August 1, 2025

आशाः एक नाम, और हजार काम

एक आशा कार्यकर्ता अपने काम के अलावा किन-किन अजीबो-गरीब जिम्मेदारियों को पूरा करती है, उन्हीं पर एक टिप्पणी।
2 मिनट लंबा लेख

घर-घर दस्तक देती हूं,
बच्चे की खांसी, बुर्जुगों की सेहत
सबका हाल जानती हूं।
आज का सर्वे कुछ नया है,
घर के गमले गिनने आई हूं,
क्योंकि हो सकता है मच्छर भी
अब ‘राष्टविकास’ का हिस्सा हों।

कभी बुखार, कभी सर्वे,
कभी बच्चों की सही उम्र का अंदाजा
कल तक टीके थे जरूरी,
आज ‘पेट के कीड़े’ की चिंता गहराई है।

लिखूं किसका पोषण कम है
या दर्ज करूं किसके घर की छत
पर कितने पानी के टैंक है,
घर में पानी नहीं,
पर फॉर्म में पूछना है-
“हाथ कितनी बार धोते हैं?”

कागज पर रिपोर्टिंग है,
पर जमीनी सच्चाई कहीं खो जाती है।
मीटिंग में फिर सवाल आता है-
“मैडम, कोई परेशानी तो नहीं?”
मैं मुस्कुरा देती हूं-
मैं एक छोटी सी ‘आशा’ हूं।

फेसबुक बैनर_आईडीआर हिन्दी

मेरे पास है यूनिफार्म
नाम का टैग भी
पर तनख्वाह मेरी
‘प्रोत्साहन’, ‘मानदेय’ राशि में आती है
मानो काम न हो, यहां सेवा ‘निशुल्क’ है
जो गुजारे की नहीं ‘सब्र’ बन जाती है
क्योंकि आशा तो है उम्मीद की किरण

न मैं डॉक्टर हूं, न अफसर
पर हर योजना की पहली सीढ़ी
मेरे कदमों से बढ़ती है।
हर घर के हालात
मेरे रजिस्टर में दर्ज हैं।

‘गांव में कुछ बदला’ कोई पूछता है,
तो सोचती हूं
हां, बदला है

अब मच्छर भी गमलों में
उम्मीदें पालते हैं-
कि आशा आएगी,
तो शायद हमसे भी पूछेगी-
“आपके कितने बच्चे हैं?”

लेखक के बारे में
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जूही मिश्रा

जूही मिश्रा आईडीआर में एडिटोरिएल एसोसिएट हैं। उन्हें पत्रकारिता का 14 साल का अनुभव है और उन्होंने पत्रिका, टाइम्स ऑफ इंडिया, रोर मीडिया, दूता टेक्नोलॉजी और ग्राम वाणी के साथ काम किया है। जूही ने विकास संवाद संस्था से फेलोशिप पूरी की है, जहाँ उन्होंने बसोर समुदाय में खाद्य प्रणालियों और कुपोषण के कारणों पर शोध किया।

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पूजा राठी

पूजा राठी आईडीआर हिंदी में संपादकीय विश्लेषक (एडिटोरियल एनालिस्ट) हैं। इससे पहले, उन्होंने फेमिनिज़्म इन इंडिया में सह-संपादक के रूप में काम किया है, जहां उन्होंने जेंडर, पर्यावरण और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को कवर किया। पूजा को यूएन लाडली मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है और वह 2024 की लाडली मीडिया फैलो भी रह चुकी हैं। इसके अलावा, वह खबर लहरिया की रूरल मीडिया फेलोशिप और एटलस फॉर बिहेवियर चेंज इन डेवलपमेंट की बिहेवियरल जर्नलिज़्म फेलोशिप की पूर्व फेलो रह चुकी हैं। पूजा ने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है।

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