धन उगाहने के लिए क्राउडफंडिंग का तरीका बहुत ही लोकप्रिय बन गया है। विशेष रूप से पिछले एक साल के दौरान कोविड-19 को लेकर अपना दान देने वाले ज़्यादातर लोगों ने इसी तरीके का प्रयोग किया है। हालांकि ऐसा करने वाले लोगों को कर निहितार्थ और क़ानूनों के बारे में पता होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उगाहे गए धन का अधिकतम हिस्सा उसी उद्देश्य के लिए खर्च किया जा रहा है जिस उद्देश्य के लिए उसे इकट्ठा किया गया है। साथ ही इस प्रक्रिया में कानून का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है। यह बात धन उगाहने वाले और दान देने वाले दोनों के लिए ही समान रूप से महत्वपूर्ण है।
आपने कुछ महीने पहले राणा अय्यूब और सोनू सूद के बारे में पढ़ा होगा कि वे क्राउडफंडिंग मंचों के माध्यम से एकत्र किए गए दान की राशि के कारण कर विभाग के अधिकारियों की नजरों में आ गए और उन्हें इनसे जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन दो उदाहरणों में उन लोगों के लिए कुछ ज्ञान की बातें हैं जो क्राउडफंडिंग के मंचों के उपयोग की योजना बना रहे हैं और वैसे दानकर्ता जो इस प्रकार का अनुदान करते हैं। इन्हें आमतौर पर निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है:
राणा अय्यूब ने दान में 2.7 करोड़ रुपए जमा किए थे, और उन्हें इस धन के एवज में 90 लाख रुपए की धनराशि कर के रूप में देनी पड़ी। इस तरह देखा जाये तो लोगों द्वारा दान में दी गई राशि का एक हिस्सा कर भुगतान में चला गया न कि निहित उद्देश्य की पूर्ति में।
व्यक्तिगत तौर पर धन उगाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि अगर आप दान में मिलने वाली धनराशि को अपने बैंक खाते में इकट्ठा करते हैं तब आपको उस धनराशि पर आयकर का भुगतान भी करना पड़ेगा। साथ ही सबसे पहले आपके बैंक खाते में आने वाले धन पर आयकर विभाग की कड़ी नजर भी रहेगी। इसके आगे, जब आप यह धनराशि प्राप्तकर्ता को देते हैं तब उन्हें प्राप्त किए गए इस पैसे पर आयकर का भुगतान करना पड़ सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में दान देना एक दोगुने कर-निर्धारण का विषय बन जाता है।
इसे तीन मॉडलों के माध्यम से विस्तार से समझा जा सकता है।
स्थिति 1: जब कोई व्यक्ति किसी अन्य संगठन या व्यक्ति के बदले उगाही गई धनराशि को अपने बैंक खाते में एकत्र करता है और फिर उस पैसे को उन्हें देता है—यह स्थिति सबसे बुरी होती है।
स्थिति 2 में कर के प्रभाव को एक हद तक कम किया जा सकता है, जहां धन उगाहने वाले अभियानकर्ता अभियान चलाते हैं और दानकर्ता दान की धनराशि को सीधे प्राप्तकर्ता संगठन/व्यक्ति विशेष को देता है (इस मामले में 34 प्रतिशत वाला आय का पहला स्तर लागू नहीं होता है)। इस स्थिति के दूसरे रूप में, धन एकत्र करने वाला क्राउडफंडिंग का मंच प्राप्त धन को संगठन को हस्तानांतरित करता है, इस मामले में भी फिर से पहले स्तर पर कर का नुकसान नहीं होता है। ज़्यादातर क्राउडफंडिंग मंच ऐसा ही करते हैं। लेकिन यह हमेशा इस आधार पर संभव नहीं हो सकता है कि धन को किस लिए जुटाया गया है—शायद इस धन को बच्चों की शिक्षा, आवारा कुत्तों की देखभाल आदि के उद्देश्य के लिए एकत्रित किया गया हो सकता है।
