March 27, 2025

बदलाव के सुर: नवीकरणीय ऊर्जा के साथ एक म्यूज़िक बैंड का अनूठा प्रयोग

2024 में भारतीय बैंड स्वरात्मा ने डीजल के जेनसेट का उपयोग न करते हुए अपने टूर को सौर ऊर्जा से संचालित किया। यह प्रयोग आने वाले समय में लाइव कार्यक्रमों की नई परिभाषा लिख सकता है।
8 मिनट लंबा लेख

धूप ही मेरी फसलों तक पानी को लाती रे,
धूप भरे इस सफर में, मेरी धूप ही साथी रे।

ये बोल हमारे गीत ‘धूप’ के हैं, जिसकी रचना हमने सेल्को फाउंडेशन के साथ काम करने के दौरान की थी। इस गीत के जरिए हम यह बताना चाहते हैं कि विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) से जुड़ी योजनाएं किस तरह लोगों के जीवन और रोजगार पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

वर्ष 2022 में इस गीत की रचना के दौरान हमने फाउंडेशन के साथ हुबली की एक यात्रा की, ताकि डीआरई के जमीनी प्रभावों को समझ सकें। वहां हमने कई ऐसे लोगों से मुलाकात की, जो इस तकनीक का सहारा लेकर अपने जीवन को नई रोशनी दे रहे हैं। ऐसी ही एक बातचीत ने हमारे दिल को छू लिया। यह कहानी थी हुबली के बाहर रहने वाली एक ग्रामीण किसान की, जो पूरे क्षेत्र की मुट्ठी भर महिला किसानों में से एक हैं। उन्होंने सौर ऊर्जा से चलने वाली सिंचाई प्रणाली का उपयोग कर न सिर्फ अपनी जमीन को सींचा, बल्कि अपने जीवन को भी नई दिशा दी। उनके पति की मृत्यु के बाद उनसे अपने पिता के घर लौट जाने के लिए कहा गया था। लेकिन उन्होंने इससे इनकार करते हुए अपना संघर्ष जारी रखा। आज वह उस इलाके की चुनिंदा महिला किसानों में से एक हैं।

हुबली से लौटते समय जब हम इन कहानियों के बारे में बात कर रहे थे, तो हमारे मन में नवीकरणीय ऊर्जा (अक्षय ऊर्जा) की संभावनाओं को लेकर बहुत से सवाल उमड़ रहे थे। हमें लगा कि अगर यह तकनीक इतने लोगों का जीवन बदल सकती है, तो क्या यह एक पूरे कॉन्सर्ट को भी चला सकती है? 2024 में हम अपनी नयी एल्बम ‘रौशन’ के लॉन्च पर आठ शहरों का टूर करने वाले थे। तब हमने फैसला किया कि हम अपने टूर के हर कॉन्सर्ट में पारंपरिक डीजल जेनरेटरों की जगह नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे।

फेसबुक बैनर_आईडीआर हिन्दी

लाइव कॉन्सर्ट में ऊर्जा कहां से आती है?

लाइव नेशन एंटरटेनमेंट के अनुसार, वर्ष 2023 में दुनिया भर में 50,000 से ज़्यादा इवेंट हुए, जिनमें 14.5 करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। हर इवेंट के लिए अस्थायी मंच बने, बिजली और ऊर्जा की व्यवस्था हुई और कलाकार, उपकरण तथा दर्शक लंबी दूरी तय कर वेन्यू तक पहुंचे। यहां यह समझना जरूरी है कि संगीत और मनोरंजन के बड़े आयोजनों का पर्यावरण पर भी असर पड़ता है। ऐसे टूर और इवेंट से होने वाले कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण पर इनके प्रभाव के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन ग्रीनर फेस्टिवल रिपोर्ट के अनुसार, जिसने 17 देशों में आयोजित कार्यक्रमों के डेटा का विश्लेषण किया, एक औसत फेस्टिवल 500 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है, जिसमें हर व्यक्ति प्रतिदिन पांच किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार होता है।

