इस बात में जरा भी शक की गुंजाईश नहीं है कि साल 2020 में कोविड-19 और वेबिनारों ने दुनिया में तहलका मचा दिया था। कुछ विडियो कॉन्फ़्रेन्डिंग प्लैटफ़ॉर्म का कहना है कि महामारी के शुरुआती दौर में विडियो कॉन्फ़्रेन्स और मीटिंग की संख्या में तीन से चार गुना की वृद्धि हुई थी।
वर्चुअल आयोजनों की उपयोगिता को किसी तरह के सबूत की ज़रूरत नहीं है। भौतिक (इन-पर्सन) आयोजनों की तुलना में वेबिनार और वर्चुअल आयोजन अधिक लोगों तक पहुँचने में सक्षम होते हैं।दर्शकों और श्रोताओं की माँग के आधार पर सामग्रियों को उपलब्ध करवाने के इस दौर में वे दर्शकों को उनकी सुविधानुसार बातचीत में हिस्सा लेने का अवसर भी देते हैं। दूसरी तरफ़, कई तरह के आयोजनों (वर्चुअल मीटिंग और कैच-अप कॉल की बड़ी संख्या) के विकल्प वाले समय में दर्शकों को अपने कार्यक्रम से जोड़े रखने के लिए एक अच्छी योजना की ज़रूरत होती है।
वर्तमान स्थिति विकास एवं शोध समुदाय को अपने दर्शकों से जुड़ने के तरीक़ों के बारे में दोबारा सोचने का मौक़ा दे रही है। पिछले कुछ महीनों में लीड एट क्रिया विश्वविद्यालय ने सीखने और प्रसार के विभिन्न प्रारूपों के साथ एक तरह का प्रयोग किया। इस प्रयोग में फ़ायरसाइड चैट से ट्विटर पर होने वाली बातचीत और रन-ऑफ़-द-मिल पैनल चर्चा शामिल है। इस प्रक्रिया से प्राप्त कुछ अनुभव इस प्रकार हैं।
1. अपना लक्ष्य निर्धारित करें
अपने लक्ष्यों को निर्धारित करते समय संगठनों को व्यावहारिक होना चाहिए। उन्हें यह सोचना होगा कि सीखने और पहुँच के व्यापक रणनीति की सीमा में ही वेबिनारों को आयोजित करवाना चाहिए। किसी भी कार्यक्रम की योजना में क़ीमती समय और संसाधन निवेश करने से पहले सभी स्तरों पर अपने लक्ष्यों को तय करना महत्वपूर्ण होता है। जैसे कि आयोजन की ‘सफलता’ का स्वरूप कैसा होगा और यह आपके संगठन के लक्ष्यों से किस प्रकार संबंधित होगा?
आयोजन की ‘सफलता’ का स्वरूप कैसा होगा और यह आपके संगठन के लक्ष्यों से किस प्रकार संबंधित होगा?
उदाहरण के लिए, आयोजन के स्तर पर आपका उद्देश्य सबूतों, अंतर्दृष्टि, शोकेस इन्नोवेशन, हितधारकों के बीच तालमेल बिठाने वाले क्षेत्रों की पहचान आदि को बढ़ावा देना हो सकता है। दूसरी तरफ़, एक संगठन के स्तर पर आपका उद्देश्य उद्योग के क्षेत्र में अपने ब्रांड को मज़बूत बनाना या नई साझेदारी करना भी हो सकता है।
अपने आयोजन के उद्देश्य के बारे में सोचते समय सीखने के एजेंडे को विकसित करना उपयोगी होता है। जैसे उन सवालों को पहचानना ना जो ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अंतरों और उनके उत्तर देने वाली गतिविधियों की बात करते हैं। ऐसा इसलिए ताकि आप समझ सकें कि अपने कार्यक्रम को आपकी पहुँच की रणनीति और संगठन के लक्ष्यों के साथ कैसे एकीकृत किया जाए। विचार-मंथन के इस प्रारम्भिक चरण का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ‘एक प्रतिभागी की तरह सोचना’ भी है। सत्र के अंत में दर्शक किस तरह का ज्ञान अपने साथ लेकर जाने की उम्मीद कर सकते हैं? पहले से ही इन बातों की समझ स्पष्ट होने से आपका आउटरीच अभियान मज़बूत होगा और दर्शकों का सही समूह तैयार करने में आपको मदद मिलेगी।
2. सही प्रारूप का चुनाव
किसी भी आयोजन में उसका प्रारूप उसकी विषय-सामग्री से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है। आमतौर पर आभासी आयोजन वेबिनार या वेबकास्ट के रूप में लाईव प्रसारित किए जाते हैं।
वेबिनारों को होस्ट और दर्शकों के बीच दो-तरफा बातचीत की सुविधा के लिए तैयार किया गया है। आयोजन के लक्ष्यों के आधार पर वेबिनारों और आयोजनों के प्रारूप के कुछ उदाहरण हैं जिन पर आप विचार कर सकते हैं:
- पैनल विभिन्न अनुभवों और दृष्टिकोणों वाले विशेषज्ञों और अभ्यास कर्ताओं के बीच होने वाली नियंत्रित चर्चा होती है। ऐसी चर्चाएँ जटिल मुद्दों की समझ को बेहतर करने और शोध और अभ्यास के बीच के अंतर को पहचानने में मददगार होते हैं।
