January 10, 2024

जिनके लिए शोध किए जा रहे हैं, उन्हें शोध में कैसे शामिल किया जाए?

जिन लोगों के साथ शोध किया जाता है उन्हें आमतौर पर डेटा के स्रोत के रूप में देखा जाता है, न कि उपयोगकर्ता के रूप में।
14 मिनट लंबा लेख

सामाजिक प्रभाव पैदा करने के लिए समर्पित शोधकर्ताओं के रूप में, हम अपने काम से प्रभावित होने वाले समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं। हालांकि, सर्वेक्षण में सवालों के जवाब देने के अलावा इन समुदायों को हमारी शोध प्रक्रियाओं में शायद ही कभी शामिल किया जाता है। अक्सर उनकी भूमिका डेटा स्रोत के तौर पर सीमित होती है, जिनसे हम नीति निर्माताओं के लिए वह अंतर्दृष्टि हासिल करते हैं जो उनके कार्यक्रम से जुड़े निर्णयों में उनका मार्गदर्शन करती है।

इसलिए, नीति से जुड़े निर्णयों जैसे – समस्याओं/जरूरतों की पहचान करने, डेटा की व्याख्या करने और सुझावों को आकार देने जैसी प्रक्रियाओं से बाहर ही रखा जाता है। इन पर उनका सबसे कम असर दिखाई देता है। अक्सर उन्हें इस दृष्टिकोण के कारण न केवल उनके पास उपलब्ध मूल्यवान स्थानीय प्रासंगिक ज्ञान को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है बल्कि इससे गरिमा के सिद्धांतों से भी समझौता करना पड़ता है।

शोध के लिए सहभागी दृष्टिकोण

शोध में सहभागी दृष्टिकोण समुदायों को इस रूप में सशक्त बनाता है ताकि वे अपने जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों में सक्रियता से भाग ले सकें। यह साक्ष्य की आवश्यकता, उसकी व्याख्या और उसके उपयोग में समुदाय की आवाज़ को सुनने के महत्व की पहचान करता है। साक्ष्य एक मूल्यवान संसाधन होता है जो समुदायों तक सुलभ होना चाहिए। इस पर उनके दृष्टिकोण का प्रभाव भी होना चाहिए और इसकी प्रकृति ऐसी होनी चाहिए कि यह आख़िरकार नीति निर्णयों को आकार भी दे।

हाल ही में, झारखंड में प्रोजेक्ट संपूर्ण के माध्यम से (कंसोर्टियम, आईडीइनसाइट के हिस्से के रूप में, एक निगरानी और मूल्यांकन पार्टनर है) – आईडीइनसाइट ने स्कूली छात्रों और शिक्षकों – जो कि शोध में प्राथमिक उत्तरदाता थे – के साथ जुड़ने के लिए संचार तकनीकों और विजुअल उपकरण (कहानी कहने वाले बोर्ड और वीडियो) जैसे भागीदारी के तरीकों का उपयोग किया था। इन उपकरणों के माध्यम से, आईडीइनसाइट ने परियोजना की आधार रेखा से उत्पन्न कुछ निष्कर्षों को साझा किया। इस दृष्टिकोण ने डेटा की व्याख्या में प्रतिभागियों को शामिल करना सुनिश्चित किया, जिससे स्कूल की वास्तविकताओं के बारे में उनके गहन ज्ञान के आधार पर प्रोग्रामैटिक कार्रवाई को आकार देने में मदद मिली – यह अधिक भागीदारी अनुसंधान की दिशा में एक कदम है।

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प्रोजेक्ट के बारे में

प्रोजेक्ट संपूर्ण एक सामाजिक-भावनात्मक शिक्षण (एसईएल) पहल है जिसका नेतृत्व झारखंड सरकार ने समाजसेवी संगठनों के एक संघ के साथ साझेदारी कर किया है। हमारे भागीदारों के निवेदन पर, हमने अपने मूल्यांकन प्रयासों में सहभागिता के नज़रिए को शामिल किया ताकि बड़े पैमाने पर छात्रों और शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

कार्यान्वयन और मूल्यांकन डिजाइनों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया था और सहभागी लेंस का उपयोग करने के विचार की खोज उसके बाद की गई थी। इसलिए सहभागी तत्वों को उसके अनुसार अनुकूलित किया गया और मुख्य रूप से आधारभूत निष्कर्षों को साझा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

