ललितपुर जिले में सदियों से पुरुषों के सामने चप्पल पहनकर निकलना महिलाओं के लिए बड़ी समस्या रही है। जब खेत जाती हैं तो चप्पल पहन लेती हैं लेकिन गांव के अंदर आते ही चप्पल उतार लेती हैं, ताकि मर्यादा भंग न हो। गांव में कोई महिला चप्पल नहीं पहनती। जहां एक तरफ महिलाएं पुरुषों से […]
हमारे देश में हजारों छोटे-बड़े जन संगठन मौजूद हैं जो जनता के मुद्दों पर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। यहां जन-संगठन से अर्थ उन संस्थानों से है जो समुदायों के साथ सीधे जमीन पर काम कर रहे हैं। इन्हें समाजसेवी संस्थाओं या एनजीओ से अलग देखे जाने की जरूरत है।पारंपरिक संस्थाओं से अलग जन संगठनों […]
जलवायु परिवर्तन मज़दूरों की ज़िंदगी पर सबसे क्रूर प्रभाव डालता है और 2024 के पूर्वानुमान बता रहे हैं कि हीटवेव, सूखे और अनिश्चित मॉनसून की चरम मौसमी घटनायें इस सेक्टर को बहुत प्रभावित करेंगी। मार्च के पहले हफ्ते में ही देश के कई हिस्सों में तापमान 41 डिग्री के बैरियर को पार कर गया और […]
उत्तर प्रदेश के घने जंगलों वाले ज़िले लखीमपुर खीरी में, दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना साल 1977 में की गई थी। तब से इलाके के थारू आदिवासी, अपने गांवों में बसे रहने के लिए वन विभाग के साथ संघर्ष कर रहे हैं। इन्हें विस्थापित करने का इरादा रखने के अलावा वन विभाग, वन संसाधनों जैसे […]
रौशनी बेगम उत्तरप्रदेश, भदोही ज़िले के मोहम्मदपुर गांव में रहती हैं। महज़ 15 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी लेकिन अपने पति के प्रोत्साहन से वे 12वीं कक्षा तक पढ़ाई कर सकीं। परिवार में सबसे बड़ा होने के कारण घर और पांच भाई-बहनों की ज़िम्मेदारी उनके पति पर आ गई जिसे रौशनी […]
उत्तर प्रदेश के नयागांव मोहम्मदपुर गांव की फूलबानो ज़री का काम करती हैं। अपने तीन बच्चों के साथ वे गांव में ही रहती हैं। जब से फूलबानो के पति काम की तलाश में दिल्ली गए हैं, तब से पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही आ गई है। वे कहती हैं कि “राजेश नाम […]
2016 में, वाईपी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक के तौर पर काम करते हुए मैंने लखनऊ के एक कॉलेज में पुरुषत्व (मस्कुलिनिटी/मर्दानगी) पर एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया था। हमारे कार्यक्रम के पब्लिसिटी पोस्टर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था ‘मर्दानगी क्या है?’; हम चाहते थे कि उस कॉलेज के लड़के इस सवाल का जवाब ढूंढने […]
मैं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहने वाला एक शिक्षक और एक्टिविस्ट हूं। मैंने अपना नाम नेविश रखा है क्योंकि एक ग़ैर-बाइनरी व्यक्ति होने के नाते जन्म के समय मिलने वाले अपने नाम, जाति और लिंग से मैं संबंध स्थापित नहीं कर सका। नेविश शब्द में मेरे पसंदीदा रंग (नीला) के अक्षर के अलावा मेरे […]