दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र की गलियों में काम कर रहे आगाज थियेटर ट्रस्ट ने कम्युनिटी लीडरशिप की अलग ही परिभाषा गढ़ी है। ऐसी लीडरशिप, जो समुदाय के भीतर से आती है, रोज की जिंदगी से जुड़ी है और जिसे लोग अपना मानते हैं। नगीना, नगमा और जैस्मिन जैसे कई नाम इस बात का उदाहरण हैं कि जब […]
भारत में लंबे समय से पुरानी चीज़ों की मरम्मत और पुनःउपयोग कर उनके जीवनकाल को बढ़ाने का चलन रहा है। सर्कुलर इकोनॉमी, अपसाइक्लिंग और थ्रिफ्टिंग जैसे शब्दों के वैश्विक स्तर पर प्रचलित होने से कहीं पहले से देश के लोग मोटे तौर पर कम खर्चे वाली टिकाऊ जीवनशैली अपनाते रहे हैं।लेकिन फिर भी 2024 में […]
भारतीय शहर, देश के कुल सालाना कार्बन उत्सर्जन में 70 प्रतिशत से अधिक योगदान देते हैं। इसमें निजी गाड़ियों समेत होने वाले सड़क परिवहन का योगदान 62 प्रतिशत है। इस वजह से साल 2021 में यह देश के कार्बन फुटप्रिंट का सबसे बड़ा कारण बन गया है। परिवहन से होने वाले प्रदूषण को असर चिंताओं […]
म्यांमार के मुस्लिम अल्पसंख्यक, रोहिंग्या समुदाय ने अपने देश में दशकों से उत्पीड़न और हिंसा का सामना किया है। इसके चलते बड़े पैमाने पर उनका पलायन हुआ है – खासतौर पर बांग्लादेश की ओर, और कुछ कम ही सही पर भारत, मलेशिया, थाईलैंड में भी। इसके अलावा दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के दूसरे हिस्सों में […]
थियेटर का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक मंच की तस्वीर उभरती है, जिस पर कलाकार नाटक पेश कर रहे होते हैं और हम, दर्शक, ताली बजा रहे होते हैं। लेकिन क्या हो अगर मंच पर घटने वाली कहानी का हिस्सा हम भी बन जाएं? अगर कलाकारों के साथ-साथ हम भी अपनी राय रखें, […]
दिल्ली की एक फील्डवर्कर रमा के जीवन के एक दिन की झलक पाने के लिए यह वीडियो देखें। रमा भलस्वा में कूड़ा बीनने वालों की मदद करती हैं। उनके सहयोग से समुदाय ने लकड़ी के चूल्हे से एलपीजी सिलेंडर के इस्तेमाल तक का सफ़र तय किया है। ज़मीनी स्तर पर काम करने का पंद्रह वर्षों […]
वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग बढ़ गया है लेकिन इन गैजेट्स का अपना जीवन चक्र कम हो गया है। नतीजतन, इससे पैदा होने वाले ई-वेस्ट की मात्रा अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है। विश्व स्तर पर, भारत ई-वेस्ट उत्पादन में तीसरे स्थान पर आता है, और स्वास्थ्य और पर्यावरण […]
पूर्वी दिल्ली के अंतिम छोर पर एक पहाड़ जैसी कोई आकृति दिखाई पड़ती है। थोड़ा नज़दीक जाने पर साफ़ दिखता है कि यह पहाड़ दरअसल कचरे का वही ढ़ेर है जिसे गाज़ीपुर लैंडफ़िल के नाम से जाना जाता है। कचरे के इसी विशाल ढ़ेर में सैकड़ों लोगों को अनौपचारिक रूप से रोज़गार मिलता है।मैं पहली […]