March 9, 2022

लोगों को टैक्स में राहत दिलवाने वाली क्राउडफंडिंग पर एक टिप्पणी

यदि आप क्राउडफंडिंग प्लैटफ़ार्म के माध्यम से धन जुटाने की योजना बना रहे हैं तो टैक्स में छूट, एफ़सीआरए नियमों सहित कई अन्य जानकारियाँ आवश्यक है।
6 मिनट लंबा लेख

धन उगाहने के लिए क्राउडफंडिंग का तरीका बहुत ही लोकप्रिय बन गया है। विशेष रूप से पिछले एक साल के दौरान कोविड-19 को लेकर अपना दान देने वाले ज़्यादातर लोगों ने इसी तरीके का प्रयोग किया है। हालांकि ऐसा करने वाले लोगों को कर निहितार्थ और क़ानूनों के बारे में पता होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उगाहे गए धन का अधिकतम हिस्सा उसी उद्देश्य के लिए खर्च किया जा रहा है जिस उद्देश्य के लिए उसे इकट्ठा किया गया है। साथ ही इस प्रक्रिया में कानून का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है। यह बात धन उगाहने वाले और दान देने वाले दोनों के लिए ही समान रूप से महत्वपूर्ण है। 

आपने कुछ महीने पहले राणा अय्यूब और सोनू सूद के बारे में पढ़ा होगा कि वे क्राउडफंडिंग मंचों के माध्यम से एकत्र किए गए दान की राशि के कारण कर विभाग के अधिकारियों की नजरों में आ गए और उन्हें इनसे जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन दो उदाहरणों में उन लोगों के लिए कुछ ज्ञान की बातें हैं जो क्राउडफंडिंग के मंचों के उपयोग की योजना बना रहे हैं और वैसे दानकर्ता जो इस प्रकार का अनुदान करते हैं। इन्हें आमतौर पर निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है:

  • क्राउडफंडिंग मंचों पर जुटाए गए धन पर कर-निर्धारण
  • एफ़सीआरए दान के आसपास विनियमन 

क्राउडफंडिंग मंचों पर जुटाए गए धन पर कर-निर्धारण 

राणा अय्यूब ने दान में 2.7 करोड़ रुपए जमा किए थे, और उन्हें इस धन के एवज में 90 लाख रुपए की धनराशि कर के रूप में देनी पड़ी। इस तरह देखा जाये तो लोगों द्वारा दान में दी गई राशि का एक हिस्सा कर भुगतान में चला गया न कि निहित उद्देश्य की पूर्ति में।

फूलों की धून्धली पृष्ठभूमि के साथ एक हाथ से दूसरे हाथ में दस रुपए के एक नोट का आदान-प्रदान किया जा रहा है-क्राउडफंडिंग टैक्स
प्राप्तकर्ता को प्राप्त होने वाली राशि पर आयकर का भुगतान भी करना पड़ सकता है। | चित्र साभार: फ्लिकर

व्यक्तिगत तौर पर धन उगाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि अगर आप दान में मिलने वाली धनराशि को अपने बैंक खाते में इकट्ठा करते हैं तब आपको उस धनराशि पर आयकर का भुगतान भी करना पड़ेगा। साथ ही सबसे पहले आपके बैंक खाते में आने वाले धन पर आयकर विभाग की कड़ी नजर भी रहेगी। इसके आगे, जब आप यह धनराशि प्राप्तकर्ता को देते हैं तब उन्हें प्राप्त किए गए इस पैसे पर आयकर का भुगतान करना पड़ सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में दान देना एक दोगुने कर-निर्धारण का विषय बन जाता है।

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इसे तीन मॉडलों के माध्यम से विस्तार से समझा जा सकता है।

क्राउडफंडिंग के लिए कराधान के विभिन्न परिदृश्यों का विवरण देने वाली टेबल

स्थिति 1: जब कोई व्यक्ति किसी अन्य संगठन या व्यक्ति के बदले उगाही गई धनराशि को अपने बैंक खाते में एकत्र करता है और फिर उस पैसे को उन्हें देता है—यह स्थिति सबसे बुरी होती है।

स्थिति 2 में कर के प्रभाव को एक हद तक कम किया जा सकता है, जहां धन उगाहने वाले अभियानकर्ता अभियान चलाते हैं और दानकर्ता दान की धनराशि को सीधे प्राप्तकर्ता संगठन/व्यक्ति विशेष को देता है (इस मामले में 34 प्रतिशत वाला आय का पहला स्तर लागू नहीं होता है)। इस स्थिति के दूसरे रूप में, धन एकत्र करने वाला क्राउडफंडिंग का मंच प्राप्त धन को संगठन को हस्तानांतरित करता है, इस मामले में भी फिर से पहले स्तर पर कर का नुकसान नहीं होता है। ज़्यादातर क्राउडफंडिंग मंच ऐसा ही करते हैं। लेकिन यह हमेशा इस आधार पर संभव नहीं हो सकता है कि धन को किस लिए जुटाया गया है—शायद इस धन को बच्चों की शिक्षा, आवारा कुत्तों की देखभाल आदि के उद्देश्य के लिए एकत्रित किया गया हो सकता है। 

