February 22, 2023

समाजसेवी संस्थाएं फंडरेजिंग की रणनीति कैसे बनाएं?  

शोध, नेटवर्किंग, लीडरशिप और टीम तैयार करने से जुड़े ये नौ सुझाव अपनाकर समाजसेवी संस्थाएं बेहतर फंडरेजिंग हासिल कर सकती हैं।
11 मिनट लंबा लेख

1. अपने उद्देश्य और मूल्यों से जुड़े दानदाताओं की पहचान करने के लिए शोध में निवेश करें

ज़्यादातर संगठन फंडरेजिंग के लिए शोध को उचित महत्व नहीं देते हैं। नतीजतन उन्हें दानदाताओं की एक लंबी फेहरिश्त से गुजरना पड़ता है और उनके पास सम्भावित दानदाताओं को अपने वास्तविक दाताओं में बदलने का समय भी बहुत कम होता है। फंडरेजिंग से जुड़ी रणनीति की योजना बनाते समय अपने अधिकतम संभावना वाले दाताओं की पहचान करना और दान करने के उनके उद्देश्यों को जानना बहुत जरूरी है।

100 से अधिक फाउंडेशनों के डेटाबेस वाले कैंडिड जैसे प्लेटफ़ॉर्म आपके उद्देश्य और जगह (लोकेशन) के लिए सबसे उपयुक्त दानदाताओं की पहचान करने में आपकी मदद कर सकते हैं। इसी तरह, तमुकु एक सब्सक्रिप्शन पर आधारित मंच है जो फंडरेजिंग के लिए बेहतर गुणवत्ता और प्रासंगिक जानकारी, अवसरों, साधनों, और संसाधनों की पहचान करता है, इनकी व्यवस्था करता है और उपलब्ध करवाता है। उपयुक्त साबित हो सकने वाले हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) की पहचान करने के लिए, आप वार्षिक हुरुन इंडिया परोपकार सूची देख सकते हैं।

संस्थाओं को फ़ंडिंग देने का फ़ैसला करने वाले लोगों, फ़ंडिंग देने की उनकी प्रेरणा, आपके उद्देश्यों के साथ मेल, बदलाव की परिकल्पना और अन्य समाजसेवी संस्थाओं के साथ जुड़ने के तरीके के बारे में विस्तार से जानें। सबसे अच्छा तरीका है कि आप उन्हें विभिन्न मंचों पर सुनें, सोशल मीडिया पर उन्हें फ़ॉलो करें, उनके विचारों को बताने वाले आधारित लेख पढ़ें, और उनके द्वारा पहले से सहयोग हासिल कर चुकी समाजसेवी संस्थाओं से बात करें। फिर दाताओं की एक सूची बनाएं और ई-मेल से मीटिंग में कम से कम 50 फ़ीसदी सफलता दर का लक्ष्य रखें।

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2. अपने टारगेटेड दानदाताओं से सम्पर्क करें

अपने मनचाहे दाताओं तक पहुंचने का सबसे प्रभावी तरीक़ा यह है कि आप अपने नेटवर्क के भीतर ही कोई साझा संपर्क ढूंढें। इनमें विशेष रूप से सलाहकार और/या गवर्निंग बोर्ड के वे सदस्य हों जो आपको उनसे मिलवा सकते हैं। यदि एक साझा संपर्क सूत्र नहीं है तो उन साझा हितों को ढूंढें जो उनसे बातचीत शुरू करने में आपकी मदद कर सकती हैं। आप कई ऑनलाइन मंचों पर सीनियर कॉर्पोरेट लीडर्स और युवा समाजसेवियों को ढूंढ सकते हैं और वहां उनके साथ सामाजिक मुद्दों पर सार्थक संवाद का प्रयास भी कर सकते हैं।

फंडरेजिंग ‘दोस्त-बनाना’ भी है। इसलिए अपने संभावित दाताओं को अपने हितधारकों के लिए आयोजित किए जाने वाले राउंडटेबल बैठकों, वेबिनारों, सम्मेलनों या ऐसे ही ज्ञान के आदान-प्रदान वाले कार्यक्रमों में आमंत्रित करें। उन लोगों के लिए अवसर बनाएं जो अपने समय के साथ-साथ अपना योगदान देने में भी रुचि रखते हैं।