हमने छात्र एवं शिक्षकों के इंटरव्यू और कक्षा में किए गये अवलोकन के माध्यम से आधारभूत डेटा इकट्ठा किया था। हम शिक्षकों और छात्रों को इस नए साक्ष्य का उपयोग करने में मदद करने के लिए छात्रों के सामाजिकभावनात्मक कौशल स्तर, शिक्षक व्यवहार, स्कूल के माहौल आदि पर अपनी सीख साझा करना चाहते थे। हम अपने निष्कर्षों को प्रासंगिक बनाने के लिए शिक्षकों और छात्रों का इनपुट भी लेना चाहते थे।

हालांकि, सर्वे से निकलने वाले जटिल परिणामों को शिक्षकों और छात्रों तक पहुंचाना और उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना आईडीइनसाइट के लिए भी काफी नया काम था। आमतौर पर हम नीति निर्माताओं और निर्णय निर्माताओं के साथ अपने परिणाम साझा करते हैं लेकिन जमीन पर समुदाय के साथ परिणाम साझा करने का अनुभव हमारे लिए भी नया ही था। हमें इस बात की जानकारी थी कि परिणाम को साझा करने में किसी भी तरह की तकनीकी शब्दावली या डिजिटल प्रेजेंटेशन का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए; इसके बदले, हमें कुछ बहुत ही सरल, मज़ेदार, समावेशी और आसानी से जुड़ाव वाला माध्यम चाहिए था। हमने योजना को विकसित करने के लिए आईडीइनसाइट के डिग्निटी और लीन इनोवेशन टीम के साथ काम किया और स्कूल में की जाने वाली तीन गतिविधियों को चुना:

  1. आधारभूत परिणामों पर बने छोटे वीडियो को व्हाट्सएप के जरिए शिक्षकों और माता-पिता के साथ साझा किया गया
  2. छात्रों के साथ स्टोरीबोर्ड प्रेजेंटेशन और ‘ड्रा योर विजन’ जैसी गतिविधि की गई
  3. शिक्षक के साथ आधारभूत निष्कर्षों पर चर्चा

इस ब्लॉग में, हम झारखंड सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों के साथ अपने निष्कर्षों को साझा करने के लिए एक भागीदारी दृष्टिकोण की योजना बनाने बनाने, उसे क्रियान्वित करने से लेकर इस प्रक्रिया में टीम को मिलने वाले सबक़ भी बांटते हैं।

हाथ ऊपर किये हुए कुछ लड़कियों का एक समूह_सामुदायिक भागीदारी
सर्वेक्षण के जटिल परिणामों को शिक्षकों और छात्रों तक पहुंचाना और उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना आईडीइनसाइट के लिए भी एक नया अनुभव था। | चित्र साभार: आईडीइनसाइट

स्कूलों में किए जाने वाले सहभागी काम से मिलने वाली मुख्य सीख

चरण 1: योजना बनाना

सीख 1: प्रासंगिकता, सरलता और संवेदनशीलता सुनिश्चित करने के लिए सबूतों/डेटा को सावधानीपूर्वक तैयार करने की जरूरत

हितधारकों को हमारे निष्कर्षों से प्रभावी ढंग से जोड़ने के लिए, डेटा का सावधानीपूर्वक चयन और फ़्रेमिंग महत्वपूर्ण थी। वीडियो और स्टोरीबोर्ड प्रस्तुति के लिए, हमने लक्षित दर्शकों की पहचान करके और उन मुख्य बातों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके शुरुआत की जिनसे हम संवाद करना चाहते थे। उसके बाद हमें इसमें शामिल करने के लिए सबसे प्रासंगिक और आसानी से समझ में आने वाले निष्कर्षों को अलग किया।

अधिकतर छात्रों को यह महसूस होता है कि उनके शिक्षकों को उनकी परवाह है।

शिक्षकों के साथ चर्चा के लिए, हमने ऐसे निष्कर्षों को चुना जो प्रासंगिक और सरल होने के अतिरिक्त जिनकी जरूरत अन्य संदर्भों के लिए भी थी। हम निष्कर्षों को संवेदनशील ढंग से तैयार करने के प्रति सचेत थे, विशेषकर वे जो सुधार के अवसरों पर प्रकाश डालते थे। एक काल्पनिक उदाहरण लेते हैं: यदि निष्कर्ष में यह बात सामने आती है कि ’60 फीसद शिक्षक गलत उत्तर के लिए छात्रों को डांटते हैं’, तो उसे हम कुछ इस प्रकार लिखेंगे, ‘अधिकतर छात्रों को यह महसूस होता है कि उनके शिक्षकों को उनकी परवाह है; हालांकि आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि शायद कुछ शिक्षक कक्षा में छात्रों को डांट भी लगाते हैं।।’ इस प्रकार, हम नकारात्मक निष्कर्ष को एक सकारात्मक निष्कर्ष के साथ जोड़ देते हैं।

