December 5, 2025

जिला ‘इम्पैक्टपुर’ में इम्पैक्ट की आंधी, तूफान और बवंडर!

जिला इम्पैक्टपुर में शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय संस्थाओं ने ऐसा कमाल किया कि स्कूलों की संख्या कम पड़ गई। कैसे? यहां जानिए!
2 मिनट लंबा लेख

जिला इम्पैक्टपुर में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी क्रांति आई है कि लिखने के लिए शब्द कम पड़ जाएं। यहां सक्रिय एनजीओ और संस्थाओं ने इतना काम किया है…इतना काम किया है कि उनकी मेहनत से स्कूलों की संख्या तक बढ़ गई है। इम्पैक्ट रिपोर्ट खोलते ही पता चलता है कि:

आंधी फाउंडेशन ने 221 स्कूलों को ‘कवर’ किया है! यहां पर कवर का मतलब तिरपाल से कवर करना है या नहीं, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है।

तूफान कलेक्टिव ने 243 स्कूलों को ‘एंगेज’ किया! ताकि इम्पैक्ट रिपोर्ट के लिए अच्छी-अच्छी तस्वीरें ले सकें।

और, बवंडर मंच ने 257 स्कूलों को ‘एम्पावर’ किया! इसीलिए वे उन्हें अपने सोशल मीडिया पोस्ट में टैग कर पाए हैं।

एक तालिका जिसमें कुछ आंकड़े दर्शाए गए हैं_इम्पैक्ट
काश! भारत के हर जिले में इतना इम्पैक्ट आता। | चित्र साभार: सलमान फहीम

इम्पैक्टपुर की हवा में बदलाव तैर ही रहा था कि शिक्षा विभाग भी जाग गया। उन्होंने भी हाथ-मुंह धोए बिना सबसे पहले अपनी एक रिपोर्ट निकाल डाली। इसमें बताया गया कि जिले के कुल 180 स्कूलों का कायाकल्प केवल उन्होंने किया है। 

जी हां। 

फेसबुक बैनर_आईडीआर हिन्दी

सारे… पूरे… 180। न एक ज्यादा, न एक कम। इस तरह, जनता को पता चला कि जिले के कुल 180 स्कूलों का कायाकल्प शिक्षा विभाग ने किया है।

एक चित्र जिसमें कुछ काल्पनिक आंकड़े दर्शाए गए हैं_इम्पैक्ट
इम्पैक्ट रिपोर्ट से इतर जमीनी हकीकत | चित्र साभार: सलमान फहीम

अब सोचिए, तीन एनजीओ के इम्पैक्ट जोड़कर स्कूल 700 के पार निकल जाते हैं और फिर विभाग बताता है कि जिले में स्कूल 180 ही हैं। तो फिर बाकी का इम्पैक्ट कहां गया..? यह आखिर कहां छिपा बैठा है?

इस पूरे प्रकरण से इतना तो साफ हो गया कि इम्पैक्ट के आंकड़े केवल रिपोर्ट में बैठे ही नहीं रहते हैं, बल्कि आपस में उनका गुणा-गणित भी चलता रहता है। इस घटना के बाद इम्पैक्टपुर में सक्रिय कई एनजीओ ने प्रण लिया कि वे आगे से इम्पैक्ट रिपोर्ट बनाते समय जमीनी हकीकत को भूलने की चूक नहीं करेंगे।

लेखक के बारे में
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सलमान फहीम

सलमान फहीम, आईडीआर के सभी डिजिटल कैंपेन व कंटेंट प्लानिंग तथा उसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी संभालते हैं। इससे पहले सलमान द लॉजीकल इंडियन हिंदी के को-फाउंडर रह चुके हैं और उन्होंने न्यूज18 के लिये सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर के तौर पर भी काम किया है। इसके साथ ही उन्होंने चेंज डॉट ऑर्ग में हिंदी ऑपरेशन्स को लीड करते हुए प्लेटफॉर्म की यूज़र संख्या को 10 हज़ार से बढ़ाकर 10 लाख तक पहुंचाया है।

रजिका सेठ-Image
रजिका सेठ

रजिका सेठ आईडीआर हिंदी की प्रमुख हैं, जहां वह रणनीति, संपादकीय निर्देशन और विकास का नेतृत्व सम्भालती हैं। राजिका के पास शासन, युवा विकास, शिक्षा, नागरिक-राज्य जुड़ाव और लिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने का 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने रणनीति प्रशिक्षण और सुविधा, कार्यक्रम डिजाइन और अनुसंधान के क्षेत्रों में टीमों का प्रबंधन और नेतृत्व किया। इससे पहले, रजिका, अकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में क्षमता निर्माण कार्य का निर्माण और नेतृत्व कर चुकी हैं। रजिका ने टीच फॉर इंडिया, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी और सीआरईए के साथ भी काम किया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में बीए और आईडीएस, ससेक्स यूनिवर्सिटी से डेवलपमेंट स्टडीज़ में एमए किया है।

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