3. कई प्रकार के दानदाताओं के साथ विविधता लाएं (एचएनआई, सीएसआर और गैरसीएसआर फाउंडेशन, रिटेल)

हालांकि इसका कोई सटीक नुस्ख़ा या आदर्श स्थिति नहीं है लेकिन किसी एक दाता से कुल खर्चों का 25 फ़ीसदी से अधिक नहीं लिया जाना चाहिए। अलग-अलग दाता विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करते हैं। इसलिए अपने दाताओं की सूची को जितना सम्भव हो उतनी विविध बनाने की आवश्यकता है।

यदि आपके संगठन का उद्देश्य उनके फ़ोकस एरिया से मिलता हो तो सीएसआर दाताओं तक पहुंचना आसान हो सकता है।

फ़िलैन्थ्रॉपी से जुड़े फ़ाउंडेशन मध्य से लम्बी अवधि के लिए अनुदान देते हैं लेकिन संगठन को खड़ा करने के लिए विश्वसनीयता एवं लचीलापन प्रदान करते हैं। वहीं, दूसरी ओर एचएनआई छोटी से मध्य अवधि वाले अनुदान देते हैं और इनमें अधिक लचीलापन होता है। इसके अलावा, इनके द्वारा दिया गया सहयोग साल दर साल बढ़ सकता है। हालांकि एचएनआई को एक दानदाता के रूप में जोड़ना काफ़ी मुश्किल होता है क्योंकि अक्सर संगठनों के पास ऐसे व्यक्तियों के पास पहुंचने का रास्ता नहीं होता है। यदि आपके संगठन का उद्देश्य उनके फोकस एरिया के साथ मिलता हो तो सीएसआर दाताओं तक पहुंचना आसान हो सकता है। लेकिन ये छोटी-अवधि (एक से तीन साल) के लिए ही अनुदान देते हैं। इसके अलावा उनके अनुदान पूरी तरह से कार्यक्रमों के लिए ही आरक्षित होते हैं और उनका एक सीमित हिस्सा ही क्षमता निर्माण के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

लचीले अनुदान, कार्यक्रम संबंधी अनुदान की तुलना में काफी अधिक जरूरी हैं, इसलिए खुदरा दाताओं को साथ लाना, बनाए रखना और जोड़ना भी महत्वपूर्ण है। खुदरा फ़ंडिंग में ऑनलाइन एवं ऑफ़लाइन अभियानों तथा कार्यक्रमों के माध्यम से व्यक्तिगत दाताओं से मिलने वाला दान शामिल होता है। ऐसे दान बहुत अधिक लचीले होते हैं और इससे ब्रांड की दृश्यता बेहतर होती है। खुदरा फंडरेजिंग में अधिक संसाधन लगाने पड़ सकते हैं। लेकिन बिना शर्त मिले इस धन का उपयोग कोष निर्माण, क्षमता निर्माण और अन्य प्रयोगात्मक उपक्रमों के लिए किया जा सकता है, जो सशर्त अनुदानों के साथ सम्भव नहीं है।

4. दाताओं के साथ सार्थक रूप से जुड़ें

अपने दाताओं के लिए अपने कार्यक्रमों के प्रभाव का अनुभव करने और उनका योगदान करने के अवसरों के निर्माण से आपकी साझेदारी ठोस हो सकती है और इससे वे लम्बे समय तक आपके कारण का समर्थन कर सकते हैं। प्रत्येक संगठन में उनके दाताओं को बचाकर या रोककर रखने का दर कम से कम 70–80 फ़ीसदी होना चाहिए। इससे नए दानदाताओं की नजर में भी संगठन की विश्वसनीयता बढ़ती है। लेकिन इसके लिए त्रैमासिक या वार्षिक रिपोर्ट भेजने से कुछ ज्यादा करने की ज़रूरत होती है।

