लेने पहुंचे:

6. जब स्वास्थ्य संबंधी सरकारी नीतियां लागू की जाती हैं, लेकिन धरातल पर हालात कुछ और होते हैं:

लेखक के बारे में
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सलोनी सिसोदिया

सलोनी सिसोदिया आईडीआर में मल्टीमीडिया एनालिस्ट हैं। इससे पहले उन्होंने फेमिनिज़म इन इंडिया के साथ सीनियर डिजिटल एडिटर के रूप में भी काम किया है तथा जेंडर, कल्चर, समाज और सिनेमा जैसे विषयों पर मुख्य तौर पर अनुभव रखती हैं। सलोनी ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपनी पढ़ाई की है। वह फोटो निबंध, फोटोग्राफी और ट्रेवल करने में ख़ास रूचि रखती हैं।

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रवीना कुंवर

रवीना कुंवर, आईडीआर हिंदी में डिजिटल मार्केटिंग एनालिस्ट हैं। इससे पहले वे एक रिपोर्टर के तौर पर काम कर चुकी हैं जिसमें उनका काम मुख्यरूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था। रवीना, मीडिया और कम्युनिकेशन स्टडीज़ में स्नातकोत्तर हैं।

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