समावेशन पर चर्चा के बावजूद क्वीयर और ट्रांस व्यक्तियों को अब भी संस्थानों, आजीविका के विकल्पों और नीति-निर्माण के मंचों से व्यवस्थित बहिष्कार झेलना पड़ता है।
पीएमजेडीवाय जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के बावजूद निम्न आयवर्ग वाले घरों की महिलाएं बचत के लिए बैंकों के इस्तेमाल से क्यों झिझकती हैं और उनके नज़रिए को कैसे बदला जा सकता है?