युवा
May 6, 2022

कौशल निर्माण: उपस्थिति से आगे की भागीदारी

अपने कार्यक्रम में युवाओं की सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के पाँच तरीके।
8 मिनट लंबा लेख

भारत में लगभग 60 करोड़ लोगों की उम्र 25 वर्ष से कम है जो हमारी कुल आबादी का लगभग आधे से भी ज्यादा हिस्सा है। इस जनसंख्या की क्षमता की काफी प्रशंसा की जाती है पर फिर भी युवाओं (15–25 वर्ष की उम्र) को कभी-कभार ही उन्हें प्रभावित करने वाले फैसलों की बैठक में शामिल किया जाता है।

पिछले कुछ सालों में किए गए शोधों से यह बात और अधिक रूप से स्पष्ट हुई है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में युवाओं को शामिल करने और उनके अंदर नेतृत्व कौशल का विकास करने से उन पर और उनके समुदाय दोनों पर सकारात्मक असर पड़ता है।

इस बात के भी पुख्ता सबूत हैं कि शासन और कार्यान्वयन प्रक्रियाओं में युवाओं की भागीदारी होने से प्रासंगिक, असरदार और टिकाऊ समाधान निकलते हैं।

युवाओं से पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए हमें सिर्फ इतना देखने की जरूरत है कि इन युवाओं ने किस तरह कोविड-19 के संकट के दौरान आगे आकर आपदा से निबटने का नेतृत्व संभाला था। वायरस के बारे में जागरूकता फैलाने के काम से लेकर बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में बात करने और सेवा वितरण में सहायता तक में इन्होनें बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इतना ही नहीं, युवाओं ने यह भी सुनिश्चित किया कि समुदाय के सभी लोगों तक सेवाएँ और सही जानकारियाँ पहुँचें।

यह बात साफ है कि युवा उन सभी चुनौतियों को अच्छे से समझते हैं जिनका वे सामना करते हैं और उनके पास ही इन चुनौतियों से निबटने के रचनात्मक और शक्तिशाली विचार भी होते हैं। हालांकि, नागरिक समाज संगठनों और वित्तदाताओं से लेकर समुदाय के सदस्यों और सरकार तक—पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितधारकों की भूमिका यह​ सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण है कि वे समाधान के विकास कार्य में शामिल हैं।

आज, कई नागरिक समाज संगठन, सरकारें और अन्य व्यक्ति युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक मंच बनाने के ठोस प्रयास शुरू कर रहे हैं। हालांकि अब भी यह सवाल बना हुआ है कि व्यवहार में इसे लाने के लिए सबसे प्रभावशाली तरीके कौन से हैं। इस सवाल का जवाब ढूँढने में मदद करने के लिए 10to19: दसरा एडोलसेंट्स कोलैबोरेटिव ने 11 नागरिक समाज संगठनों से युवाओं की भागीदारी को लेकर उनकी समझ और इसे सुनिश्चित करने के उनके वर्तमान तरीकों के बारे में बात की। उनके जवाब इस प्रकार हैं। 

1. कार्यक्रम की पारदर्शिता और सहभागिता के लिए संरचनाओं के निर्माण में युवाओं को शामिल करना

हमने भागीदारों से अपेक्षाओं के अनुरूप पारदर्शी संरचनाओं और प्रक्रियाओं के निर्माण की आवश्यकता के बारे में सुना। इसका अर्थ यह है कि ऑनबोर्डिंग और इनडक्शन से पहले युवाओं और संगठनों की अपेक्षाओं के बीच स्पष्ट और एकरेखीय सोच होनी चाहिए।