दानदाताओं की ताक़त और उनकी विशेषज्ञता को पहचानने से शुरू करें और उनकी रुचि और उपलब्धता के बारे में जानें। उदाहरण के लिए अर्पण, डीआरके फाउंडेशन की संगठन के भीतर ही मौजूद विशेषज्ञता का उपयोग उनके परिवर्तन के सिद्धांत, लक्ष्य से जुड़े महत्वपूर्ण संकेतकों और प्रभाव मूल्यांकन ढांचे को बेहतर करने के लिए करता है। इससे अर्पण की टीम को अपने कार्यक्रम के प्रभावों की समीक्षा करने का नया नज़रिया मिलता है और उनके काम में दानदाताओं के विश्वास और भरोसे का स्तर बढ़ता हैं। इसी प्रकार डीआरके फाउंडेशन, अर्पण के साथ मिलकर उनके फंडरेजिंग और संचार से जुड़े कामों को बढ़ाने के लिए काम करता है। इससे अर्पण को अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय दानदाताओं की नजर में आने के लिए काम करने योग्य बनाता है। दूसरी ओर अंतरंग फ़ाउंडेशन अपने पूर्व छात्रों के साथ मेंटॉर या करियर कोच के रूप में जुड़ने के लिए अपने दानदाताओं की सूची से कॉर्पोरेट लीडर्स को आमंत्रित करता है। इससे दानदाताओं को सीधे छात्रों से संवाद करने और उनकी करियर से जुड़ी उम्मीदों को जानने का अवसर मिलता है। साथ ही, वे अंतरंग द्वारा प्रदान किए जाने वाले कैरियर मार्गदर्शन और परामर्श समर्थन के मूल्य को भी समझते हैं।

इसके अतिरिक्त, अपने प्रमुख दानदाताओं की पहचान करना और उन्हें महत्व देना भी उतना ही जरूरी है। ये वे लोग होते हैं जो आपके उतार-चढ़ाव के समय आपके साथ रहें और दूसरों को आपके उद्देश्य में शामिल करने और योगदान देने के उद्देश्य से हमेशा अपने नेटवर्क में आपके काम की सिफ़ारिश करते हैं। इन्होंने ही आपके संगठन की सफलता के लिए जड़ें जमाईं और दीर्घकालिक प्रभाव में निवेश किया। इन्हें अपने संगठन की रणनीति एवं विकास की योजना में शामिल करें।

रात में आसमान और एक सीढ़ी-समाजसेवी संस्था
फंडरेजिंग करने वाली एजेंसियों के साथ काम करने के बजाय घरेलू टीमों का निर्माण करना लम्बी अवधि में अधिक टिकाऊ होता है। | चित्र साभार: पेक्सेल्स

5. संस्था निर्माण को लेकर दाताओं को शिक्षित करें

समाजसेवी संस्थाओं के सामने बहुत सी चुनौतियां होती हैं। इनमें मानव संसाधन प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन, फंडरेजिंग और संचार सहित उनके आधारभूत कामकाज तय करने के लिए धन जुटाना आम चुनौती है। वे इन ख़र्चों का वहन करने के लिए पर्याप्त धन जुटाने में विफल होते हैं और यह संगठन एवं उसके कार्यक्रमों की दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित करता है।

अल्पकालिक समस्याओं के लिए मदद लेने से बचें।

पे व्हाट इट टेक्स सहयोग दानदाताओं को शिक्षित एवं प्रभावित करने के लिए काम कर रहा है। आप भी इसमें अपना योगदान दे सकते हैं। अपने दाताओं के साथ रिपोर्ट और केस स्टडी साझा करें और अपने संगठन की समान आवश्यकताओं के बारे में बातचीत शुरू करें। अल्पकालिक समस्याओं के लिए मदद लेने से बचें। इसकी बजाय क्षमता निर्माण के प्रयास के तीन से पांच साल के लिए एक रणनीति और परिचालन योजना विकसित करें और स्पष्ट सफलता मानकों के साथ इसे पेश करें। इसे शुरू करने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि आप अपने सभी ग़ैर-कार्यक्रमिक कामकाज की जरूरतों का आकलन करें और संगठन की ताक़त एवं चुनौतियों को समझें।

इस बात का संकेत देना भी लाभप्रद होगा कि आपका संगठन लागत को अवशोषित करने और दाता के जाने के बाद भी क्षमता निर्माण निवेश को बनाए रखने के लिए तैयार होगा।

6. भंडार और कोष बनाएं

एक वित्तीय रूप से लचीला संगठन बनाने के लिए आवश्यक है कि आपके पास भंडार (रिजर्व्स – छः महीने के लिए) और कोष (कॉर्पस – 12 महीने के लिए) हो जिसकी सहायता से आप विपरीत परिस्थितियों में भी अपना काम जारी रख सकें।