सामुदायिक जुड़ाव के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले टीम के साथियों के इनपुट, जिनमें परियोजना टीम के बाहर के लोग भी शामिल हैं, साथ ही हमारे कार्यान्वयन भागीदार जो नियमित रूप से इन प्रतिभागियों के साथ काम करते हैं, ने निष्कर्ष तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, हमने शिक्षकों के एक समूह से भी प्रतिक्रिया ली ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निष्कर्ष आसानी से समझ में आने वाले थे जिससे कि मुख्य बातें प्रमुखता से सामने आईं।

सीख 2: स्कूल के दौरे पर जाने से पहले गतिविधियों के चरणदरचरण निष्पादन की कल्पना करने से संभावित बाधाओं की पहचान करने और समाधानों पर विचारमंथन करने में मदद मिलती है

अपनी नियोजित गतिविधियों के सुचारू निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए, हमने स्कूल में प्रवेश करने से लेकर गतिविधियों के संचालन और स्कूल छोड़ने तक की पूरी प्रक्रिया की कल्पना की। इससे हमें संभावित चुनौतियों की पहचान करने, समाधान विकसित करने और अधिक आत्मविश्वास हासिल करने में मदद मिली।

हमने छात्रों के साथ स्टोरीबोर्ड प्रस्तुति और ड्राइंग गतिविधि आयोजित करने और एक ही दिन में प्रत्येक स्कूल में शिक्षकों के साथ चर्चा करने की योजना बनाई; इसलिए, समय को इस अनुसार अनुकूलित करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण था। कुशल प्रसार सुनिश्चित करने के लिए, हमने स्कूल लीडर्स, शिक्षकों और कार्यान्वयन भागीदारों से पहले ही संपर्क कर लिया था। हमने अपने स्कूल के दौरे के पीछे के उद्देश्य को स्पष्ट कर दिया था, आवश्यकता संबंधी सहायता के बारे में बताया, और शिक्षक और छात्र की उपलब्धता की भी पुष्टि की। इससे हम, शुरू करने और स्कूल पहुंचने के बाद गतिविधियों को आयोजित करने में लगने वाले समय को कम कर सके।

स्कूली शिक्षकों के लिए पाठ और अंतर्दृष्टि के साथ चिपकाए गए कुछ नोट्स_सामुदायिक भागीदारी
सामुदायिक जुड़ाव का अनुभव रखने वाले टीम के साथियों के इनपुट ने निष्कर्ष तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। | चित्र साभार: आईडीइनसाइट

चरण 2: कार्यान्वयन

सीख 3: लक्षित वर्ग की सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए संचार तकनीकों का जानापहचाना, समावेशी और प्रासंगिक होना जरूरी है

डेटा के साथ शिक्षकों और छात्रों को प्रभावी ढंग से जोड़ने के लिए हमें ऐसे प्रारूपों का उपयोग करने की ज़रूरत थी जो प्रासंगिक हों और जिसमें सीमित तकनीक अवधारणाओं का इस्तेमाल हुआ हो। ग्राहकों के साथ निष्कर्ष साझा करने के हमारे सामान्य तरीके इस संदर्भ में उपयुक्त नहीं थे।

इसलिए हमने संपर्क स्थापित करने के लिए स्टोरीटेलिंग और गतिविधि-आधारित तकनीकों को चुना। उदाहरण के लिए, हमने जिस स्टोरीबोर्ड प्रेजेंटेशन और चित्रकला से जुड़ी गतिविधियों को चुना था वे छात्रों के दैनिक अकादमिक पाठ्यक्रम का हिस्सा थीं। हमने जो कहानी बनाई थी वह बहुत अधिक प्रासंगिक थी क्योंकि इसमें एक शिक्षक अपने छात्रों के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश करता है और कक्षा का माहौल बेहतर करने के लिए उनके साथ काम करता है। मौखिक कहानी कहने के साथ-साथ, हमने कक्षा के ब्लैकबोर्ड पर चिपकी एक बड़ी लचीली सामग्री पर मुद्रित एक स्टोरीबोर्ड का उपयोग किया – जिसे, फिर से, छात्र पढ़ाई के दौरान हर दिन देखने के आदी हो गये थे। स्टोरीबोर्ड से यह जोड़ने में मदद मिली कि कहानी कितनी प्रासंगिक थी – हमने ऐसे चरित्रों का इस्तेमाल किया जो उनके जैसे ही दिखते थे, उनके जैसे स्कूलड्रेस पहनते थे और उसी कक्षा में बैठते थे। चित्रकला वाली गतिविधि एक सामूहिक गतिविधि थी; छात्रों को रंगों के साथ काम करने और वे जो चित्र बनाना चाहते थे उसके साथ जुड़ने में मजा आया।