उदाहरण के लिए, जब अंतरंग फाउंडेशन ने अपने युवा सलाहकार बोर्ड के लिए सदस्यों का चयन करना शुरू किया, तो इसने अपने पूर्व छात्रों के नेटवर्क के साथ अपने भर्ती प्रयास शुरू किए। उनका उद्देश्य इस बात को सुनिश्चित करना था कि नियुक्त किए जाने वाले उम्मीदवारों को न केवल संगठन के दृष्टिकोण, उद्देश्यों और लक्ष्यों की जानकारी हो बल्कि उन्हें कार्यक्रमों के प्राथमिक स्तर का अनुभव हासिल हो और वे इसकी चुनौतियों, फ़ायदों और संभावनाओं को भी समझते हों। इसके अलावा, चयन के समय एक ऑनबोर्डिंग और इनडक्शन के सत्र का आयोजन किया गया। इन सत्रों में सभी सदस्यों से कार्यक्रमों और उनकी भूमिकाओं से उनकी उम्मीदों के बारे में पूछा गया और साथ ही यह भी बताया गया कि संगठन की उनसे क्या उम्मीदें हैं। सभी सदस्यों से सहभागिता की नियमितता और तालमेल, उनके रूचि वाले क्षेत्रों, कौशल को विकसित करने और इस बोर्ड के लिए उनके लक्ष्य के बारे में भी जानकारी मांगी गई। अंत में, लोकतान्त्रिक कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड ने यह फैसला किया कि दूसरे हितधारकों के सामने इसका प्रतिनिधित्व दो प्रतिनिधियों द्वारा किया जाएगा जो निश्चित समय अंतराल पर बदलते रहेंगे।

युवा उन चुनौतियों को सबसे बेहतर तरीके से समझते हैं जिनका वे सामना करते हैं, और उनके पास इन चुनौतियों से निबटने के सबसे रचनात्मक और शक्तिशाली विचार होते हैं। | चित्र साभार: रॉपिक्सेल/सीसी बीवाई

2. नियमित प्रतिक्रिया के रास्ते और पहले से तय कैडेन्स (तालबद्ध कदम) का निर्माण

कार्यक्रमों को मजबूत बनाने के लिए युवाओं से नियमित मिलने वाले सुझाव की जगह को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सलाह देने और इसमें हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाता है। इसके लिए सहयोगियों ने उनकी भागीदारी में एक नियमित तालमेल की जरूरत पर ज़ोर दिया जिसके माध्यम से प्रत्यक्ष प्रतिक्रियाएँ हासिल की जा सकती हैं। उन्होनें मिलने वाली प्रतिक्रियाओं और सुझावों पर तेजी से काम करने के महत्व को भी रेखांकित किया।

उदाहरण के लिए, गर्ल इफ़ेक्ट्स टेक्नालजी एनेबल्ड गर्ल एंबेसडर्स (टीईजीए) प्रणाली का निर्माण लड़कियों और 18–24 साल की उम्र वाली किशोर महिलाओं के साथ मिलकर किया गया था। ‘ऑडियोविजुअल सेलफ़ी सर्वेज’ और ‘डाइरैक्ट मैसेजिंग’ जैसी विशेषताओं के माध्यम से इस तकनीक का इस्तेमाल बहुत आसान है और इसकी उपलब्धता भी सहज है। साथ ही यह अपने उपयोगकर्ताओं को ध्यान में रखकर काम करता है। इसके अलावा, यह गर्ल इफेक्ट टीम और टीईजीए में नामांकित लड़कियों दोनों को नियमित और सुरक्षित दोतरफा संचार करने और प्रतिक्रिया देने का माध्यम उपलब्ध करवाता है। इससे कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागी की प्रतिबद्धता का स्तर समझने में सभी को आसानी होती है और साथ ही यह भी स्पष्ट होता है कि इतने लंबे समय तक उनके जुड़े रहने के पीछे कौन सी प्रेरणा काम कर रही है।

3. युवाओं की बात सुनने के लिए संगठनात्मक क्षमताओं को मजबूत बनाएँ

हमारे काम और हमारी बातचीत के दौरान एक सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य हमारे सामने आया जिसमें हमें एक ऐसी सुरक्षित जगह बनाने की जरूरत थी जहां युवा अपनी बात साझा कर सकें, सीख सकें और कार्यक्रम में सार्थक रूप से हिस्सा ले सकें।

इन जगहों को असरदार बनाने के लिए प्रवाह इस दिशानिर्देश का पालन करता है कि संगठनों को खुद ही एक निश्चित मात्रा में क्षमता निर्माण और संवेदीकरण की प्रक्रिया से गुजरना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्णयकर्ता युवाओं की बातों को वास्तव में सुन रहे हैं। वे टीम के सदस्यों और युवाओं के साथ काम करने वाले कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण में विश्वास करते हैं जिनमें युवा विकास सिद्धांतों का शिक्षण/समझ, प्रणाली की सोच आधारित प्रशिक्षण और मुक्त और युवा-केन्द्रित स्थानों की डिज़ाइन के तरीक़े शामिल होते हैं।