वैश्विक संगीत जगत में कोल्डप्ले और मैसिव अटैक जैसे नामचीन कलाकारों ने अपने कॉन्सर्ट के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। लेकिन भारत में, इस तरह की चर्चा अभी भी शुरुआती दौर में है।

एक लाईटों से जगमगाता स्टेज और उसमें रखे वाद्य यंत्र_नवीकरणीय ऊर्जा
यह समझना जरूरी है कि संगीत और मनोरंजन के बड़े आयोजनों का पर्यावरण पर भी असर पड़ता है। | चित्र साभार: तौसीफ जन्नत

स्वरात्मा के लिए पर्यावरण हमेशा से एक अहम मुद्दा रहा है। सिंगल-यूज प्लास्टिक के खिलाफ हमारी मुहिम से लेकर, इंदिरा नगर बीडीए कॉम्प्लेक्स में पेड़ों की कटाई के विरोध और स्टील फ्लाईओवर बेदा आंदोलन का समर्थन करने तक, हम हमेशा से अपने संगीत के माध्यम से पर्यावरण के मुद्दों को आवाज देते रहे हैं। हमने इंडियन यूथ क्लाइमेट नेटवर्क (आईवायसीए) और ग्रीनपीस इंडिया जैसे संगठनों के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास भी किया है। इसलिए जब हमें लाइव इवेंट में उत्सर्जन कम करने के लिए एक नए उपाय के साथ प्रयोग करने का मौका मिला, तो हमने इसे अपनाने में देर नहीं की।

तकनीक की व्यवस्था

पांच सदस्यों वाले बैंड के तौर पर, हमारी तकनीकी जरूरतों की सूची काफी बड़ी है– जैसे वोकल्स, ड्रम्स, इलेक्ट्रिक और अकूस्टिक गिटार, बेस गिटार और वायलिन। एक घंटे के शो के लिए सेटअप और साउंड-चेक की प्रक्रिया में करीब चार घंटे लग जाते हैं। यह शो के समय से अलग होता है। इस टूर में हमने हर शहर में गेस्ट परफॉर्मर, एलईडी स्क्रीन और ओपनिंग एक्ट को भी शामिल किया था। हजार दर्शकों वाले कॉन्सर्ट के लिए आमतौर पर दो अलग-अलग बिजली स्रोतों की जरूरत होती है- एक साउंड के लिए और दूसरा लाइटिंग के लिए, जिन्हें आमतौर पर डीजल जनरेटर से चलाया जाता है। हमारे शो में ऊर्जा की खपत काफी ज्यादा होती है, इसलिए हमें एक ऐसे विकल्प की तलाश थी जो हर तरह के वेन्यू– चाहे वह एरिना हो, क्लब हो या ऑडिटोरियम– में हमारी जरूरतों को पूरा कर सके। हमें एक ऐसा ऊर्जा स्रोत चाहिए था, जो भरोसेमंद हो और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए।

हमने पुणे की एक कंपनी एम्पीयरआवर के साथ हाथ मिलाया, जो स्मार्ट ऊर्जा से जुड़े उपायों में माहिर है। एम्पीयरआवर ने शुरूआत से ही पूरी तरह हमारा साथ दिया। उन्होंने हमारी जरूरतों को समझा और अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर एक बेहतरीन समाधान पेश किया। वे न सिर्फ इस तकनीकी चुनौती के लिए उत्साहित थे, बल्कि लाइव मनोरंजन के क्षेत्र में नए तरीके से काम करने के लिए भी उत्सुक थे। यह साझेदारी उनके लिए अपने समाधानों को नए और प्रभावशाली तरीके से आजमाने का एक बड़ा मौका थी। हमने साथ मिलकर ‘सनी’ तैयार किया- एक ऐसा सिस्टम (रिग), जो हमारे कॉन्सर्ट को नवीकरणीय ऊर्जा देने के लिए डिजाइन किया गया था।