चित्र बनाने की गतिविधि शुरू करने से पहले, हमने छात्रों को भी वीडियो दिखाए जिनसे चित्र बनाने के उनके विचारों को प्रेरणा मिली।

चूंकि वीडियो देखने में हमेशा मज़ेदार, समझने में आसान और सोशल मीडिया पर साझा करने योग्य होते हैं, इसलिए हमने शिक्षकों और अभिभावकों के लिए एक एनिमेटेड वीडियो विकसित किया है। जब हमने इन वीडियो को शिक्षकों को दिखाया, तो उन्हें इस कहानी स्कूल में होने वाले उनके अनुभव के जैसी ही लगी और इस बात को लेकर उनकी सोच सकारात्मक थी कि माता-पिता और दूसरे शिक्षक इन वीडियो को पसंद करेंगे और इनसे सीखना चाहेंगे! चित्र बनाने की गतिविधि शुरू करने से पहले, हमने छात्रों को भी वीडियो दिखाए जिनसे चित्र बनाने के उनके विचारों को प्रेरणा मिली।

सीख 4: किसी परिचित/संबंधित प्रस्तुतकर्ता द्वारा स्थानीय और बोलचाल की भाषा का उपयोग करने से दर्शकों को गतिविधियों से जुड़ने में मदद मिलती है

छात्रों के साथ प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए, हमारी टीम के फील्ड मैनेजर ने स्टोरीबोर्ड प्रस्तुति के लिए कहानीकार की भूमिका निभाई। प्रस्तुतकर्ता के लिए यह महत्वपूर्ण था कि वह ऐसा व्यक्ति हो जिससे छात्र भाषा और संस्कृति के स्तर पर जुड़ सकें। हमने स्थानीय भाषा में बोलचाल के स्पर्श के साथ एक छोटी सी पटकथा बनाई, जिससे छात्रों के लिए इसे समझना आसान हो गया।

कहानी कहने वाली गतिविधि (स्टोरीटेलिंग) आईडीइनसाइट के लिए नया प्रारूप था, हमने टीम के साथ मिलकर कई मॉक सत्र किए ताकि पटकथा के साथ-साथ प्रस्तुति के लहजे और ऊर्जा के स्तर को बेहतर किया जा सके। एक बार तय हो जाने के बाद, हमारे फ़ील्ड मैनेजर ने प्रस्तुति को बेहतर बनाने के लिए अपने टीम के सदस्यों और अपने समुदाय के बच्चों के साथ बहुत ही गंभीरता और लगन के साथ पटकथा का अभ्यास किया।

स्कूलों में स्टोरीबोर्ड प्रस्तुतियों के दौरान, हमने छात्रों से सरल प्रश्न पूछकर उन्हें सक्रिय रूप से शामिल किया, जिनका उन्होंने एक स्वर में उत्तर दिया। इस संवादात्मक (इंटरैक्टिव) दृष्टिकोण ने उनका ध्यान केंद्रित रखने और कहानी के साथ उन्हें जोड़े रखने में हमारी मदद की।

इसी प्रकार, हमने अपने वीडियो प्रोडक्शन एजेंसी के साथ मिलकर वीडियो पटकथा पर भी कई बार काम किया ताकि इसे भाषा के शब्दजाल से बचाया जा सके और यह सुनने में परिचित और प्रासंगिक लगे।

सीख 5: अच्छी भागीदारी और स्पष्टवादिता के लिए एक सहज और सुरक्षित वातावरण बनाना आवश्यक है

छात्रों और शिक्षकों के साथ आईडीइनसाइट की बातचीत आमतौर पर निगरानी और मूल्यांकन कार्य पर डेटा संग्रह के लिए स्कूलों का दौरा करने तक ही सीमित होती है। यह पहली बार था जब हम इसके बदले अपने निष्कर्षों को साझा करने के लिए स्कूलों के दौरे पर थे और छात्रों की भागीदारी, आनंद और सीखने के लिए एक आरामदायक वातावरण बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता थी।

