राजस्थान

मशीन पर काम करता हुआ एक श्रमिक _ई-कचरा
April 15, 2025
क्या स्थानीय मोबाइल रिपेयर की दुकानें ई-कचरे को कम करने में मदद कर सकती हैं?
कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयर की दुकानों लंबे समय से उपकरणों के जीवनकाल को बढ़ाने में मदद कर रही हैं। लेकिन उन्हें जीवित रहने के लिए समर्थन की ज़रूरत है।

भारत में लंबे समय से पुरानी चीज़ों की मरम्मत और पुनःउपयोग कर उनके जीवनकाल को बढ़ाने का चलन रहा है। सर्कुलर इकोनॉमी, अपसाइक्लिंग और थ्रिफ्टिंग जैसे शब्दों के वैश्विक स्तर पर प्रचलित होने से कहीं पहले से देश के लोग मोटे तौर पर कम खर्चे वाली टिकाऊ जीवनशैली अपनाते रहे हैं।लेकिन फिर भी 2024 में […]

विकलांग-जनों के लिए कार्यक्रम_विकलांग
October 8, 2024
विकलांग जन के लिए प्रोग्राम बनाते समय क्या ध्यान में रखना चाहिए?
विकलांग-जनों के लिए कार्यक्रम डिजाइन करते हुए समुदाय की जरूरतों को पहचानना और उनके अनुसार काम करना, प्रभावी नतीजे देने वाला हो सकता है।

“जब दिव्यांग लोगों के साथ काम करना शुरू किया तो पहले डर लगता था कि इनके साथ कैसे काम करेंगे। एक साथी जो देख नहीं पाते थे, एक दिन बिना पूछे मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें सड़क पार करवाने लगा। उस वक्त उन्होंने कुछ नहीं कहा लेकिन बाद में समझाया कि पहले विकलांग व्यक्ति […]

आंगनबाड़ी में बच्चे_कुपोषण
September 23, 2024
देश में कुपोषण की स्थिति भयावह है, पर कितनी?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि अभी भी हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाएं और पांच साल तक की उम्र के अधिकतर बच्चे कुपोषण मुक्त नहीं हुए हैं।

देश में जब विकसित भारत की संकल्पना को मूर्त रूप दिया जा रहा था, उस समय यह महसूस किया गया होगा कि स्वस्थ भारत के बिना विकसित भारत बेमानी है। यही कारण है कि आज विकसित भारत के नारे से पहले स्वस्थ भारत का नारा दिया जाता है। दरअसल यह स्वस्थ भारत का नारा देश […]

प्रिया कुमारी | 2 मिनट लंबा लेख
डॉ. नरेंद्र गुप्ता_ डॉ. नरेंद्र गुप्ता से बातचीत
August 8, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | डॉ. नरेंद्र गुप्ता 
एक्टिविस्ट और स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र गुप्ता बताते हैं कि भारत में स्वास्थ्य के प्रति नज़रिया बदलना क्यों ज़रूरी है और राइट टू हेल्थ अधिनियम और जनस्वास्थ्य अभियान को बढ़ावा देना कितना अहम है।

डॉ. नरेंद्र गुप्ता एक सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सक और प्रयास नाम के स्वयंसेवी संस्था के संस्थापक सदस्य हैं। उन्होंने लगभग 40 सालों से राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में भील मीना आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में सुधार के लिए काम किया है। वह जन स्वास्थ्य अभियान के राष्ट्रीय आयोजकों में से एक, और राजस्थान […]

खेत पर काम करती महिलाएं-मनरेगा
June 27, 2024
ग्रामीण राजस्थान को मनरेगा की ज़रूरत क्यों है?
श्रमिक, यूनियन और नागरिक संगठन बता रहे हैं कि सीमित बजट, कम मज़दूरी और भ्रष्टाचार के बाद भी मनरेगा स्थानीय विकास और महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाता है। 

साल 2006 में शुरू की गई, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कानूनी रूप से लोगों को काम करने का अधिकार देती है। यह योजना हर परिवार को जॉब कार्ड के साथ 100 दिनों के काम की गारंटी देकर, गांवों में बेरोज़गारी, गरीबी और अचानक प्रवास जैसी समस्याओं को हल करने के उद्देश्य […]

शंकर सिंह_शंकर सिंह से बातचीत
March 28, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | शंकर सिंह (भाग-दो) 
देश में आरटीआई आंदोलन के लीडर और एमकेएसएस के स्थापकों में से एक, सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह आईडीआर से बातचीत में अपने कामकाजी और निजी जीवन के बारे में बात कर रहे हैं।

सामाजिक सेक्टर की जानकारी रखने, ख़ासकर ज़मीनी नब्ज की पकड़ रखने वाले लोगों के लिए शंकर सिंह कोई अनसुना नाम नहीं है।राजस्थान के राजसमंद ज़िले से आने शंकर सिंह जमीनी सामाजिक कार्यकर्ता, नाटककार, कहानीकार, मुखर वाचक की भूमिकाओं में दिखते हैं। सामाजिक सेक्टर में लगभग चार दशकों से अधिक का अनुभव रखने वाले शंकर जी […]

शंकर सिंह_शंकर सिंह से बातचीत
March 21, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | शंकर सिंह (भाग-एक) 
देश में आरटीआई आंदोलन के लीडर और एमकेएसएस के स्थापकों में से एक, सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह आईडीआर से बातचीत में अपने कामकाजी और निजी जीवन के बारे में बात कर रहे हैं।

सामाजिक सेक्टर की जानकारी रखने, ख़ासकर ज़मीनी नब्ज की पकड़ रखने वाले लोगों के लिए शंकर सिंह कोई अनसुना नाम नहीं है। राजस्थान के राजसमंद ज़िले से आने वाले शंकर सिंह एक जमीनी सामाजिक कार्यकर्ता, नाटककार, कहानीकार, मुखर वाचक की भूमिकाओं में दिखते हैं। सामाजिक सेक्टर में लगभग चार दशकों से अधिक का अनुभव रखने […]

टमाटर छाँटते हुए किसान_प्रवासी किसान
December 22, 2023
राजस्थान के कृषि मजदूर एक से दूसरे गांव प्रवास क्यों करते हैं?
राजस्थान के आदिवासी समुदायों से आने वाले अकुशल श्रमिक गुजरात के गांवों में जाकर कृषि मज़दूरी करते हैं लेकिन इस पलायन की वजहें और समस्याएं आज भी अदृश्य लगती हैं।

कोरोना महामारी के दौरान पूरा देश प्रवासी मजदूरों की हज़ारों किलोमीटर लंबी पैदल यात्राओं का गवाह बना था। लेकिन प्रवास सिर्फ गांवों से शहरों की तरफ ही नहीं, बल्कि गांवों से गांवों में भी होता है। एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले ज़्यादातर मजदूर खेती के काम से पलायन करते है। इनकी समस्याएं कहीं […]

सरफराज़ शेख़ | 9 मिनट लंबा लेख
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