सरकार और समर्थन
February 12, 2024

आकांक्षी जिलों को सीएसआर फंड का एक सीमित हिस्सा ही मिलता है

आकांक्षी जिला कार्यक्रम का लक्ष्य देश के सबसे कम विकसित क्षेत्रों में विकास करना है लेकिन इस कार्यक्रम के तहत चुने गये जिलों में होने वाला सीएसआर निवेश सीमित है।
6 मिनट लंबा लेख

जनवरी 2018 में, भारत सरकार ने ‘आकांक्षी जिला परिवर्तन’ नाम से एक पहल की शुरुआत की। न्यू इंडिया बाय 2022 के दृष्टिकोण के साथ, इसके केंद्र में मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के तहत भारत की रैंकिंग में सुधार करना, अपने नागरिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना और सभी के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करना था। आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत हमारे देश के सात सौ से अधिक जिलों में सबसे कम विकसित जिलों की पहचान की गई।
यह कार्यक्रम हमारे विकास पिरामिड के निचले स्तर पर स्थित इन 115 जिलों की प्रगति में तेजी लाने के लिए विशेष ध्यान देने के साथ आवश्यक सहायता भी प्रदान करता है।

नोट: पश्चिम बंगाल के जिलों ने इस कार्यक्रम में भाग ना लेने का फैसला किया है। वर्तमान में, केवल 112 जिले ही एडीपी के हिस्सा हैं। हालांकि, हमारे विश्लेषण में हम उन सभी 115 जिलों में होने वाले सीएसआर फंड के खर्च को शामिल करते हैं जिनकी पहचान साल 2018 में एडीपी के लॉन्च के समय की गई थी।

नीति आयोग ने स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास और बुनियादी ढांचे के समग्र संकेतकों के आधार पर 28 राज्यों में 115 जिलों की पहचान की, जिनका एचडीआई पर प्रभाव पड़ता है। एडीपी के लागू होने के पांच सालों में, समग्र कंपोज़िट स्कोर में 72 फीसद से अधिक का सुधार देखा गया है। सबसे अधिक बदलाव शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन तथा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हुआ है।

एडीपी की व्यापक रूपरेखा झुकाव (केंद्रीय एवं राज्य योजनाओं का), सहयोग (केंद्र, राज्य स्तर के अधिकारियों एवं जिला कलेक्टरों का) और जन आंदोलन की भावना से प्रेरित जिलों के बीच प्रतिस्पर्धा है। एडीपी में जिलों को पहले अपने राज्य (सीमांत जिलों) के भीतर सर्वश्रेष्ठ जिलों में से एक बनने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाता है। इसके बाद, उनमें प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद की भावना में दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करके और उनसे सीखकर देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक बनने की इच्छा पैदा की जाती है। अगस्त 2023 तक, उत्तर-पूर्वी राज्यों में आकांक्षी जिलों (एडी) और बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों में बड़ी संख्या में एडी का समग्र समग्र स्कोर 50 या इससे कम था। वे अब सीमांत जिलों के साथ दूरी कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इन राज्यों में एडी की हिस्सेदारी भी अधिक है।

सरकार द्वारा एडी में सीएसआर निवेश की हिमायत करने के बावजूद, 2014-22 के दौरान कुल सीएसआर का केवल 2.15%* इन जिलों में निवेश किया गया है, जहां भारत की 15 फ़ीसद से अधिक आबादी रहती है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में, एडी ज़िलों में किए गये सीएसआर खर्च में पिछले वर्ष कि तुलना में 50 फीसद से अधिक की वृद्धि देखी गई।

कुल सीएसआर फंड का आधे से अधिक हिस्सा (53%) इन पांच राज्यों – मध्य प्रदेश (448 करोड़), आंध्र प्रदेश (387 करोड़), झारखंड (328 करोड़), छत्तीसगढ़ (301 करोड़) और गुजरात (291 करोड़) में एडी पर खर्च किया जाता है।

साथ ही, एडी में खर्च हुए कुल सीएसआर फंड का तीन चौथाई हिस्सा (78%) इन चार टॉप सेक्टर्स (शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और पर्यावरण स्थिरता) में किया गया है। कोविड-19 वाले वर्षों के दौरान, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में होने वाला सीएसआर खर्च 70 फ़ीसद से अधिक था। 2020-21 और 2021-22 के बीच पर्यावरण स्थिरता परियोजनाओं में सीएसआर खर्च में पांच गुना वृद्धि देखी गई।

जनवरी 2023 में, एडीपी के शुरुआत के पांच साल बाद, भारत सरकार ने ‘आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम (एबीपी)’ की शुरुआत की। यह कार्यक्रम, भारत के सबसे कठिन और अविकसित प्रखण्डों (ब्लॉक) में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केंद्रित है। भारत के 27 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 500 ब्लॉक की पहचान स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और संबद्ध सेवाओं, पेयजल और स्वच्छता, वित्तीय समावेशन, मूलभूत सुविधाओं, और समग्र सामाजिक विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों के तहत वर्गीकृत प्रमुख सामाजिक-आर्थिक संकेतकों की निगरानी करके आकांक्षी ब्लॉकों में बदलाव लाने के लिए की गई थी। एबीपी की शुरुआत के साथ, भारत में 45 फ़ीसद से अधिक जिले (~350 जिले) अब या तो एडीपी और/या एबीपी के जिले का हिस्सा हैं।

पिछले पांच वर्षों में 115 एडी जिलों में विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में किस प्रकार के परिवर्तन हुए हैं? किन जिलों में सभी विषयगत क्षेत्रों में लगातार सुधार देखे जा रहे हैं? उन्हें कितनी मात्रा में सीएसआर फंडिग प्राप्त हुई? इन एडी ज़िलों में किन कंपनियों का निवेश है? हम अपने पिरामिड के निचले स्तर पर निवेश को कैसे मजबूत करें और इन जिलों को उनके परिवर्तन लक्ष्यों तक पहुंचने में कैसे मदद करें? क्या कुल सीएसआर निवेश का 2 फ़ीसद आवंटन आकांक्षी जिलों के परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने के लिए पर्याप्त है?

एडीपी और एबीपी तथा एडी एवं एबीपी के जिलों में खर्च होने वाले सीएसआर के बारे में विस्तार से जानने के लिए एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स पर हमारे डाटा संपत्ति पर एक नज़र डालें।

*एमसीए सीएसआर पोर्टल पर उपलब्ध जिलों के प्रत्यक्ष श्रेय के अनुसार – सीएसआर का एक बड़ा हिस्सा किसी विशेष जिले को आवंटित नहीं किया जाता है।

यह लेख मूल रूप से इंडिया डेटा इनसाइट्स पर प्रकाशित हुआ था।

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