- फ़ायरसाइड चैट होस्ट और कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों के बीच होने वाली अनौपचारिक (लेकिन संरचित) बातचीत होती है। ये प्रारूप किसी भी विषय पर विशेषज्ञों और विचारशील नेताओं की गहन अंतरदृष्टि प्राप्त करने के लिए उपयुक्त होते हैं। ये आमतौर पर दो या तीन लोगों के बीच होने वाली बातचीत तक ही सीमित होते हैं। इस तरह के कार्यक्रम में एक जानकार मेज़बान बातचीत में प्रासंगिकता लाकर विषय से जुड़े सवाल पूछने और पूरी चर्चा को आकर्षक बना सकता है।
- ट्विटर पर किसी विषय विशेष (और हैशटैग) के इर्द-गिर्द होने वाली वर्चुअल (आभासी) चर्चा को ट्वीट चैट कहा जाता है और यह आमतौर पर कुछ सवालों या संकेतों से शुरू होता है। इस तरह की चर्चाएँ विषयगत विशेषताओं को दिखाने, अपने जैसे लोगों को अपने साथ जोड़ने, अभियानों और वैश्विक आयोजन (#NTLTwitterchat) से जुड़ी बातचीत के लिए दर्शकों को साथ लाने में उपयोगी होती हैं।
- कार्यशालाएँ, हैकथोंस और गोलमेज़ सम्मेलन किसी ख़ास समस्या और वर्तमान सबूत पर कौशल निर्माण और सामूहिक रूप से काम करने के लिए उपयुक्त होते हैं। अगर आपका लक्ष्य नीति निर्माताओं के लिए प्रासंगिक होने वाले परिणामों को साझा करना है तो वैसी स्थिति में एक बड़े आयोजन की तुलना में कम लोगों के साथ मिलकर उस विषय पर किया जाने वाला गोलमेज़ सम्मेलन ज़्यादा कारगर साबित होगा।
वहीं वेबकास्ट सूचनाओं का एकतरफ़ा प्रवाह है। यह बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुँचने में उपयोगी होता है और आमतौर पर इसका उपयोग जानकारी देने के लिए किया जाता है। भाषण, मुख्य भाषण (कीनोट स्पीच) और संवादाता सम्मेलन (प्रेस कॉन्फ़्रेन्स) वेबकास्ट के कुछ लोकप्रिय प्रारूप हैं।
3. ‘सामान्य संदिग्धों’ से परे देखना
कोविड -19 के कारण बातचीत में विविधता और विभिन्न प्रकार की आवाज़ों को शामिल करने की ज़रूरत प्रबल हुई है। एक इंटरसेक्शनल नज़रिए का उपयोग करके यथास्थिति की दोबारा जाँच का मामला मज़बूत हो गया है—चाहे वह हमारे द्वारा इकट्ठा किए गए आँकड़े हों या चाहे जिनका हम प्रतिनिधित्व करते हैं या हमारे उन फ़ैसलों को लेने के तरीक़े जिनसे उन समुदायों पर असर पड़ता है जिनके साथ हम काम करते हैं। एक आकर्षक और ईमानदार बातचीत के लिए दृष्टिकोण के संतुलन को समझना और प्रतीकवाद से बचते हुए नई आवाज़ों को शामिल करना ज़रूरी होता है। अपने नेटवर्क से बाहर निकलकर दान कर्ताओं, पारिस्थितिकी को सक्षम बनाने वाले लोगों और मध्यस्था करवाने वाले संगठनों (जो आमतौर पर विभिन्न संगठनों के साथ काम करते हैं) से सलाह लेना भी कारगर हो सकता है। अपनी सूची में शामिल लोगों में से ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों, अकादमिक दुनिया के लोगों और नीति निर्माताओं की पहचान करना भी एक अच्छा तरीक़ा है। इसी क्रम में सोशल मीडिया चैनलों का उपयोग उस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और उभरते विशेषज्ञों की जानकारी हासिल करने के लिए किया जा सकता है।
4. साफ़–सफ़ाई पर ध्यान देना
आयोजन के पहले, आयोजन के दौरान और बाद की सफलता के लिए ज़रूरी है कि आप अपने लोगों और प्रणालियों को व्यवस्थित कर लें।
आयोजन के कार्यक्रम को अंतिम रूप देते समय आयोजन की अवधि और दिन तथा समय को ध्यान में रखना ज़रूरी होता है। कोई भी आयोजन सोमवार और शुक्रवार को न करना ही बेहतर माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ़ समय का चुनाव विभिन्न समय क्षेत्रों से आने वाले प्रतिभागियों पर निर्भर करता है।
फ़ायरसाइड चैट और पैनल डिस्कशन जैसे प्रारूपों के लिए यह सलाह दी जाती है कि विशेषज्ञों से पहले से बात कर लेनी चाहिए। इसमें बातचीत का प्रवाह, मुख्य सवाल और चर्चा के बिंदु, समय-सीमा और लॉगिन लिंक आदि शामिल होता है। अगर समय अनुमति दे तो आयोजक को आयोजन से पहले एक बार सभी वक्ताओं से फ़ोन पर बात कर लेनी चाहिए ताकि आयोजन के दौरान वे एक दूसरे से असहज ना रहे और वास्तविक स्थिति से अवगत हो जाएँ।