पहले से सुरक्षित भंडार किसी अप्रत्याशित मुश्किल दिन के लिए काम आने वाला धन है जो संगठन को अचानक लगने वाले झटकों से बचा सकता है। कॉर्पस, एक अलग से रखा आपातकालीन फंड होता है जिसे या तो अधिशेष से उठाया जा सकता है (कुल संगठनात्मक आय का 15 प्रतिशत या अधिशेष कॉर्पस को आवंटित किया जा सकता है) या दाता की लिखित सहमति के साथ दान के माध्यम से एकत्र किया जा सकता है। इस तरह के वित्तीय सहजता बनाने में वर्षों लग जाते हैं। लेकिन इस पर जल्द से जल्द काम करने की आवश्यकता होती है। आपके प्रमुख दानदाता और एचएनआई इस उद्देश्य के लिए धन उगाहने में आपकी मदद कर सकते हैं।

7. अपने लीडर्स को रणनीतिक रूप से जोड़ें और अपनी फंडरेजिंग टीम बनाएं

छोटे संगठनों में फंडरेजिंग का काम संस्थापक के ज़िम्मे होता है। इसमें उनका बहुत समय लगता है क्योंकि वे अपने संगठन के लिए डोनर बेस और दानदाताओं के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश में लगे होते हैं। हालांकि एक संगठन के परिपक्व एवं स्थिर होने के बाद, संस्थापकों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपना 25 फ़ीसदी से अधिक समय फंडरेजिंग पर खर्च न करें। इसकी बजाय, वे संगठन की विकास रणनीति, अगली पीढ़ी की लीडरशिप और संस्कृति को विकसित करने में अपना समय लगा सकते हैं। इसलिए, फंडरेजिंग वाली एक टीम का बनाना आवश्यक है जो दाता पर शोध, आउटरीच और जुड़ाव का नेतृत्व कर सके।

ऐसी प्रतिभाओं या विशेषज्ञों को लाना आवश्यक है जो आपके मौजूदा टीम की कुशलताओं का पूरक होगा और कमियों को पूरा करेगा।

किसी वरिष्ठ संसाधन को नियुक्त करने से पहले आपको अपने संगठन की वर्तमान कुशलताओं, क्षमता और बैंडविड्थ गैप को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए। विशेष रूप से तब जब आपका संगठन छोटे या मध्यम आकार का हो। आपको अपने संगठन की चुनौतियों की पहचान करना आवश्यक है। क्या आपको प्रस्तावों पर सोचने के लिए किसी प्रकार के सहायता की आवश्यकता है? क्या आपको मदद की ज़रूरत है? ऐसी प्रतिभाओं या विशेषज्ञों को लाना आवश्यक है जो आपके मौजूदा टीम कुशलताओं का पूरक होगा और कमियों को पूरा करेगा।

इसके अलावा, लंबी अवधि में फंडरेजिंग एजेंसियों के साथ काम करने की बजाय घरेलू टीमों का निर्माण करना अधिक स्थाई तरीक़ा होता है। आईएलएसएस फंडरेजिंग प्रोग्राम जैसे कोर्स टीम के उन सदस्यों को फायदा पहुंचा सकते हैं जिनके लिए फंडरेजिंग का काम नया है या फिर वे कॉर्पोरेट क्षेत्र से निकल चुके हैं। उन्हें सही टूलकिट और मेंटरशिप प्रदान करना और उन्हें सफलता के लिए स्थापित करना महत्वपूर्ण है। एटीई चंद्रा फ़ाउंडेशन के पोर्टफ़ोलियो संगठनों के लगभग 10 करोड़ रुपये के औसत बजट के हालिया विश्लेषण में, हमने देखा कि संगठन के कुल व्यय का लगभग 3 फ़ीसदी ही फंडरेजिंग में इस्तेमाल किया जाता है और यह निवेश के दो से तीन वर्षों के भीतर खुद के लिए भुगतान करना शुरू कर देता है। यदि आप खुदरा उपस्थिति बनाने में निवेश करते हैं तो यह लागत बढ़ सकती है।