युवाओं को सामने लाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि दी गई जानकारी उनके रुचि के अनुरूप हो।

वे दस्तावेजों को अनुरूप बनाकर और रणनीतियों को प्रासंगिक, मजेदार और युवाओं के लिए पढ़ने में आसान बनाकर संगठनों की मदद भी करते हैं। युवाओं को भागीदार बनाने के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दी जाने वाली जानकारी उनकी जरूरत के हिसाब से हो। ऐसा करने के लिए उनसे साझा किए गए किसी या सभी प्रकार के दस्तावेजों या संसाधनों में शब्दजाल का उपयोग नहीं होना चाहिए और वे दस्तावेज़ उनकी वास्तविकता के संदर्भ में होने चाहिए।

4. युवाओं का क्षमता निर्माण

सहयोगी युवाओं के लिए क्षमता निर्माण को शामिल करने की जरूरत पर भी बहुत अधिक ज़ोर देते हैं। जब युवाओं को रणनीति पर उनके विचार या सुझाव देने के लिए बुलाया जाता है तब उन्हें रणनीतिक सोच, महत्वपूर्ण सोच और संघर्ष समाधान जैसे कौशल मुहैया करवाए जाने चाहिए ताकि वे भाग लेने, शामिल होने और साझा करने लायक हो सकें। युवाओं के लिए ये कौशल भविष्य में जुडने वाले अन्य संगठनों में भी उपयोगी साबित हो सकते हैं। दरअसल, सफलतापूर्वक युवाओं के साथ नियमित और सार्थक भागीदारी को सुनिचित करने वाले कई युवा-केन्द्रित संगठनों ने यह प्रस्तावित किया है कि युवाओं द्वारा कार्यक्रमों में निवेश किया गया समय कार्यक्रम के हस्तक्षेप से परे उनके लिए सार्थक होना चाहिए।

उदाहरण के लिए, मिलान फ़ाउंडेशन का गर्ल आइकॉन कार्यक्रम 15 से 17 साल की लड़कियों के साथ काम करता है। हालांकि उनके पास गर्ल आइकॉन के अपने पुराने छात्रों का एक मजबूत नेटवर्क है जिसका इस्तेमाल वे संसाधनों की आपूर्ति, रोजगार अवसरों की जानकारी और छात्रवृति और मैंटरशिप की सहायता के लिए करते हैं ताकि उनकी निजीगत शिक्षा और नेतृत्व की यात्रा जारी रहे। एक तय टीम उन पूर्व छात्रों के साथ हर महीने फोन कॉल करके, हर चार महीने में मिलकर और तय किए गए सत्रों के माध्यम से संपर्क में रहता है। इस तरह की कार्यविधियों के माध्यम से संगठन ने यह सीखा कि कार्यक्रम के दौरान उन लड़कियों को मात्र स्मार्टफोन जैसी चीज मुहैया करवा देने से कार्यक्रम के बाद भी उन्हें इसका फायदा मिल सकता है।

5. प्रामाणिक जुड़ाव का प्रयास करें

और अंत में, सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना था कि हम युवाओं को एक अखंड समूह के रूप में न देखें और विभिन्न प्रकार के विचारों और सुझावों को सुनने के प्रति जागरूक रहें।