इस समस्या को टालने का एक आसान तरीका एक स्वयंसेवी संस्था को ढूँढना है जो उस क्षेत्र में काम करती है जिसके लिए आप घन इकट्ठा करना चाहते हैं, जैसा कि स्थिति 3 में बताया गया है। मान लेते हैं कि उस स्वयंसेवी संस्था को 12A और 80G के तहत कर पर छूट प्राप्त है, इस मॉडल के दो फायदे हैं: 

  • धन उगाहने वाले पर किसी तरह का कर-निर्धारण नहीं होता है क्योंकि दान का पैसा एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा इकट्ठा किया जाता है। 
  • प्राप्तकर्ता पर भी किसी तरह के कर का निर्धारण नहीं किया जाता है क्योंकि स्वयंसेवी संस्था द्वारा हस्तानांतरित धन कर अधिनियमों से बाहर होता है। 

इससे भी अधिक, इसका एक और बड़ा फायदा है—दानकर्ताओं को उनके दान की राशि पर 50 प्रतिशत तक का कर-राहत मिलता है। इसका मतलब यह है कि अगर आप 10,000 रुपए दान में देते हैं तब आप अपनी कुल कर योग्य आय को 5,000 रुपए तक कम कर सकते हैं। इसका अर्थ यह भी है कि यदि आप 30 प्रतिशत के उच्चतम कर दायरे में हैं तो आपकी देनदारी 1,500 रुपए कम हो जाएगी। 

दाता के लिए कर बचत और प्राप्तकर्ताओं के लिए अधिक राशि देने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों के लिए ही सर्वश्रेष्ठ स्थिति होती है। और एक फंड उगाहने वाले के रूप में आपका उद्देश्य यही होना चाहिए। 

एफ़सीआरए दान के आसपास विनियमन 

एक बात जिसे ध्यान में रखने की जरूरत है वह यह है कि धन उगाहने वाले एक व्यक्ति के रूप में आपके पास ऐसे किसी भी विदेशी नागरिक से दान लेने की अनुमति नहीं है जिसके पास एफ़सीआरए प्रमाणपत्र नहीं है। एफ़सीआरए गृह मंत्रालय द्वारा लागू किया गया एक कानून है जो भारत में आने वाले विदेशी योगदान या दान की राशि को नियंत्रित करता है। इसलिए धन उगाहने के क्रम में, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके द्वारा चुना गया क्राउडफंडिंग का मंच आपके अभियान में किसी विदेशी नागरिक से दान नहीं ले रहा है। 

धन उगाहने के दौरान ध्यान में रखने योग्य बातें

  • स्वयंसेवी संस्था तक अधिकतम राशि पहुंचाने के लिए एक ऐसे स्वयंसेवी संस्था को ढूँढे जो उस उद्देश्य के लिए काम कर सके जिसका अप समर्थन करना चाहते हैं। अगर आप किसी व्यक्ति विशेष के लिए धन एकत्रित कर रहे हैं तब आपको इंडिया केयर्स नाम की एक प्रतिष्ठित स्वयंसेवी संस्था का उपयोग करना चाहिए जो 2-3 प्रतिशत के खर्च पर यह सुविधा मुहैया करवाती है। आप दान प्राप्तकर्ता के रूप में इंडिया केयर्स का चुनाव करते हुए अपनी पसंद वाले क्राउडफंडिंग मंच से धन इकट्ठा कर सकते हैं। 
  • सुनिश्चित करें कि उस स्वयंसेवी संस्था के पास 80G प्रमाणपत्र है। इससे यह तय होगा कि आपके दानकर्ताओं को कर में राहत मिलेगी। 
  • अगर स्वयंसेवी संस्था के पास एफ़सीआरए लाईसेंस होगा तो इससे मदद मिलेगी। क्योंकि इससे विदेशों में रहने वाले आपके परिवार के सदस्यों और दोस्तों (विदेशी नागरिक) को भी संगठन में दान करने में मदद मिल सकती है। अगर स्वयंसेवी संस्था के पास एफ़सीआरए लाईसेंस नहीं है तो उस स्थिति में क्राउडफंडिंग के अपने मंच से इस बात को सुनिश्चित करें कि वह किसी भी विदेशी नागरिक से दान नहीं ले रहे हैं। अधिकारियों द्वारा की जाने वाली जांच-पड़ताल से बचने के लिए यह जरूरी है। हालांकि, विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिक किसी भी मुद्रा में दान कर सकते हैं। 

क्राउडफंडिंग मंचों पर धन उगाहने वालों को योगदान देते समय ध्यान में रखने वाली कुछ बातें