सनी एक 20 फुट का कंटेनर ट्रक है, जिसमें 400 किलो वॉट आवर (kWh) ऊर्जा क्षमता का बैटरी सिस्टम और 100 किलो वॉट एम्पियर्स (kVa) का पावर आउटपुट है। यह एक बड़े आकार के पारंपरिक जनरेटर के बराबर है। इन बैटरियों में इन-बिल्ट इन्वर्टर, ट्रांसफॉर्मर, कूलिंग मैकेनिज्म और एडवांस्ड सेफ्टी व कंट्रोल सिस्टम भी लगे हैं। यह सब कुछ इस कॉम्पैक्ट कंटेनर ट्रक के अंदर मौजूद होते हैं। ट्रक की छत पर सोलर पैनलों की एक कतार लगी है, जो इसे पार्क किए जाने या चलते समय भी रीचार्ज करने की सुविधा देती है। इसे इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) स्टेशनों पर प्लग-इन करके भी चार्ज किया जा सकता है। पूरी तरह चार्ज होने पर यह रिग चार घंटे तक लगातार बिजली दे सकता है। साथ ही, इसमें चार घंटे का बैकअप भी उपलब्ध है, जो हमारे शो के लिए पर्याप्त से अधिक है।

योजनाबद्ध होकर आगे बढ़ना

एक नवीकरणीय ऊर्जा रिग के साथ टूर करने का मतलब था पहले से ही जटिल प्रक्रिया को और मुश्किल बनाना। भारत में स्वतंत्र कलाकारों के लिए एक परफॉर्मेंस या टूर की योजना बनाना अपने आप में एक चुनौती है। सीमित संसाधनों के साथ बैंड के लिए लॉजिस्टिक का प्रबंधन, वेन्यू के साथ तालमेल, मार्केटिंग और प्रचार आदि कामों में बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है। ऐसे में सनी के साथ यात्रा करना हमारे लिए एक अतिरिक्त चुनौती थी। इसका मतलब था:

1. टूर प्लान में अतिरिक्त दिनों को शामिल करना

किसी अन्य जनरेटर की तरह सनी तकरीबन 20-फुट का कंटेनर है, जिसे लंबी दूरी तक नहीं ले जाना चाहिए और आमतौर पर एक ही शहर में रखना चाहिए। लेकिन चूंकि सनी हमारे साथ रोड से यात्रा कर रहा था, इसलिए हमें हर शहर तक पहुंचने में लगने वाले समय को ध्यान में रखना पड़ा।

एक ट्रक के साथ फोटो खिंचवाते कुछ लोग_नवीकरणीय ऊर्जा
ट्रक की छत पर सोलर पैनलों की एक कतार लगी है, जो इसे पार्क किए जाने या चलते समय भी रीचार्ज करने की सुविधा देती है। | चित्र साभार: तौसीफ जन्नत

इस वजह से, हमने टूर की तारीखों के बीच पांच दिन से लेकर एक महीने तक का अंतर रखा। हमारा रूट सनी की यात्रा के हिसाब से तैयार किया गया था: मुंबई से बैंगलोर और फिर पुणे, हैदराबाद, दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर और अंत में लखनऊ।

2. एक कदम आगे रहना

सनी को चार्ज करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाने की जरूरत थी। कुछ शहरों में हमने छत पर लगे सोलर पैनलों का इस्तेमाल किया, जबकि अन्य शहरों में हमने इसे प्रमाणित स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से चार्ज किया। बैंगलोर, मुंबई और पुणे में हमने प्रमाणित स्वच्छ ऊर्जा चार्जिंग पॉइंट का उपयोग किया। हालांकि, चंडीगढ़ जैसे कुछ शहरों में हमें समस्याओं का सामना करना पड़ा। यहां पर जिस ईवी चार्जिंग स्टेशन के साथ हमने साझेदारी की थी, वहां 20-फुट के कंटेनर ट्रक के लिए अंदर आने का रास्ता ही नहीं था, जिससे हमें चार्ज करने में परेशानी भी हुई।

