जिला इम्पैक्टपुर में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी क्रांति आई है कि लिखने के लिए शब्द कम पड़ जाएं। यहां सक्रिय एनजीओ और संस्थाओं ने इतना काम किया है…इतना काम किया है कि उनकी मेहनत से स्कूलों की संख्या तक बढ़ गई है। इम्पैक्ट रिपोर्ट खोलते ही पता चलता है कि:
आंधी फाउंडेशन ने 221 स्कूलों को ‘कवर’ किया है! यहां पर कवर का मतलब तिरपाल से कवर करना है या नहीं, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है।
तूफान कलेक्टिव ने 243 स्कूलों को ‘एंगेज’ किया! ताकि इम्पैक्ट रिपोर्ट के लिए अच्छी-अच्छी तस्वीरें ले सकें।
और, बवंडर मंच ने 257 स्कूलों को ‘एम्पावर’ किया! इसीलिए वे उन्हें अपने सोशल मीडिया पोस्ट में टैग कर पाए हैं।

इम्पैक्टपुर की हवा में बदलाव तैर ही रहा था कि शिक्षा विभाग भी जाग गया। उन्होंने भी हाथ-मुंह धोए बिना सबसे पहले अपनी एक रिपोर्ट निकाल डाली। इसमें बताया गया कि जिले के कुल 180 स्कूलों का कायाकल्प केवल उन्होंने किया है।
जी हां।
सारे… पूरे… 180। न एक ज्यादा, न एक कम। इस तरह, जनता को पता चला कि जिले के कुल 180 स्कूलों का कायाकल्प शिक्षा विभाग ने किया है।

अब सोचिए, तीन एनजीओ के इम्पैक्ट जोड़कर स्कूल 700 के पार निकल जाते हैं और फिर विभाग बताता है कि जिले में स्कूल 180 ही हैं। तो फिर बाकी का इम्पैक्ट कहां गया..? यह आखिर कहां छिपा बैठा है?
इस पूरे प्रकरण से इतना तो साफ हो गया कि इम्पैक्ट के आंकड़े केवल रिपोर्ट में बैठे ही नहीं रहते हैं, बल्कि आपस में उनका गुणा-गणित भी चलता रहता है। इस घटना के बाद इम्पैक्टपुर में सक्रिय कई एनजीओ ने प्रण लिया कि वे आगे से इम्पैक्ट रिपोर्ट बनाते समय जमीनी हकीकत को भूलने की चूक नहीं करेंगे।




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