  • सुनिश्चित करें कि अभियान एक स्वयंसेवी संस्था के लिए है: अगर आप चाहते हैं कि आपके योगदान का अधिकतम हिस्सा जरूरतमंद तक पहुंचे तब सिर्फ उन्हीं मामलों में दान करें जहां प्राप्तकर्ता कोई स्वयंसेवी संस्था हो। 
  • सुनिश्चित करें कि स्वयंसेवी संस्था के पास 80G प्रमाणपत्र है: अगर आप कर में राहत का लाभ उठाना चाहते हैं तब उस स्वयंसेवी संस्था के पास 80G प्रमाणपत्र होना चाहिए जिसमें आपने दान दिया है। ज़्यादातर क्राउडफंडिंग मंच अपने अभियान के दौरान इसे स्पष्ट रूप से रेखांकित करते हैं। 
  • अगर आप विदेशी नागरिक है तब आप यह सुनिश्चित करें कि आप जिस स्वयंसेवी संस्था या व्यक्ति को दान दे रहे हैं उसके पास एफ़सीआरए लाइसेन्स है: अगर उनके पास एफ़सीआरए लाइसेन्स नहीं है तब वे विदेशी योगदान को न लेने के कानून का उल्लंघन कर रहे हैं; इससे वे और/या आप मुश्किल में फंस सकते हैं या भविष्य में आपको आपके योगदान की राशि वापस मिल सकती है।  

क्राउडफंडिंग मंचों के माध्यम से धन उगाहने के काम को चला सकने का एक उदाहरण: आईआईएम अहमदाबाद के मेरे सहपाठियों ने हाल ही में हमारे एक सहपाठी के परिवार के एक दिवंगत सदस्य के लिए फंड एकत्रित किया था। क्राउडसोर्सिंग मंच पर धन उगाहने में शामिल बारीकियों को देखते हुए हम लोगों ने धन को दो भागों में उगाहने का चुनाव किया। हम लोगों ने भारतीय नागरिकों को इंडिया केयर्स के माध्यम से दान देने के लिए कहा। चूंकि यह एक स्वयंसेवी संस्था है, इसलिए इसके प्राप्तकर्ताओं को कर का भुगतान नहीं करना पड़ा था, और इससे हम सभी दानकर्ताओं को 80G के तहत मिलने वाले कर-राहत की सुविधा भी मिली। हमारे कई सहपाठी जो अब विदेशी नागरिक हो चुके हैं, उनके लिए हम लोगों ने एक अन्य स्वयंसेवी संस्था का उपयोग किया—जिसके पास एफ़सीआरए प्रमाणपत्र था—ताकि हम अंतर्राष्ट्रीय धन ले सकें और अमरीका में उन्हें कर से राहत मिल सके। धन उगाहने वाले इस दोहरे दृष्टिकोण से हमें भारतीयों और विदेशी दोनों दानकर्ताओं के लिए इस प्रक्रिया को अनुकूलित बनाने में मदद मिली। क्राउडफंडिंग मंच विभिन्न उद्देश्यों के लिए धन उगाहने के एक अच्छे तरीके के रूप में उभर कर आया है। कई बार हम लोग उनके द्वारा लगाए गए 5–10 प्रतिशत शुल्क को लेकर सोच में पड़ जाते हैं। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि गलत तरीके से धन उगाहने के कारण कुल जमा हुई राशि का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जरूरतमंद तक नहीं पहुँच पाता है। इसलिए धन उगाहने का काम करें लेकिन बुद्धिमानी से। 

इस लेख को स्वयंसेवी संस्थाओं के लोगों के लिए विशेष रूप से संपादित किया गया है। इस लेख का मूल संस्करण 19 अक्तूबर 2021 को हिन्दू बिजनेसलाइन में प्रकाशित हुआ था। 

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अधिक जानें 

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  • क्राउडफंडिंग के माध्यम से कोविड-19 के अपने उपचार के लिए एकत्रित धन पर कर के प्रभावों के बारे में जानें।  
  • जानें कि कैसे ऑनलाइन दान परोपकार को बदल रहा है।

लेखक के बारे में
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धवल उडानी

धवल उडानी के पास टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट कंसल्टिंग और परोपकारी सलाह के क्षेत्र में 15 साल का अनुभव है। उन्होंने सिटीग्रुप और एटी किर्नी जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम किया है। 2006 में उन्होनें गिवइंडिया में स्वयंसेवक के रूप में काम किया और सामाजिक क्षेत्र में अपना जीवन शुरू किया, और 2008 में पूरी तरह इससे जुड़ गए। धवल 2011 से 2014 तक गिवइंडिया के सीईओ रहे। वह एक एस्पेन फैलो हैं और इसके इंडिया लीडरशीप इनीशीएटिव का हिस्सा भी हैं। धवल आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र हैं और उन्होनें मुंबई के वीजेटीआई से कंप्यूटर साइन्स में स्नातक की डिग्री हासिल की है।

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