इस समस्या को टालने का एक आसान तरीका एक स्वयंसेवी संस्था को ढूँढना है जो उस क्षेत्र में काम करती है जिसके लिए आप घन इकट्ठा करना चाहते हैं, जैसा कि स्थिति 3 में बताया गया है। मान लेते हैं कि उस स्वयंसेवी संस्था को 12A और 80G के तहत कर पर छूट प्राप्त है, इस मॉडल के दो फायदे हैं:
इससे भी अधिक, इसका एक और बड़ा फायदा है—दानकर्ताओं को उनके दान की राशि पर 50 प्रतिशत तक का कर-राहत मिलता है। इसका मतलब यह है कि अगर आप 10,000 रुपए दान में देते हैं तब आप अपनी कुल कर योग्य आय को 5,000 रुपए तक कम कर सकते हैं। इसका अर्थ यह भी है कि यदि आप 30 प्रतिशत के उच्चतम कर दायरे में हैं तो आपकी देनदारी 1,500 रुपए कम हो जाएगी।
दाता के लिए कर बचत और प्राप्तकर्ताओं के लिए अधिक राशि देने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों के लिए ही सर्वश्रेष्ठ स्थिति होती है। और एक फंड उगाहने वाले के रूप में आपका उद्देश्य यही होना चाहिए।
एक बात जिसे ध्यान में रखने की जरूरत है वह यह है कि धन उगाहने वाले एक व्यक्ति के रूप में आपके पास ऐसे किसी भी विदेशी नागरिक से दान लेने की अनुमति नहीं है जिसके पास एफ़सीआरए प्रमाणपत्र नहीं है। एफ़सीआरए गृह मंत्रालय द्वारा लागू किया गया एक कानून है जो भारत में आने वाले विदेशी योगदान या दान की राशि को नियंत्रित करता है। इसलिए धन उगाहने के क्रम में, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके द्वारा चुना गया क्राउडफंडिंग का मंच आपके अभियान में किसी विदेशी नागरिक से दान नहीं ले रहा है।
क्राउडफंडिंग मंचों के माध्यम से धन उगाहने के काम को चला सकने का एक उदाहरण: आईआईएम अहमदाबाद के मेरे सहपाठियों ने हाल ही में हमारे एक सहपाठी के परिवार के एक दिवंगत सदस्य के लिए फंड एकत्रित किया था। क्राउडसोर्सिंग मंच पर धन उगाहने में शामिल बारीकियों को देखते हुए हम लोगों ने धन को दो भागों में उगाहने का चुनाव किया। हम लोगों ने भारतीय नागरिकों को इंडिया केयर्स के माध्यम से दान देने के लिए कहा। चूंकि यह एक स्वयंसेवी संस्था है, इसलिए इसके प्राप्तकर्ताओं को कर का भुगतान नहीं करना पड़ा था, और इससे हम सभी दानकर्ताओं को 80G के तहत मिलने वाले कर-राहत की सुविधा भी मिली। हमारे कई सहपाठी जो अब विदेशी नागरिक हो चुके हैं, उनके लिए हम लोगों ने एक अन्य स्वयंसेवी संस्था का उपयोग किया—जिसके पास एफ़सीआरए प्रमाणपत्र था—ताकि हम अंतर्राष्ट्रीय धन ले सकें और अमरीका में उन्हें कर से राहत मिल सके। धन उगाहने वाले इस दोहरे दृष्टिकोण से हमें भारतीयों और विदेशी दोनों दानकर्ताओं के लिए इस प्रक्रिया को अनुकूलित बनाने में मदद मिली। क्राउडफंडिंग मंच विभिन्न उद्देश्यों के लिए धन उगाहने के एक अच्छे तरीके के रूप में उभर कर आया है। कई बार हम लोग उनके द्वारा लगाए गए 5–10 प्रतिशत शुल्क को लेकर सोच में पड़ जाते हैं। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि गलत तरीके से धन उगाहने के कारण कुल जमा हुई राशि का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जरूरतमंद तक नहीं पहुँच पाता है। इसलिए धन उगाहने का काम करें लेकिन बुद्धिमानी से।
इस लेख को स्वयंसेवी संस्थाओं के लोगों के लिए विशेष रूप से संपादित किया गया है। इस लेख का मूल संस्करण 19 अक्तूबर 2021 को हिन्दू बिजनेसलाइन में प्रकाशित हुआ था।
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