3. वेन्यू के साथ निरंतर तालमेल

एम्पीयरआवर की टेक टीम हमसे पहले यात्रा करती थी, ताकि वे एक या दो दिन पहले से चार्जिंग शेड्यूल की योजना बना सकें। चूंकि हर शहर में अलग-अलग तकनीकी वेंडर होते हैं, इसलिए हमारी प्रोडक्शन टीम को पूरा सेट-अप सुनिश्चित करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करना पड़ता था। हर तकनीकी वेंडर के लिए प्रक्रिया लगभग एक समान होती थी। उन्हें बस अपने पावर डिस्ट्रीब्यूटर को पारंपरिक जनरेटर से जोड़ने की जगह उसी केबल सॉकेट को सनी से जोड़ना था। हर वेन्यू की टीम इस प्रयोग के लिए काफी उत्साहित थी। उन्हें यह जानने में खासी दिलचस्पी थी कि यह सब कैसे काम करेगा। मुझे याद है कि एक दिन तकनीकी टीम के किसी व्यक्ति ने हमसे यह तक पूछा कि क्या वे सनी से अपना फोन चार्ज कर सकते हैं!

एक बार बिजली का कनेक्शन हो जाने के बाद सब कुछ सामान्य रूप से चलता रहा। हमने सेटअप किया, साउंड-चेक किया और बाकी किसी अन्य शो की तरह ही परफॉर्म किया। कॉन्सर्ट के बाद टीम सभी तारों को समेटती थी और सिस्टम को बंद कर देती थी। लंबी दूरी की यात्रा से पहले, सनी को एक सुरक्षित स्तर तक डिस्चार्ज करना जरूरी होता था। यह हमारी स्थायी ऊर्जा की यात्रा में एक छोटा, लेकिन अहम पड़ाव था।

4. लाइसेंस और अनुमति

हर राज्य में टूर के लिए अलग-अलग तरह की अनुमति लेनी जरूरी थी। हर राज्य के अपने नियम थे, जिसने योजना बनाने की प्रक्रिया को और जटिल बना दिया था। कुछ शहरों में, स्थानीय अधिकारियों ने हमें बताया कि हमें फायर सेफ्टी लाइसेंस, इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टरेट लाइसेंस, पुलिस की अनुमति और कई अन्य मंजूरियों की जरूरत होगी। उदाहरण के लिए, दिल्ली में हमारे स्थानीय साझेदारों ने लॉजिस्टिक को अंतिम रूप नहीं दिया और कुछ बुनियादी चीजें तय किए बिना ही कॉन्सर्ट की पुष्टि कर दी। जब हम वेन्यू पर पहुंचे तो हमारी टीम को पता चला कि सनी को पार्क करने के लिए सबसे नजदीकी जगह वेन्यू के सामने वाली सड़क के उस पार थी। इसका मतलब था कि केबल को सड़क पार करनी पड़ती और इसके लिए हमारे पास अनुमति नहीं थी। तब हमारी स्थानीय टीमों ने अधिकारियों के साथ मिलकर जी-जान से काम किया और आखिरी समय में हमें शो के लिए हरी झंडी मिल गयी।

5. लागत

इन सभी चुनौतियों के चलते टूर की कुल लागत भी बढ़ गयी थी। सनी के किराये की लागत एक पारंपरिक जनरेटर की तुलना में काफी अधिक थी। चूंकि इसकी शुरुआती लागत बहुत ज्यादा थी, इसलिए सेल्को फाउंडेशन और रेनमैटर फाउंडेशन ने इसका ज्यादातर खर्च उठाया। लेकिन अब जब यह सिस्टम तैयार हो चुका है, तो हमारा अगला कदम ऐसे लोगों और संगठनों का नेटवर्क तैयार करना होना चाहिए, जो नवीकरणीय ऊर्जा से चलने वाले कॉन्सर्ट को बढ़ावा दें। हमारा मॉडल भले ही हर जगह लागू न हो पाए, लेकिन हमारी प्रक्रिया जरूर अपनाई जा सकती है। यही इस सफर का अगला पड़ाव होना चाहिए।

