September 23, 2025

बराबरी की राह देखता बधिर समुदाय

यह​​​​ अधिकारों के लिए सक्रिय युवा कार्यकर्ता परमीत के जीवन, उनके काम और उनसे जुड़ी चुनौतियों की झलक प्रस्तुत करता है।
2 मिनट लंबा लेख

​​दिल्ली में जन्मे और बेंगलुरु में मनोविज्ञान व अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई कर रहे परमीत सिंह ‘डेफ बुकवेव’ नामक बुक-क्लब के संस्थापक हैं। ​​​वह ​​​इसके जरिए ​​बधिर (डेफ) समुदाय को ​​​साथ लाने​​ और सशक्त बनाने का काम करते हैं। इसके ​​​अलावा​​ परमीत इंडियन साइन लैंग्वेज ​​​भी ​​​सिखाते हैं। ​​​वह​​​ मानसिक स्वास्थ्य और साहित्य के क्षेत्र में बधिर ​​​समुदाय​​​ के लिए जगह ​​​बनाते हुए समाज में जागरूकता और समावेशन ​​​को बढ़ावा देने​​ की कोशिश कर रहे हैं। ​  

​​इस वीडियो में परमीत हमें अपने दिन की शुरुआत से लेकर कॉलेज, पढ़ाई, पसंदीदा किताबों और फिल्मों ​​की ​​​एक ​​​झलक दिखाते हैं। बचपन में सुनने की क्षमता खोने के बाद उन्हें शिक्षा और समाज में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यही अनुभव उन्हें आज डेफ अधिकारों, एक्सेसिबिलिटी और समावेशन की दिशा में आवाज​​​ उठाने की प्रेरणा देते हैं। ​  

​​परमीत मानते हैं कि अगर सुनने में सक्षम (हियरिंग) लोग ​​​साइन लैंग्वेज, यानी ​​​सांकेतिक भाषा सीखें और अपनी ​​​बोलचाल की ​​​भाषा को सम्मानजनक ​​​रखें,​​ तो समाज वास्तव में ​​अधिक समावेशी और सुलभ बन सकता है। उनका सपना है कि बधिर लोग मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी जगह बना ​​​पायें और अपनी आवाज​​ ​​बुलंद कर सकें। आईडीआर के इस वीडियो में ​​​देखिए​​​​​ समावेशन और बधिर अधिकारों के लिए ​​​संघर्षरत परमीत का एक दिन। ​  

फेसबुक बैनर_आईडीआर हिन्दी

​​इस वीडियो में पूरी बातचीत का इंटरप्रिटेशन शिवम द्वारा किया गया। ​​​वह​ अनुभवी सांकेतिक भाषा इंटरप्रिटर हैं और​​ ​अपने काम में​ ​सामाजिक​​​ समावेशन के लिए ​​​प्रयासरत​​​ हैं। ​​​वह ​​​वर्तमान में​ एसोसिएशन ऑफ​​ साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटर्स (​​​एएसएलआई​​​​​​​) और इनेबल इंडिया संस्थाओं ​​​से ​​​जुड़े हुए हैं।​ 

अधिक जानें 

  • जानिए, एक सामुदायिक आरजे का दिन कैसे गुजरता है।
  • जानिए, ​एक​​ विकलांग समावेशी कार्यस्थल कैसे​​​​ जा सकता​ है।
  • जानिए, विकलांग अधिकारों में भाषा की क्या भूमिका है। 

लेखक के बारे में
परमीत सिंह-Image
परमीत सिंह

परमीत सिंह ‘डेफ बुकवेव’ नामक बुक क्लब के संस्थापक हैं, जो बधिर (डेफ) समुदाय को जोड़ने और सशक्त बनाने का काम करता है। वे क्रिस्तु जयंति कॉलेज, बैंगलोर से मनोविज्ञान और अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई कर रहे हैं। ​परमीत​​अपने काम के जरिए​​मानसिक स्वास्थ्य और साहित्य के क्षेत्र में बधिर​​​​ के लिए जगह​​​​ समाज में जागरूकता और​​​​ ​​​ चाहते हैं।

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