पारंपरिक रूप से, ऐसा माना जाता है कि आमने-सामने बैठकर साक्षात्कार (जहाँ सर्वेक्षण करने वाले और जवाब देने वाले के बीच बेहतर जुड़ाव होता है) करने से बेहतर नतीजे मिलते हैं। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण शोध और मूल्यांकन के लिए स्नेहा में हमारी टीम को आँकड़े जुटाने के लिए मजबूर होकर रिमोट तरीके अपनाने पड़े। इस प्रक्रिया से हम लोगों ने निम्नलिखित बातें सीखीं:
1. सौहार्दपूर्ण संबंध कायम करना
प्राथमिक आँकड़े जुटाने में उत्तरदाता के साथ पारदर्शी और विश्वास-आधारित संबंध बनाना महत्वपूर्ण होता है। फील्ड में काम करने के दौरान सर्वेक्षक अपने पहचान पत्र या अपने संस्थान के लेटरहेड के साथ अपनी पहचान को जाहिर कर सकते हैं। फोन पर साक्षात्कार के दौरान ऐसा कर पाना मुश्किल हो जाता है। इस बात की समझ पैदा करना ज़रूरी होता है कि साक्षात्कार करने वाले ने जवाब देने वाले उस व्यक्ति का नंबर कैसे हासिल किया और उसके सर्वेक्षण का मकसद क्या है।
2. सूचित करके सहमति प्राप्त करें
डेटा कलेक्शन के बारे में हमनें जो पहली चीज सीखी वह यह है कि उत्तरदाताओं को सूचित करके उनसे सहमति लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस काम को करने के लिए साक्षात्कर्ता को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि उत्तरदाता डेटा संग्रह के उद्देश्य और उनसे की जाने वाली उम्मीद को पूरी तरह समझ रहा है। संवाद में शामिल किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु इस प्रकार है:
- साक्षात्कार की अपेक्षित अवधि (सामने से उनसे समय और उनकी उपलब्धता पूछ लेने से ऐसी स्थितियों से बचा जा सकता है जिनमें उत्तरदाता साक्षात्कार के बीच में ही फोन काट देते हैं।)
- साक्षात्कार का उद्देश्य और पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति
- किशोरों के मामले में, उनके माता-पिता की अनुमति
3. कॉल-बैक को लेकर लचीले प्रोटोकॉल का निर्माण
जब हम यह योजना बना रहे थे कि हमारी टीम जवाब देने वाले व्यक्तियों से कितने अंतराल पर कॉल बैक करेगी तब हम लोगों ने एक प्रोटोकॉल बनाया कि एक उत्तरदाता को तीन दिनों तक प्रतिदिन अमूमन दो या तीन घंटे के अंतराल पर तीन बार फोन किया जाएगा। इसके बावजूद, उत्तरदाताओं के हालात के हिसाब से हमें इसमें बदलाव लाने की जरूरत पड़ी। उदाहरण के लिए, हम जिन क्षेत्रों में काम कर रहे थे उनमें से एक क्षेत्र में, औरतों को सुबह के समय फोन करने से बहुत कम जवाब मिलते थे, क्योंकि उस इलाके में लोगों के घरों में सुबह के समय बस कुछ घंटों के लिए पानी आता था। इन तरह की वास्तविकताओं और स्थानीय परिस्थिति की समझ के अनुसार हम लोगों ने अपनी व्यवस्था में बदलाव किए।
4. साक्षात्कार को छोटा रखना
जैसा कि शोधकर्ताओं द्वारा ज़ोर देकर कहा जाता है कि एक आदर्श फोन साक्षात्कार की अधिकतम अवधि बीस से तीस मिनट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हम लोगों ने यह महसूस किया कि सामाजिक-आर्थिक और भौगोलिक बातों से जुड़े बहुत अधिक सवाल पूछने से (जैसे कि संपत्ति के आकलन के लिए घर के चीजों को सूचीबद्ध करना) साक्षात्कार का समय बढ़ जाता है।
5. आँकड़ों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना
यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम लक्षित उत्तरदाताओं तक पहुँच पा रहे हैं या नहीं हम लोगों ने कुछ और सवालों को जोड़ दिया और अतिरिक्त सत्यापन के लिए साक्षात्कार करने वालों को पूरक सूचनाओं की एक सूची दे दी। इसमें घर/गली का पता या गर्भवती महिलाओं के मामले में उनकी गर्भावस्था के इतिहास से जुड़े सवाल शामिल किए गए, जिनकी जानकारी सिर्फ उन्हें होती है।