हमने अपने कार्यान्वयन भागीदारों के साथ सहयोग किया, जो नियमित रूप से स्कूलों के साथ जुड़ते हैं। उनकी उपस्थिति से हमें स्कूल लीडर्स, शिक्षकों और छात्रों के साथ संबंध स्थापित करने में मदद मिली। हमारे साझेदारों से हमें परिचय स्थापित करने में मदद मिली, उन्होंने छात्रों के साथ आइसब्रेकर गेम आयोजित किए और शिक्षकों और छात्रों के साथ बेहतर संवाद करने में हमारी मदद की।

हमने इस पर भी जोर दिया कि गतिविधियों में भागीदारी स्वैच्छिक हो और साथ ही भाग ना लेने के बच्चों के निर्णय का सम्मान किया जाए।

आइसब्रेकर खेलों में हमने भी सक्रियता से भाग लिया जिससे छात्रों को हमारे साथ सहज होने में मदद मिली। ‘ड्रा योर विजन’ की गतिविधि से शांत बच्चों को कला के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करने का अवसर मिला और इससे उनकी भागीदारी भी सुनिश्चित हुई। हमने इस पर भी जोर दिया कि गतिविधियों में भागीदारी स्वैच्छिक हो और साथ ही भाग ना लेने के बच्चों के निर्णय का सम्मान किया जाए।

शिक्षकों के साथ हमने इसकी शुरुआत पहले जान-पहचान और फिर उनके द्वारा पढ़ाए जाने वाले विषयों पर चर्चा से की। हमने उनके अनुभवों और चुनौतियों के साथ सहानुभूति जताई और एक ऐसा वातावरण बनाया जिसमें वे सहज और मुक्त भाव से अपने विचारों और राय को साझा कर पाएं।

चरण 3: अंतर्दृष्टि बनाना

सीख 6: कार्यक्रम के डिजाइन और कार्यान्वयन को सूचित करने के लिए प्रतिभागियों की अंतर्दृष्टि और सिफारिशों का दस्तावेजीकरण करें

आधारभूत निष्कर्षों पर इनपुट प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य को देखते हुए, हमारी गतिविधियां विशेष रूप से मूल्यवान अंतर्दृष्टि बनाने के लिए डिज़ाइन की गई थीं। हमने शिक्षक और छात्र की प्रतिक्रियाओं को नोट किया और उनकी सहभागिता के स्तर को देखा। जबकि शिक्षकों से निष्कर्षों पर इनपुट अपेक्षाकृत सीधा था, वहीं छात्रों से मिलने वाली प्रतिक्रिया विशेष रूप से दिलचस्प थी।

ऐसा इसलिए है क्योंकि छात्रों से की जाने वाली बातचीत का प्रारूप अर्ध-संरचित बातचीत था और हमने जिन चित्रों की समीक्षा की थी उसका उद्देश्य अर्थपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त करना था। हमने कार्यक्रम सुधार प्रयासों में जानकारी शामिल करने के लिए इन मूल्यवान जानकारियों को अपने भागीदारों के साथ साझा किया। उदाहरण के लिए, एक आर्टवर्क में सहपाठियों को शारीरिक विकलांगता वाले एक छात्र का समर्थन करते हुए और उसे अपने खेल के मैदान में शामिल करते हुए दिखाया गया है। इस दृष्टिकोण का उपयोग विकलांगता-अनुकूल स्कूल वातावरण और बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने के लिए छात्रों के नेतृत्व वाली परियोजना के निर्माण में किया जा सकता है।

अब आगे क्या? संपूर्ण परियोजना के हिस्से के रूप में भागीदारी के तरीकों में हमारा प्रारंभिक प्रयास एक मूल्यवान अनुभव रहा है। ये अंतर्दृष्टि हमारे भविष्य के काम को आकार देगी और आईडीइनसाइट पर समान परियोजनाओं के व्यापक परिदृश्य में योगदान देगी। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, हम अपने दृष्टिकोण को और अधिक परिष्कृत करने, अपने सहयोगात्मक प्रयासों को दृढ़ करने और उन समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए उत्साहित हैं जिनकी हम सेवा करते हैं।

इस ब्लॉग में मूल्यवान इनपुट और समीक्षा के लिए सुमेधा जलोटे, नेहा रायकर और देबेंद्र नाग का धन्यवाद। इस काम को आकार देने और विचारशील चिंतन और ज्ञान साझा करने को प्रोत्साहित करने में उनके मार्गदर्शन के लिए टॉम वेन का विशेष धन्यवाद।

यह लेख मूल रूप से आईडीइनसाइट पर प्रकाशित हुआ था। इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ें

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लेखक के बारे में
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अक्षिता शर्मा

अक्षिता शर्मा भारत के जयपुर में काम करने वाली संस्था आईडीइनसाइट में एक सहयोगी के रूप में कार्यरत हैं।

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