अगर हमें फिर से ऐसा ही टूर करना हो, तो हम इस बार स्थानीय अधिकारियों और वेन्यू के साथ एक मजबूत संचार प्रोटोकॉल स्थापित करेंगे, ताकि तकनीकी बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई चुनौतियों से बचा जा सके। इस अनुभव के कारण अब हमारे पास बहुत सी परिस्थितियों और सवालों की बेहतर समझ है। इसलिये यह जरूरी है कि उन्हें समय से पहले हल किया जाना चाहिए

आगे की राह

लाइव परफॉर्मेंस कलाकारों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। पिछले एक साल में हमने देखा है कि भारत में इन परफॉर्मेंस का पैमाना और भी बड़ा होने वाला है। व्यापक पैमाने पर कॉन्सर्ट की बढ़ती संख्या भारत को एक अहम मोड़ पर ले आयी है। यह वह समय है जब हम लाइव इवेंट के भविष्य को एक अधिक सस्टेनेबल दिशा में मोड़ सकते हैं, खासकर जब इन कार्यक्रमों के लिए बुनियादी ढांचा लगातार विकसित हो रहा है।

सस्टेनेबिलिटी कॉन्सर्ट के अनुभव के जरिये यह दिखाने की कोशिश है कि लाइव इवेंट का स्थायी ऊर्जा से चलना न सिर्फ मुमकिन है, बल्कि व्यावहारिक भी है।

हालांकि, लाइव संगीत उद्योग के वास्तविक विकास के लिए, इस कड़ी में शामिल हर व्यक्ति को अपने काम के जलवायु प्रभाव के बारे में सोचना होगा। इसकी शुरुआत कलाकारों से हो सकती है। यानी वे आयोजकों से नवीकरणीय ऊर्जा के साथ परफॉर्म करने की मांग रख सकते हैं। वहीं फैन्स भी फेस्टिवल और कॉन्सर्ट आयोजकों पर स्वच्छ ऊर्जा सेट-अप को प्राथमिकता देने के लिए दबाव बना सकते हैं। हर टिकटिंग प्लेटफॉर्म को अक्षय ऊर्जा से चलने वाले कॉन्सर्ट को कुछ छूट देनी चाहिए। पत्रकारों को इसके बारे में लिखना चाहिए और लोगों को इस पर रील्स बनानी चाहिए। जब ये सभी प्रयास एक दूसरे से जुड़ेंगे, तभी यह मुहिम रंग ला पाएगी।

इस बात को ध्यान में रखते हुए हम अपने टूर को केवल नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से आगे ले जाना चाहते थे। हमें लगा कि हमें इसकी संभावनाओं को सार्वजनिक तौर पर साझा करना चाहिए। सस्टेनेबिलिटी को केवल एक गुपचुप प्रयास न होकर हमारी चर्चाओं का एक अभिन्न हिस्सा बनना चाहिए। इसे सार्थक करने के लिए हमने टूर के दौरान कई जरूरी बिंदुओं पर योजना बनाई:

  • सस्टेनेबिलिटी को संवाद में शामिल करना: हमारे प्रेस रिलीज और प्रचार सामग्री—पोस्टर, डिजिटल प्रमोशन और इंटरव्यू आदि में एम्पीयरआवर के साथ हमारे प्रयास और साझेदारी का उल्लेख किया गया। इसमें हम दो मुख्य संदेश देना चाहते थे: क) लाइव इवेंट उद्योग पर इस सेटअप के संभावित प्रभाव, और ख) इसे साकार करने में साझेदारी की भूमिका।
  • मंच पर स्थायी ऊर्जा को जगह देना: हमने हर वेन्यू में सनी की बैटरी लाइफ को स्क्रीन पर प्रदर्शित किया, ताकि दर्शक देख सकें कि इससे कॉन्सर्ट को कैसे ऊर्जा मिल रही है। ई भूमि (एक कन्नड़ गाना जो धरती को स्वर्ग बनाने के बारे में है) गाने से पहले हमने दर्शकों को बताया कि गाने का हर नोट, हर बीट, और जो कुछ भी वे सुन रहे हैं, वह स्वच्छ ऊर्जा से चल रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में कहीं भी डीजल नहीं जल रहा था। सनी के डैशबोर्ड को एलईडी स्क्रीन से जोड़कर लाइव बैटरी फीड दिखाने पर दर्शकों ने हमेशा ही शानदार प्रतिक्रिया दी।
  • लोगों को इसका जीवंत अनुभव करने देना: जिन शहरों में हमने मीट-एंड-ग्रीट आयोजित किए, वहां प्रशंसकों को सनी को करीब से देखने और समझने का मौका मिला। इससे वे इस तकनीक को अधिक आसानी से समझ पाये।
  • अन्य कलाकारों को प्रोत्साहित करना: हमारे साथ टूर में ओपनिंग करने वाले सभी कलाकारों के लिए हमने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। कई कलाकार इस पूरे प्रयोग से प्रेरित हुए और अब इसे अपने नेटवर्क में साझा कर रहे हैं। वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि वे अपने कार्यक्रमों में इस तरह के सेटअप को कैसे शामिल कर सकते हैं। हम अन्य संगीतकारों, इवेंट आयोजकों और इससे जुड़े लोगों के बीच भी सक्रिय रूप से इस प्रयोग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, ताकि इसे व्यापक रूप से अपनाया जा सके।

