विकास सेक्टर में तमाम प्रक्रियाओं और घटनाओं को बताने के लिए एक ख़ास तरह की शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है। आपने ऐसे कुछ शब्दों और उनके इस्तेमाल को लेकर असमंजस का सामना भी किया होगा। इसी असमंजस को दूर करने के लिए हम एक ऑडियो सीरीज़ ‘सरल–कोश’ लेकर आए हैं जिसमें हम आपके इस्तेमाल में आने वाले कुछ महत्वपूर्ण शब्दों पर बात करने वाले हैं।
आज का शब्द है – जेंडर इनिक्वालटी या लैंगिक असमानता।
विकास सेक्टर में लैंगिक मुद्दों पर काम करने वाली संस्थाएं अक्सर लैंगिक असमानता शब्द का इस्तेमाल करती दिखती हैं। असमानता या गैर-बराबरी जब किसी लिंग के आधार पर होती है तो उसे लैंगिक असमानता कहा जाता है।
लैंगिक असमानता वह स्थिति है जिसमें अधिकारों या अवसरों तक पहुंच में लिंग रुकावट बनता है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक लिंग को दूसरे से अधिक वरीयता या अधिकार दिए जाते हैं।
लैंगिक असमानता कई तरह से होती है। मसलन, दुनियाभर में महिलाएं घर पर पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक अवैतनिक काम करती हैं। इनमें घरेलू काम, बच्चों और परिवार के सदस्यों की देखभाल करना शामिल है। इसके अलावा भी बहुत से उदाहरण हैं जहां मूलभूत सेवाओं के लिए भी लैंगिक आधार पर कई तरह के भेदभाव किए जाते हैं।
लेकिन भारत का संविधान, मौलिक अधिकारों के तहत अपने नागरिकों को लिंग, धर्म, जाति और जन्म स्थान के आधार पर किए जाने वाले हर तरह के भेदभाव को ग़लत बताते हुए समानता की बात करता है।
अगर आप इस सीरीज़ में किसी अन्य शब्द को और सरलता से समझना चाहते हैं तो हमें यूट्यूब के कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।
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