सर्वेक्षणकर्ता ने उत्तरदाता से पूछकर यह सुनिश्चित किया कि वह लगातार बात करने में सहज है।
हासिल होने वाले अनुभवों के आधार पर, हमारे सर्वेक्षक उत्तरदाताओं से मिलने वाले गैर-मौखिक संकेतों (अगर फोन स्पीकर पर रखा गया है तब आवाज़ के उतार-चढ़ाव, आसपास की आवाजों या प्रतिध्वनि की पहचान) को समझने में कुशल हो गए।इसके अलावा आँकड़ों की प्रविष्टि में आने वाली त्रुटियों को रोकने के लिए हमने सॉफ़्टवेयर चेक का प्रयोग किया। इसके माध्यम से हमने मोबाइल एप्लिकेशन में प्रतिक्रियाओं के लिए ड्रॉप डाउन मेनू बनाए।
6. सर्वेक्षक की क्षमता का निर्माण और संवाद के लिए ओपन लाइन की व्यवस्था
वर्षों के अनुभव के बावजूद, हमारे सर्वेक्षक शुरू में फोन सर्वेक्षणों को लेकर आशंकित थे। अपने लक्ष्यों को पूरा करने की चिंता के अतिरिक्त वे साक्षात्कार के दौरान प्रतिवादी की समझ का आकलन करने और परिवार के सदस्यों के आसपास अधिक संवेदनशील प्रश्न पूछने के बारे में चिंतित थे।
इसे देखते हुए हमारी टीम ने समुदाय के लोगों से बातचीत शुरू करने से पहले साक्षात्कार करने वालों लोगों और स्नेहा कर्मचारियों के साथ मिलकर एक फ़ोन सर्वेक्षण किया था। इसके अलावा, हमने उन्हें याद दिलाया कि फोन सर्वेक्षणों के लिए प्रतिक्रिया दर कम होगी, जिसके कारण दैनिक लक्ष्य निर्धारित करने की प्रथा को हटा दिया गया था।
महामारी के दौरान अपने अनुभव के आधार पर, हम स्वयंसेवकों, स्वास्थ्य प्रणालियों के कर्मचारियों और सामुदायिक नेताओं जैसे हितधारकों के साथ सर्वेक्षण के लिए दूरस्थ डेटा संग्रह की सलाह देते हैं।
अंत में, हमने साक्षात्कारकर्ताओं को उन संभावित परिदृश्यों से परिचित कराया जिनका वे सामना कर सकते हैं—उदाहरण के लिए, यदि कोई उत्तरदाता उदास लग रहा था या यदि राशन या चिकित्सा सेवाओं के लिए कोई आवश्यकता व्यक्त की गई थी, तो उन्हें उचित रेफरल लिंकेज के बारे में बताया गया था।
महामारी के दौरान अपने अनुभव के आधार पर, हम स्वयंसेवकों, स्वास्थ्य प्रणालियों के कर्मचारियों और सामुदायिक नेताओं जैसे हितधारकों के साथ सर्वेक्षण के लिए दूरस्थ डेटा संग्रह की सलाह देते हैं। यह इस तथ्य को देखते हुए विशेष रूप से सच है कि दूरस्थ कार्य ने हमें लगातार ऑनलाइन डीब्रीफिंग टीम मीटिंग आयोजित करने की अनुमति दी, जहां किसी भी चुनौती का तुरंत समाधान किया गया और सह-शिक्षण संभव बनाया गया।हम जानते हैं कि फोन पर किए जाने वाले सर्वेक्षण कभी भी आमने-सामने बैठकर लिए गए साक्षात्कार की जगह नहीं ले सकते हैं, विशेष रूप से तब जब मानव शरीर या अन्य किस्म के मापों को लेने की जरूरत हो। हालाँकि, रिमोट डाटा कलेक्शन की अपनी जगह है, और एक क्षेत्र के रूप में हमें इसका अधिक से अधिक उपयोग करने की क्षमता का निर्माण करने की जरूरत है।
इस लेख में व्यक्त किए गए विचार एक निगरानी, मूल्यांकन, जवाबदेही और शिक्षण (एमईएएल) विशेषज्ञ, दो पर्यवेक्षक और ग्यारह सर्वेक्षक सहित स्नेहा में निगरानी और मूल्यांकन टीम के साथ गुणात्मक अन्वेषण (तीन गहन साक्षात्कार और दो फोकस-समूह चर्चा) के माध्यम से प्राप्त जानकारियों पर आधारित हैं। ।
इस लेख को अँग्रेजी में पढ़ें।
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अधिक जानें
- स्नेहा द्वारा किए जाने वाले सामुदायिक सर्वेक्षण को विस्तार से समझने के लिए उनके स्त्रोतों के बारे में यहाँ जानें।
- सर्वेक्षण टीम को नियुक्त और प्रशिक्षित करने और फोन सर्वेक्षण टीम के बारे में जानने, फोन सर्वे के लिए उपयुक्त अवधि की पहचान करने या गुणात्मक और मात्रात्मक साक्षात्कारों के दौरान सहमति लेने आदि के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए आईडीइनसाइट द्वारा दिये गए इन संसाधनों को देखें।
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