8. अपने बोर्ड को सार्थक रूप से जोड़ें

अधिकतर संगठनों में बोर्ड के सदस्य ऐसे संसाधन होते हैं जिनका कम ही इस्तेमाल हो पाता है। इसलिए अपने वर्तमान बोर्ड की प्रभावशीलता को समझने के लिए एक बोर्ड गवर्नन्स मूल्यांकन करें। अपने बोर्ड को सार्थक रूप से जोड़ने के लिए एक भूमिका और जवाबदेही प्रणाली बनाएं और यह सुनिश्चित करने के लिए रोटेशन की संस्कृति विकसित करें कि ऐसे नए विचार और नए लोग जुड़ रहे हैं जिनका लाभ संगठन को मिल सकता है। यह बोर्ड के सदस्य को एक निश्चित कार्यकाल तक (पांच वर्ष से कम) जोड़े रखकर प्राप्त किया जा सकता है।

बोर्ड के ऐसे सदस्यों की पहचान करें जो आपके लिए फंडरेजिंग चैम्पियन बन सकते हैं और फंडरेजिंग की इस यात्रा में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे स्पष्ट लक्ष्य होने चाहिए जिनमें उन्हें सक्रिय रूप से शामिल करने की आवश्यकता हो और केवल सलाह देने तक उनकी भूमिका को सीमित नहीं किया जाना चाहिए। आप अपनी मौजूदा संरचना की समीक्षा करने में सहायता के लिए आत्मा जैसे संगठनों को शामिल कर सकते हैं या बोर्ड के नए सदस्यों को लाने के लिए आईएलएसएस या आईएसडीएम द्वारा प्रस्तावित बोर्ड प्रशासन कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।

9. आंतरिक सफलता सूचकांक का निर्माण करें

एक बार जब आप ऊपर दिए गए कुछ अभ्यासों को अमल में लाना शुरू कर देते हैं, तो आप सफलता को कैसे मापते हैं? फंडरेजिंग के प्रयास में शामिल हर व्यक्ति को जवाबदेह बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संकेतकों पर नज़र बनाए रखने की सलाह दी जाती है। डोनर कन्वर्ज़न दर, जुड़ाव दर, रिटेंशन दर, फंडिंग विविधता (सीएसआर, एचएनआई आदि से फंडिंग का प्रतिशत), कुल वार्षिक व्यय के प्रतिशत के रूप में आरक्षित भंडार एवं कोष, और फंडरेजिंग में संस्थापकों द्वारा लगाये गये समय जैसे सरल आंकडों से शुरूआत करें। इन चीजों के सही तरीक़े से चलने से आपको अपनी क्षमता एवं प्रभावशीलता पर नज़र बनाए रखने में मदद मिलेगी।

फंडरेजिंग विशेष रूप से एक चुनौतीपूर्ण लेकिन लाभ पहुंचाने वाला काम है। इसमें निवेश पर उच्चतम रिटर्न हासिल करने की क्षमता है। किसी संगठन की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए फंडरेजिंग टीम को अनुसंधान, संचार, नेटवर्किंग और संबंध निर्माण प्रति उत्साहित होना चाहिए। प्रत्येक संगठन के परिपक्व होने का अपना समय होता है। इसलिए अपनी ताक़त एवं चुनौतियों के आधार पर आपको यह तय करना होता है कि कौन सी चीज़ आपके लिए सबसे अच्छी है। इसे शुरू करने का सबसे अच्छा तरीक़ा ब्रिजस्पैन द्वारा प्रदान की गई पद्धति का उपयोग करके अपने फंडिंग मॉडल का आकलन करना है। इसके बाद आप अगले वर्ष के लिए धन उगाहने की योजना इस तरह से बना सकते हैं जो आपके संसाधनों का प्रभावी ढंग से लाभ उठा सके।

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लेखक के बारे में
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पूनम चोकसी

पूनम चोकसी एटीईसीएफ़ के क्षमता-निर्माण वर्टिकल की प्रमुख हैं, जो व्यक्तियों, संगठनों और पारिस्थितिकी तंत्र की क्षमता निर्माण पर केंद्रित है। इसके पहले उन्होंने UnLtd इंडिया के साथ सोशल स्टार्ट-अप के लिए इंक्युबेटर के रूप में काम किया है। पूनम ने उनके निगरानी एवं मूल्यांकन कार्यों का नेतृत्व भी किया है। पूनम के पास अध्ययन के साथ भी काम करने का अनुभव है और उन्होंने पूरे भारत में 300 से अधिक विद्यालयों में फ़्लैगशीप स्कूल मूल्यांकन कार्यक्रम के विस्तार का नेतृत्व भी किया है।

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