सस्टेनेबिलिटी को कॉन्सर्ट अनुभव का एक अभिन्न अंग बनाकर हम यह दिखाना चाहते हैं कि लाइव इवेंट का स्थायी ऊर्जा से चलना न सिर्फ मुमकिन है, बल्कि व्यावहारिक भी है। इसलिए जितने ज्यादा कलाकार और आयोजक इसके साथ प्रयोग करेंगे, उतना ही हम लाइव मनोरंजन उद्योग में नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े बदलाव ला पाएंगे।

यह सिर्फ एक शुरुआत है। भले ही सोलर ग्रिड एक परिपूर्ण समाधान नहीं है और शायद ईवी चार्जिंग पॉइंट से मिलने वाली बिजली अभी भी कोयले से ही बनती है, लेकिन फिर भी यह डीजल से पैदा होने वाले उत्सर्जन की तुलना में एक बेहतर कदम है। इस तरह का नवीकरणीय ऊर्जा समाधान सिर्फ कॉन्सर्ट तक ही सीमित नहीं है। यह हर उस जगह में परिवर्तन ला सकता है, जहां मोबाइल बिजली की जरूरत होती है। इसके माध्यम से आउटडोर फिल्म और वीडियो शूट से लेकर राजनीतिक रैलियां, सांस्कृतिक महोत्सव, सार्वजनिक कार्यक्रम, बाजार और यहां तक कि हवाई जहाज को एयरपोर्ट पर पार्क करने जैसी अपार संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं।

इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ें।

अधिक जानें

  • पर्यावरण और नवीकरणीय ऊर्जा के संबंध को समझें
  • पर्यावरण से जुड़े आंदोलनों की तैयारी के बारे में जानें
  • जानें कि कैसे पुराने पवन टरबाइन ब्लेड का पुनर्पयोग सार्वजनिक बुनियादी ढांचों के लिए रचनात्मक रूप से किया जा सकता है।

लेखक के बारे में
जिष्णु दासगुप्ता-Image
जिष्णु दासगुप्ता

जिष्णु दासगुप्ता प्रसिद्ध फोक-रॉक बैंड स्वरात्मा के बेस गिटारवादक और कला प्रबंधक हैं। संगीत जगत में अनूठी पहचान रखने वाला यह बैंड भारतीय लोक संगीत का आधुनिक रॉक, ब्लूज़ और रेगी विधाओं से मेल कराता है। ये सामाजिक चेतना को गीतों के माध्यम से ज़ाहिर करते हैं, जो नदियों के संघर्ष से लेकर राजनीति, मीडिया से लेकर बाल यौन शोषण जैसे मुद्दों को उठाने के साथ-साथ निजी अनुभवों और प्रेम जैसे विषयों पर आधारित होते हैं। जिष्णु, स्वरात्मा की कलात्मक सोच को दिशा देने के साथ दुनिया भर के लोगों से उसे जोड़ने का ज़िम्मा संभालते हैं।

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