वेब कॉन्फ़्रेन्सिंग के पहले से मौजूद टूल या एक नए ऐप को ख़रीदने के बीच का चुनाव करते समय निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए: दर्शकों की संख्या, आयोजन की समय-अवधि, और इस्तेमाल किए जाने वाले फ़ीचर। आयोजन से पहले सभी के साथ मिलकर एक अभ्यास करने से आयोजन वाले दिन सुविधा हो सकती है।
5. बातचीत को बढ़ावा देना
एक सामान्य नियम यह कहता है कि पंजीकरण की कुल संख्या के केवल 40-50 प्रतिशत लोग ही उपस्थित होते हैं। ज़्यादातर लोग वेबिनार की तारीख़ से एक सप्ताह पहले या उससे भी कम समय में अपना पंजीकरण करवाते हैं इसलिए सोशल मीडिया पर चलाए गए अभियान से पंजीकरण की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। इस कारण श्रोताओं के शोकेस, कार्यक्रम की झलक और रचनात्मक हैशटैग अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
प्रेजेंटेशन और मल्टीमीडिया जैसे विजुअल चीजों का उपयोग करते समय डिज़ाइन और विषय दोनों पर ध्यान देना और आभासी रूप से देखने वालों के लिए इन्हें बेहतर बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए, प्रेजेंटेशन में इमेज को कम्प्रेस करने से उसे पढ़ने में आसानी होती है।
आयोजन की शुरुआत में ही प्रतिभागियों के साथ आयोजन का प्रारूप और शामिल होने के लिए जारी दिशा निर्देश साझा करना चाहिए। जैसे कि क्या प्रतिभागियों को बोलने की अनुमति होगी? क्या सत्रों की रिकॉर्डिंग उपलब्ध होगी? विडियो कॉन्फ़्रेन्सिंग के ज़्यादातर प्लैटफ़ॉर्म ऐसे टूल भी इस्तेमाल करते हैं जिनके माध्यम से वेबिनार के दौरान प्रतिभागी एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं। प्रश्नोत्तर, चुनाव और भाग लेने के लिए कहने वाले तरीक़ों का इस्तेमाल दर्शकों को जोड़े रखने और आयोजन की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए उपयोगी होते हैं। चैट बॉक्स का उपयोग मुख्य संदेशों, महत्वपूर्ण बिंदुओं को याद दिलाने और समय सारिणी पर नज़र बनाए रखने में उपयोगी होता है। अगर आप प्रश्नोत्तर के लिए समय देना चाहते हैं तब आपको संयोजक की मदद करनी चाहिए ताकि वह बातचीत को महत्वपूर्ण बनाने के लिए प्रासंगिक सवालों की पहचान कर सके।
आयोजन के बाद भी बातचीत को बनाए रखने के लिए आयोजक ब्लॉग्स और इंफ़ोग्राफ़िक्स जैसे आसान प्रारूपों का उपयोग करके वेबिनार की रिकोर्डिंग और मुख्य बातचीत को प्रतिभागियों के साथ साझा कर सकते हैं।
वर्चुअल मीटिंग और कॉन्फ़्रेनन्सिंग टूल का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर होने लगा है। लेकिन बावजूद इसके ऐसे सबूतों की संख्या बहुत कम है जिनसे किसी आयोजन की सफलता के कारगर तरीक़ों के बारे में जाना जा सके। कोविड-19 ने हमें ऑनलाइन बातचीत की तरफ़ मुड़ने पर मजबूर किया है, देखभाल संबंधी भार को बढ़ाया है और हम दूर बैठकर काम करने के दबाव से निबट रहे हैं वहीं डिजिटल थकान आज के कामकाजी जीवन की एक वास्तविकता है।
परिणामस्वरूप काम वाले दिन के बीच में या उसके बाद किसी आयोजन में शामिल होने के अवसर का महत्व बढ़ता जा रहा है। नतीजतन, सफलता के पारम्परिक पैमाने जैसे पंजीकरण की संख्या, शामिल होने वाले प्रतिभागियों की संख्या और बातचीत में शामिल होने वाले लोगों की संख्या आदि को दोबारा देखने की ज़रूरत है क्योंकि लोग अब भी इस नए सामान्य के प्रति ख़ुद को ढालने में लगे हुए हैं।
इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ें।
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- वेबिनार योजना की इस व्यापक जाँच-सूची (चेकलिस्ट) को डाउनलोड करें।
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