अपनी संस्थागत ढांचे के भीतर युवा बोर्ड सदस्यों को दो चक्रों तक रखने वाले रीप बेनिफ़िट नाम की एक संगठन ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि अगर किसी संगठन के नेतृत्व और टीम के अंदर विविधता नहीं होगी तब यह अपने युवाओं वाले नेटवर्क के भीतर विविधता को प्राथमिकता नहीं देगा। युवा बोर्ड के अपने दोहराव के माध्यम से रीप बेनिफ़िट लिंग, क्षेत्र, शैक्षणिक क्षमता, भाषा और सामाजिक-आर्थिक समूहों के आधार पर विविधता पर ध्यान केन्द्रित करता है। जबकि विविधता अपने साथ कई नए दृष्टिकोण लाती है वहीं यह संचार के एक आम माध्यम को चुनने, विभिन्न किस्म की वास्तविकताओं के बावजूद समूह के बीच आम सहमति बनाने और सामान्य लक्ष्यों पर संरेखित करने जैसी तार्किक चुनौतियाँ भी लेकर आती हैं। इसके लिए रीप बेनिफ़िट का यह सुझाव है कि संगठनों को नियमों और समूह के लिए काम करने के तरीकों के आसपास एक बुनियादी संरचना और रूपरेखा बनाकर काम करना चाहिए, जिसके आधार पर समूह अपनी प्रतिक्रिया दे सकता है और बदलावों के लिए सुझाव मुहैया करवा सकता है।

जब हम प्रतिनिधित्व और भागीदारी के बारे में सोचते हैं तब इस बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है कि युवाओं द्वारा निवेश किए गए समय और उनके प्रयासों का भुगतान किस रूप में किया जा रहा है। जैसा कि पहले बताया गया है यह कौशल निर्माण के रूप में किया जा सकता है लेकिन अवसर और इंटर्नशिप उप्लबद्ध करवाकर, प्रमाणपत्र या मान्यता देकर या कुछ निश्चित राशि या प्रतिपूर्ति के रूप में भी किया जा सकता है।

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अधिक जानें

  • इन संसाधनों के बारे में जानें जो संगठनों को उनकी गतिविधियों में युवाओं की सुरक्षा, संरक्षण और सुरक्षित भागीदारी को सक्षम करने के सिद्धांतों के आधार पर अपनी स्वयं की सुरक्षा नीतियाँ बनाने में मदद करता है।
  • कोविड-संबंधित भेदभाव और कलंकों से निबटने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से युवाओं के साथ और उनके लिए विकसित इस टूलकिट को देखें। टूलकिट को अन्य विषयगत क्षेत्रों के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।

अधिक करें

  • एक युवा-केन्द्रित संगठन के रूप में इस सूची का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करें कि आपका काम युवा नेतृत्व को बढ़ावा दे रहा है।
  • 10टू19: दसरा एडोल्सेंट्स कोलैबोरेटिव्स यंग पीपल एडवाइजरी ग्रुप के बारे में जानें और ऐसे युवा का नामांकित करें जिसके बारे में आपको लगता है कि वह इस समूह का हिस्सा बनने में दिलचस्पी दिखाएगा।
लेखक के बारे में
अदा ग्रेवाल
अदा ग्रेवाल 10to19: दसरा एडोलसेंट्स कोलैबोरेटिव का हिस्सा हैं, जहां वह उन परियोजनाओं पर काम करती हैं, जिनका उद्देश्य युवाओं की सार्थक भागीदारी को सक्षम करना और युवा लोगों और निर्णय लेने वालों के बीच निरंतर जुड़ाव के लिए प्लेटफॉर्म के निर्माण की सुविधा प्रदान करना है। दसरा में शामिल होने से पहले, अदा ने शिक्षा, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और बाल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने वाले ऑन-ग्राउंड संगठनों के साथ काम किया। अदा एक शेवनिंग स्कॉलर हैं और उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज से डेवलपमेंट स्टडीज में एमए किया है, जहां उन्होंने जेंडर और इम्पैक्ट इवैल्यूएशन में विशेषज्ञता हासिल की है।
यशी जैन
यशी जैन दसरा में 10to19: दसरा किशोर सहयोगी टीम का हिस्सा हैं, जहां वह युवाओं के साथ सार्थक जुड़ाव के लिए नवीन तंत्र विकसित करने पर काम करती हैं, जैसे कि सहयोग के लिए एक युवा सलाहकार समूह का आयोजन करना। हाल ही में, यशी किशोर स्वास्थ्य और कल्याण योजनाओं के आसपास झारखंड में एक मजबूत एमईएल ढांचे के साथ-साथ ऑन-ग्राउंड प्रोग्रामिंग के निर्माण, रणनीति विकास में निकटता से शामिल रही है। यशी ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से संचार और विकास अध्ययन में परास्नातक के साथ स्नातक किया।