नज़रिया

November 17, 2025
सुनने की संरचना: समावेशन और हाशिये की आवाज
हाशिए पर धकेले गए समुदाय अक्सर आत्म-संदेह, सामाजिक रूढ़ियों और अकेलेपन से जूझते हैं। उन्हें ऐसे परिवेश की जरूरत है, जहां वे खुलकर अपनी बात रख पायें और उनकी आवाज लगातार सुनी जाए।
दीपांजलि लाहिड़ी | 5 मिनट लंबा लेख
November 12, 2025
‘नारीवादी शिक्षा’ सुनकर आपके मन में क्या आता है?
द थर्ड आई के इस वीडियो के जरिए अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए देशभर के लोगों से जानिए कि वे नारीवादी शिक्षा शब्द को किस तरह देखते और समझते हैं।
द थर्ड आई | 2 मिनट लंबा लेख
November 10, 2025
क्यों विकास सेक्टर को गेम्स की अन्य भूमिकाओं पर विचार करना चाहिए
विकास सेक्टर खेल के अलग-अलग स्वरूपों को सोच-विचार और सीखने के नए माध्यमों के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
अबीर कपूर | 7 मिनट लंबा लेख
September 25, 2025
ग्रामीण भारत में पोषण संकट की असल जड़ क्या है?
ग्रामीण भारत में कुपोषण का कारण केवल भोजन की कमी नहीं, बल्कि पारंपरिक भोजन से दूरी भी है।
जयेश जोशी | 10 मिनट लंबा लेख
August 28, 2025
ग्रामदान की वर्तमान चुनौतियां और कानूनी उलझनें
हमारे देश में ग्रामदानी व्यवस्था पचास वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। लेकिन जो गांव उस दौर में ग्रामदान को स्वीकार कर चुके थे, वे अब उससे पीछे हटना चाहते हैं।
August 18, 2025
नियति से साक्षात्कार: समावेशी प्रगति की राह
पूर्ण स्वराज को साकार करने के लिए हमें सोचना होगा कि विकास का असली मकसद क्या है और हम समाज में न्याय और समानता के मूल्य कैसे स्थापित कर सकते हैं।
अरुण मायरा | 9 मिनट लंबा लेख
July 30, 2025
गांव की इन दाईयों को मामूली समझने की भूल न करना
ग्रामीण क्षेत्रों में दाईयों का महत्त्व और उनका अमूल्य ज्ञान एक सामाजिक धरोहर है, जिसे सहेजा जाना चाहिए।
नमिता वाईकर / पारी | 9 मिनट लंबा लेख
May 28, 2025
नारीवादी नैतिकता और हालिया कानूनी नजरिए में क्या और कितना अंतर है?
नारीवादी नजरिया कहता है आरोपी, पीड़ित और समाज तीनों के लिए न्याय की भावना बनी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम और व्यक्ति को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
मैत्रेयी मिसरा | 8 मिनट लंबा लेख
May 14, 2025
हमारे कानूनों को हिंदी में पढ़ना और समझ पाना इतना कठिन क्यों है?
जनहित के लिहाज से सबसे जरूरी कानूनों को भी जिस तरह की हिंदी में लिखा जाता है, उसे समझने के लिए आम लोग तो छोड़िए हिंदी के जानकारों को भी कई बार शब्दकोश देखना पड़ सकता है।
सत्याग्रह | 14 मिनट लंबा लेख
April 29, 2025
जातिवाद के आईने में समाज: दलित साहित्य की पांच जरूरी किताबें 
दलित साहित्य पढ़कर हम समझ पाते हैं कि जातिवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं और इसके उन्मूलन के लिए किस प्रकार के सामाजिक और मानसिक परिवर्तनों की जरूरत है।
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